पद्मिनी कोल्हापुरे |
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बहुत समय बाद 70 के दशक की चर्चित अभिनेत्री पद्मिनी कोल्हापुरे का नाम कहीं देखने को मिला | वे ख्यातनाम डिजायनर मनीष मल्होत्रा की भतीजी रिद्धी मल्होत्रा की शादी समारोह में शामिल होने अपने टीनएज पुत्र प्रियांक शर्मा के साथ पहुंची थीं | ऐसा प्यार कहां फिल्म करते समय उन्हें फिल्म निर्माता टूटू शर्मा से प्यार हो गया और दोनों ने शादी की। इन दिनों सुखद गृहस्थ जीवन जी रहे हैं।
पद्मिनी कोल्हापुरे अपने सरनेम के अनुसार मध्यम वर्गीय महाराष्ट्रीयन परिवार से थीं । उसके पिता शास्त्रीय गायक रहे हैं। उसकी मां एयरहोस्टेस रही हैं। परिवार में तीन बेटियों शिवांगी-पद्मिनी-तेजस्विनी के साथ घर-गृहस्थी की देखभाल के लिए उन्होंने अपनी नौकरी छोड़ दी थी। पद्मिनी का परिवार मंगेशकर परिवार से रिश्तों से जुड़ा है। दादा कृष्णराव कोल्हापुरे से पंडित दीनानाथ की बहन ब्याही गयी थी। दादा जी रंगमंच के कलाकार थे और दीनानाथ नाटक मंडली का हिस्सा थे। इस लिहाज से लता और आशा भोंसले का सहयोग तथा आशीर्वाद पद्मिनी को भरपूर मिले। बचपन से तीनों बहनों को संगीत तथा अभिनय की शिक्षा दी गई। पद्मिनी ने जब फिल्मों में कॅरिअर शुरू किया, उन दिनों फिल्मों में बाल कलकारों की भारी मांग थी। हीरो-हीरोइन को फिल्मों में बचपन से जवान होते दिखाने का प्रचलन था। ड्रीम-गर्ल फिल्म की शूटिंग के समय मा. अलंकार/मा.बंटी/बेबी चिंटू/बेबी/मधु के साथ बेबी पद्मिनी की धूम थी। ड्रीम -गर्ल की शूटिंग अमेरिका के डिज्नीलैंड में हुई तो इन बच्चों ने खूब इंज्वाय किया था।
ब्रिटेन के प्रिंस चार्ल्स जब भारत यात्रा पर आए थे तो उन्होंने बॉलीवुड विजिट किया था। एक स्टूडियो देखने जब वे पधारे तो युवा अभिनेत्री पद्मिनी ने दौड़कर उनका चुम्बन ले लिया था। स्वयं प्रिंस चार्ल्स और तमाम आसपास खड़े अतिथि सकपका गए थे। समूचे संसार की प्रेस ने इसे खूब उछाला था। पद्मिनी के इस दबंग कदम के पक्ष-विपक्ष में काफी दिनों तक हंगामा होता रहा।
राज कपूर और देव आनंद को इस बात का श्रेय है कि उन्होंने नयी तारिकाओं को खूब मौके दिए। उन्हें बेबी-डॉल से सुंदर-आकर्षक युवती में बदला। देव आनंद की फ्लॉप फिल्म इश्क-इश्क-इश्क में बच्चों की भीड़ में पांच साल की उम्र में पद्मिनी ने पहली बार कैमरा फेस किया था। गुलजार की बाल फिल्म किताब में दोनों बहनों ने युगल गीत-अ-आ-इ-ई-मास्टरजी की आ गयी चिट्ठी— गाया था। इसके बाद राज कपूर ने अपनी फिल्म सत्यम् शिवम् सुंदरम् में फिल्म की नायिका जीनत अमान के बचपन का रोल पद्मिनी को दिया था। उस पर फिल्माया गीत— यशोमति मैया से पूछे नंदलाला, राधा क्यों गोरी मैं क्यों काला— देशभर में गूंजा था। और पद्मिनी फिल्म के रिलीज होते ही एक जाना-पहचाना चेहरा बन गयी। इस फिल्म के लिए राज कपूर ने दो सौ बाल कलाकारों की भीड़ में से पद्मिनी का चयन बगैर स्क्रीन-टेस्ट के किया था। आगे चलकर राज साहब ने पद्मिनी के युवती बनने पर उसे प्रेम रोग फिल्म में नायिका का रोल देकर उपकृत किया था।
