एसआईटी ने कालेधन मुद्दे पर वही कहा जो राजीव दीक्षित वर्षों से कहते रहे थे |


काले धन मुद्दे पर गठित विशेष जांच दल के अध्यक्ष श्री एमबी शाह ने कहा कि "यदि नागरिकों में कर अपराध की प्रकृति कायम रही तो विदेशी सरकारों से भी सहयोग नहीं मिलेगा" ।

काले धन पर विशेष जांच दल ने कहा है कि विदेशों में काला धन जमा करने वालों के नाम तथा उनके खातों का विवरण प्रकट करने के लिए विदेशी सरकारों को विवश करने के लिए आवश्यक है कि कर चोरी को गंभीर अपराध घोषित किया जाये।

एसआईटी अध्यक्ष एमबी शाह ने कहा कि विदेशों में जमा काले धन पर नजर रखने के साथ साथ भारत के भीतर स्थित बेहिसाब धन पर भी ध्यान दिया जाएगा । वर्तमान में कर चोरी भारत में एक नागरिक अपराध है और इससे आयकर अधिनियम 1961 के तहत निपटा जाता है, जबकि विदेशी मुद्रा से सम्बंधित अनियमितताओं के लिए विदेशी मुद्रा प्रबंधन अधिनियम (फेमा) है । दोनों कानूनों की प्रकृति नागरिक है, अतः आपराधिक कार्यवाही कायम नहीं होती । हमने भारत में कर चोरी को एक गंभीर अपराध बनाने की अनुशंसा की है । यदि इसे अपराध घोषित कर दिया जाता है तो विदेशी सरकारें भी धन जमा करने वालों के नाम उजागर करने को बाध्य होंगी ।

स्मरणीय है कि सुप्रीम कोर्ट द्वारा गठित एसआईटी के अध्यक्ष न्यायमूर्ति शाह तथा उपाध्यक्ष न्यायमूर्ति अरिजित पसायत है | दोनों ने काले धन के खतरे को लेकर अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत की है | इस रिपोर्ट में कहा गया है कि स्विस बैंक में जमा काला धन लगभग 4479 करोड़ तथा भारत के भीतर लगभग 14,958 करोड़ रुपये है ।

इस रिपोर्ट में एसआईटी ने बताया है कि 25 से अधिक देशों ने "कर अपराधों" को विधाई अपराध बना दिया है । भारत संदिग्ध काले धन के मामले में स्विट्जरलैंड सहित अन्य कई विदेशी सरकारों से सहयोग की मांग करता रहा है, लेकिन उसके अनुरोध को काले धन संबंधी कड़े कानूनों के अभाव में अमान्य किया जाता रहा है ।

इस मुद्दे से निपटने के लिए एसआईटी ने सुझाव दिया है कि 50 लाख या उससे अधिक रुपये की कर चोरी को विधाई अपराध बनाया जाए । उन्होंने कहा कि काले धन के लिए बने कड़े क़ानून से मनी लॉन्ड्रिंग निवारण अधिनियम (पीएमएलए) के तहत कर चोरी के अपराधों की जांच आसान होगी | 

यद्यपि इसे एक अपराध बनाना आसान नहीं होगा, लेकिन एक बार क़ानून बन जाने पर निर्धारित सीमा से अधिक धन गैरकानूनी हो जाएगा तथा जब्त किया जा सकेगा । इसे कुछ यूरोपीय देशों में प्रचलित कानूनों के समान बनाया जा सकता है ।

एसआईटी ने कहा कि आम आदमी का दैनिक लेनदेन इससे प्रभावित न हो यह सुनिश्चित करने के लिए 10-15 लाख की सीमा निर्धारित की जा सकती है |

यदि 500 और 1000 रुपये के नोट बंद करने की बात और SIT कह देती तो यह पूरी तरह स्व. राजीव दीक्षित के सुझाव ही होते न ?
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