देख कबीरा रोया - 5 (आचार्य रजनीश)


पंजाब के गांवों में मुसलमानों ने बगावत कर दी | मुसलमानों को दबाने के लिए अंग्रेजों ने फ़ौज भेजी | अंग्रेजों की नीति थी कि हिन्दू किसी गाँव में विद्रोह करें तो सेना की मुसलमान टुकड़ी भेजो और यदि मुसलमानों के गाँव में विद्रोह हो तो हिन्दुओं की टुकड़ी वहां भेजो, ताकि दोनों ही सम्प्रदायों को आग में झोंककर उससे हाथ सेंके जा सके | गोरखों की टुकड़ी ने एक अद्भुत ऐतिहासिक कार्य किया | गोरखों की टुकड़ी ने मुसलमान बस्ती पर, मुसलमान लोगों पर गोली चलाने से इनकार कर दिया | उन्होंने कहा कि हम अपने भाइयों पर गोली नहीं चला सकते |

हम तो सोच सकते हैं कि गांधीजी ने इन सैनिकों की प्रशंसा की होगी | लेकिन गांधीजी ने इन सैनिकों की निंदा की | गांधीजी ने कहा कि मैं सैनिकों को अनुशासनहीनता नहीं सिखा सकता, क्योंकि कल जब देश आजाद हो जाएगा और सत्ता हमारे हाथ में आयेगी, तब इन्हीं सैनिकों के सहारे हमें शासन करना है | यह किस प्रकार की अहिंसा थी ? अब हम प्रत्यक्ष देख रहे हैं कि गांधीवादियों के हाथ में सत्ता आने के बाद जितनी गोलियां चली हैं, उतनी तो अंग्रेजों के शासन में भी नहीं चलीं |

गांधी जी अहिंसात्मक रूप से जो आन्दोलन चलाते थे, वह आन्दोलन ही दबाव डालने के लिए था और मेरी दृष्टि में जहां दबाव है वहां हिंसा है | यह हिंसा का रूपांतरण है | 

कायरों को अहिंसा की बात एकदम जंच जाती है – इसलिए नहीं कि अहिंसा ठीक है, बल्कि कायर इतने कमजोर होते हैं कि कुछ और कर नहीं सकते | लेकिन तिलक गांधीजी की अहिंसा से प्रभावित नहीं हो सके, सुभाष भी प्रभावित नहीं हो सके | भगतसिंह फांसी पर लटक गया और हिन्दुस्तान में एक पत्थर नहीं फेंका गया उसके विरोध में | आखिर क्यों ? भगतसिंह फांसी पर लटक रहे थे, गांधीजी वाइसराय से समझौता कर रहे थे | हिन्दुस्तान के लोगों को आशा थी कि शायद भगतसिंह बचा लिए जायेंगे | लेकिन गांधीजी ने समझौते में सिर्फ उन कैदियों को छोड़ने की बात की जो अहिंसात्मक कैदी थे | भगतसिंह को फांसी लग गई | जिस दिन भगतसिंह को फांसी हुई, उस दिन हिन्दुस्तान की जवानी को फांसी लग गई | गांधी की भीख के साथ हिन्दुस्तान का बुढापा जीता, भगतसिंह की मौत के साथ हिन्दुस्तान की जवानी मरी | क्या भारतीय युवा पीढी ने कभी इस पर सोचा है ?

अहिंसा शब्द बहुत गलत है, क्योंकि नकारात्मक है | उससे पता चलता है हिंसा का | वास्तविक शब्द है प्रेम | क्योंकि प्रेम पोजिटिव है, विधायक है |

मैंने सुना है कि जर्मनी ने हालेंड पर हमला करने का विचार किया | हालेंड तो बहुत समृद्ध मुल्क नहीं है और हालेंड के पास बहुत सुसज्जित सेनायें भी नहीं है | जर्मनी से जीतने का तो कोई उपाय नहीं है उनके पास | लेकिन हालेंड ने तय किया कि चाहे मर जाएँ पर गुलाम नहीं बनेंगे | आपको पता होगा कि हालेंड की जमीन समुद्र से नीचे है | समुद्र के चारों तरफ दीवारें और परकोटे उठाकर वे अपनी जमीन बचाते हैं | हालेंड के एक एक कम्यून ने, एक एक गाँव ने तय किया कि जिस गाँव पर हिटलर का कब्जा हो जाएगा, वह गाँव अपनी दीवारें तोड़ दे और समुद्र को गाँव के ऊपर जाने दे | पूरा गाँव डूब जाएगा, लेकिन हिटलर की फौजें भी डूब जायेंगी | हालेंड को हम पूरा डूबा देंगे समुद्र के नीचे, लेकिन इतिहास यह नहीं कह सकेगा कि हालेंड गुलाम हुआ |

ऐसी कौम को गुलाम बनाना कठिन है | आखिर गुलाम बनाने के लिए भी तो आदमी का ज़िंदा होना जरूरी है | कमजोर आदमी भी मरना नहीं चाहता, इसीलिए गुलाम बनने को राजी होता है | अब आप ही सोचिये गांधी जी की अहिंसा ठीक है अथवा हालेंड का चरम प्रेम अपने देश के प्रति ?

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