एक छोटे किसान की सफलता की कहानी |


कर्नाटक का एक छोटा सा गाँव है कामथाना जहां निवास करते हैं उद्यमी किसान निडोदा बैजनाथ | स्वयं के अध्ययन व कृषि बैज्ञानिकों से सतत परामर्श कर श्री बैजनाथ अपनी मात्र छः एकड़ कृषि भूमि पर वर्ष में 11 फसल लेते हैं | इसके अतिरिक्त वे गाय, भैंस और भेड़ भी पालते हैं और उनका एक छोटा सा पोल्ट्री फार्म भी है।
उनके खेत में छोटे छोटे भाग हैं, जिनमें वे अंजीर, काजू, अदरक, तरबूज, नींबू, मोसंबी, सहजन, बैंगन, धनिया, आम और करी पत्ता आदि का उत्पादन करते हैं | इनमें से प्रत्येक उन्हें अच्छा लाभ देता है। जिला पंचायत कार्यालय में कार्यरत श्री बैजनाथ कला स्नातक हैं | लगातार पत्र पत्रिकाएं पढ़कर और अन्य प्रगतिशील किसानों व कृषि बैज्ञानिकों से चर्चा कर वे अपनी जानकारी को अद्यतन करते रहते हैं | वे अपने कृषि कार्य की आगामी तीन वर्ष की योजना अग्रिम ही बनाते हैं | उनके अनुसार उनकी सफलता का आधार माइक्रो मेनेजमेंट ही है | 
उनके खेत पर ही एक छोटा सा गोदाम है, जिसमें वे अपनी उपज को सहेज कर रखते हैं | उनका मानना है कि मुनाफे में वृद्धि के लिए यह आवश्यक है कि जब बाजार में उपज के भाव अधिक हों तभी उसे बेचा जाना चाहिए | वे बिभिन्न बाजारों से जानकारी लेकर कौन सा सामान कब बेचा जाए, कहाँ बेचा जाए यह तय करते हैं । इसलिए उनका मुनाफ़ा अधिक होता है |
उदाहरण के लिए इस वर्ष उन्होंने प्रति एकड़ 180 क्विंटल अदरक का उत्पादन किया और उसे 10,000 रु. प्रति क्विंटल की दर पर विक्रय किया । एक वर्ष में उन्होंने दो एकड़ से अर्जित किये 35 लाख रु.। जबकि सिंचाई इत्यादि पर उनका कुल खर्च हुआ एक लाख रु. प्रति एकड़ |
उनकी सफलता की व्याख्या दो शब्दों में की जा सकती है : " व्यक्तिगत सजगता" | श्री बैजनाथ अपने खेत पर प्रतिदिन 6 से 9 नियमित रहते हैं | वे केवल मजदूरों पर निर्भर नहीं रहते | 


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