फिल्म जिंदगी में संजीव कुमार और माला सिन्हा उसके दादा-दादी बने थे। आगे चलकर वह एक फिल्म में संजीव कुमार की नायिका बनी। लेकिन किन्हीं कारणों से फिल्म पूरी नहीं बन पाई। फिल्म थोड़ी-सी बेवफाई में राजेश खन्ना उसके ससुर बने थे, जो अगली दो-तीन फिल्मों में उसके हीरो बने तो पद्मिनी को अजीब-सा महसूस हुआ था। ऐसी ही परेशानी उसे फिल्म गहराई के पोस्टर्स से हुई जिसमें पीठ की ओर से उसे लगभग नग्न दिखाया गया था। इस फिल्म में उसकी आवाज भी पुरुष द्वारा डब कर डाल दी गयी थी।
पद्मिनी हमेशा अपनी बतचीत में राज कपूर को शुक्रिया देती हैै। राज साहब का पारस-स्पर्श पाकर उसका कॅरिअर संवर गया था। जब वह बालिका से वयस्क युवती बनी तो बीआर चोपड़ा की फिल्म इन्साफ का तराजू में उस पर बलात्कार का लंबा सीन फिल्माया गया था। इस सीन से मीडिया और दर्शकों में हंगामा बरपा था। इस फिल्म के कारण पद्मिनी पर समाज में अश्लीलता फैलाने का आरोप लगा। वह अपने दुष्प्रचार से इतनी आहत हुई कि उसने राज साहब की फिल्म राम तेरी गंगा मैली का ऑफर ठुकरा दिया। इसका लाभ मंदाकिनी (यास्मिन) नामक नयी तारिका को मिला।
अपनी दूसरी पारी में पद्मिनी ने ऋषि कपूर के साथ फिल्म जमाने को दिखाना है से शुरुआत की। फिल्म फ्लॉप रही। फिर प्रेम रोग फिल्म से उसे नया टर्निंग प्वाइंट मिला। प्रेम रोग से पद्मिनी को स्टार का दर्जा मिला। इसके बाद कन्नड़ फिल्म के रीमेक आहिस्ता-आहिस्ता ने उसे अभिनेत्री के रूप में प्रतिष्ठा दिलाई। प्रेम रोग/आहिस्ता-आहिस्ता और इंसाफ का तराजू फिल्मों से उसे लगातार अवार्ड मिले, जो हैट्रिक थे। सावन कुमार टॉक निर्देशित फिल्म सौतन उसकी उल्लेखनीय फिल्म है। केसी बोकाडिय़ा की फिल्म प्यार झुकता नहीं से उसकी जोड़ी मिठुन के साथ ऐसी लोकप्रिय हुई कि दोनों स्वर्ग से सुंदर/हवालात/ऐसा प्यार कहां/दावा/सागर संगम जैसी अनेक फिल्मों में दिखाई दिए। महीने के तीस दिनों में से वह पच्चीस दिन मिठुन के साथ शूटिंग करती थी। साजन बिना सुहागन और विधाता जैसी फिल्मों का जिक्र पद्मिनी जरूर करती है क्योंकि इनमें तीन महान कलाकारों के साथ काम करने का उसे मौका मिला था— दिलीप कुमारï, संजीव कुमार और शम्मी कपूर।
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फिल्मी दुनिया
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