कोयला घोटाले में मनमोहन सिंह को देने ही होंगे बयान - कोर्ट का आदेश

कोयला घोटाला: मनमोहन सिंह का बयान दर्ज करने का आदेश

नई दिल्ली: कोयला घोटाले मामले में जांच एजेंसी की क्लोजर रिपोर्ट को सीबीआई के स्पेशल कोर्ट ने खारिज कर दिया है। उद्योगपति कुमार मंगलम बिड़ला की कंपनी हिंडाल्को को कोल ब्लॉक आवंटित किए जाने के मामले में कोर्ट ने और जांच की जरूरत पर बल देते हुए तत्कालीन कोयला मंत्री का बयान दर्ज करने का निर्देश दिया है। इस मामले में अगली सुनवाई 27 जनवरी को होगी।  बता दें कि वर्ष 2005 में जब बिड़ला की कंपनी हिंडाल्को को ओडिशा के तालाबीरा द्वितीय और तृतीय में कोयला ब्लॉक आवंटित किए गए थे, तब कोयला मंत्रालय का प्रभार पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के पास था। सीबीआई कोर्ट के रुख के बाद सीबीआई को अब मनमोहन सिंह का बयान रिकॉर्ड करना होगा। हालांकि, जांच एजेंसी के सूत्रों ने बताया कि तुरंत ऐसा करने की कोई योजना नहीं है। क्या है वस्तुतः कोयला घोटाला –कांग्रेस सरकार ने १९९३ से १९९६ के बीच निजी कंपनियों को बिजली, स्टील व सीमेंट उत्पादन हेतु खनन की अनुमति दी !

१९९८ से २००४ के बीच एन.डी.ए. शासनकाल में भी कोल ब्लोक निजी क्षेत्र की १९ कंपनियों को आबंटित हुए तथा सरकारी क्षेत्र को १८ ब्लोक दिए गए ! इसके बाद नीलामी के माध्यम से प्रतिस्पर्धी बोली द्वारा आबंटन हेतु प्रक्रिया प्रारम्भ की गई !

यू पी ए सरकार द्वारा रोयल्टी स्वयं लेने का निर्णय किया जिसका विरोध राज्य सरकारों द्वारा किया गया ! किन्तु जब केन्द्र सरकार रोयल्टी राज्यों को देने को सहमत हो गई, यह विरोध स्वतः समाप्त हो गया !

यू पी ए – १ में १७ अक्टूबर २००८ को एम एम डी आर एक्ट में संसोधन संबंधी अधिनियम संसद के समक्ष प्रस्तुत हुआ, जो अगस्त २०१० में पारित हो सका ! इस दौरान अनेक कोल ब्लोक आवंटित हुए जो आज विवादास्पद हैं ! आवेदनों की जांच के लिए बनी समिति में केन्द्र सरकार के कोयला, बिजली व स्पात मंत्रालय के अधिकारी, सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों के प्रतिनिधि तथा कोयला उत्पादन करने बाले राज्यों के प्रमुख सचिव शामिल रहे !

यू पी ए – २ के शासनकाल में कोई कोल ब्लोक आवंटित नहीं हुआ ! कुल १४२ कोल ब्लोक आवंटन में ७५ निजी क्षेत्र के तथा ६७ सरकारी क्षेत्र के ब्लोक हैं ! सरकारी क्षेत्र को दिए गए ब्लोकों की बेशर्म बंदरबांट हुई !

सी ए जी रिपोर्ट में कहा गया है कि अगले ३५ वर्षों में निजी कंपनियों को १.८६ लाख करोड रुपये का लाभ होना संभव है !

सी ए जी की रिपोर्ट में यह भी उल्लेख है कि छत्तीसगढ़ सरकार ने जो भटगांव कोल ब्लोक शासकीय उपक्रम मिनरल डवलपमेंट कार्पोरेशन के नाम से लिया था, उसे अजय संचेती को कम भाव पर दे दिया ! इससे राज्य सरकार को १०५८ करोड रु. की हानि हुई !

डी एम के कोटे से सूचना प्रसारण राज्य मंत्री एस जगतरक्षकन की केवल ५ दिन पुरानी कंपनी जे आर पावर जन प्रा. लि. को १७ जनवरी २००७ में कोल ब्लोक आवंटित हुआ, जबकि उनका इस क्षेत्र में कोई अनुभव ही नहीं था ! उन्हें पांडिचेरी सरकार ने अपने स्वामित्व के पुंडुचेरी इंडस्ट्रियल प्रमोशन डवलपमेंट एंड इन्वेस्टमेंट कारपोरेशन को आवंटित ब्लोक एक सब कांट्रेक्ट कर दे दिया, जिसके ५१ प्रतिशत शेयर उन्होंने बाद में हैदरावाद की के एस के इनर्जी बेन्चर्स कंपनी को बेच दिये !

हरियाणा के कुरुक्षेत्र से कांग्रेसी सांसद नवीन जिंदल को समय सीमा बीत जाने के बाद भी आवेदन स्वीकार कर कोल ब्लोक दिया गया, जबकि सरकारी नवरत्न कंपनी को कोयले के लिए मोजाम्बीक जाने के लिए कहा गया ! कोल इंडिया द्वारा बार बार लिखे पत्र को नजर अंदाज किया गया ! 

जिंदल स्टील लिमिटेड की भागीदारी बाली दो कंपनियों को २७ फरवरी २००९ को ओडिसा में कोल ब्लोक आवंटित किये गए, जिनकी कीमत लगभग २ लाख करोड रु. से ज्यादा है ! इसी प्रकार महाराष्ट्र से कांग्रेसी सांसद विजय दर्डा को भी लाभ पहुंचाया गया !

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