आखिर कहाँ गए रोबर्ट वाड्रा के जमीन सौदों से जुडी फाइल से गायब हुए दस्तावेज ?



रॉबर्ट वाड्रा के जमीन सौदों से जुड़ी फाइल से गायब हुए दस्तावेज अभी तक सरकार को नहीं मिल पाए हैं। मामले की जांच रिपोर्ट आने के बाद ही सरकार अब कोई अगला कदम उठाएगी। रिपोर्ट 31 तारीख तक चीफ सेक्रेटरी को सौंप दी जाएगी।

कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी के दामाद रॉबर्ट वाड्रा से संबंधित जमीन घोटाले के केस की फाइल से दो अहम पन्ने गायब हैं। जमीन घोटाले में तीन सदस्यीय पैनल बनाने को लेकर जारी की गई ऑफिशल नोटिंग वाले पन्ने गायब हैं। इसी पैनल ने रॉबर्ट वाड्रा की कंपनी स्काईलाइट को जमीन घोटाले में क्लीन चिट दी थी और डीएलएफ-स्काईलाइट डील का म्यूटेशन रद्द करने वाले आईएएस अशोक खेमका पर अविश्वास जताया था।

राज्य सरकार के सूत्रों के मुताबिक, सरकार को मामले में आरटीआई दाखिल करने वाले शख्स की जानकारी के अलावा राज्य सूचना आयोग के ऑफिस से गायब हुए दस्तावेजों की कॉपी नहीं मिल पाई।

सरकार को उम्मीद थी कि इन दोनों जगहों में से कहीं से कॉपी हासिल कर फाइल को दोबारा री-कंस्ट्रक्ट कर लिया जाएगा। मालूम हो कि चीफ सेक्रेटरी ने मुख्यमंत्री सचिवालय में तैनात सीएस स्टाफ के एक अधिकारी को मामले की जांच के निर्देश दिए थे।

जांच अधिकारी से 10 दिन के भीतर रिपोर्ट देने को कहा गया है। सूत्रों के अनुसार, अबतक हुई जांच में कुछ भी हासिल नहीं हुआ है। बताते हैं कि इस दौरान गायब हुए दस्तावेज की कॉपी हासिल करने के लिए उस व्यक्ति से संपर्क करने की कोशिश की गई जिसने इस मामले में आरटीआई दाखिल की थी।

अशोक खेमका ने जमीन घोटाले से जुड़ी ऑफिशल नोटिंग मांगने के लिए आरटीआई से अपील की थी, जिसके बाद सरकार ने एक एफिडेविट राज्य सूचना आयोग (एसआईसी) के समक्ष पेश किया। जमीन सौदा घोटाले के केस में अशोक खेमका के खिलाफ भी चार्जशीट फाइल की गई है। इस मामले में अपने डिफेंस के लिए खेमका ने पहले कार्मिक विभाग से ऑफिशल नोटिंग की मांग की थी, जो कि नहीं मिल पाई। इसके बाद खेमका ने एसआईसी का दरवाजा खटखटाया था।
ऑफिशल नोटिंग के गुम होने के बाद अब खेमका ने राज्य के मुख्य सचिव से इसकी शिकायत की है और मांग की है कि सीएम ऑफिस के कर्मचारियों को खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई।

सरकार को उम्मीद थी कि केस फाइल की एक कॉपी राज्य सूचना आयोग में भी होगी, लेकिन दोनों ही मामलों में सफलता नहीं मिल पाई है। वैसे देखा जाए तो गायब हुए दस्तावेजों के बारे में सच्चाई पता लगाना आसान काम भी नहीं है। इसकी वजह यह है कि सरकार के पास फाइल का रेकॉर्ड तो जरूर होता है, लेकिन केस फाइल के पेजों की गिनती नहीं होती। ऐसे में कहीं कोई कागज जानबूझ कर या गलती से खो जाए, इसका पता लगाना इसलिए और भी कठिन हो जाता है कि एक फाइल रेकॉर्ड रूम से बाहर निकलने के बाद एक प्रक्रिया के तहत चलती है। उस पर बाकायदा नोटिंग होती है और अगर कोई पेज खो भी जाए या गायब कर लिया जाए तो उसको री-कंस्ट्रक्ट पूर्व में हुए आदेश अथवा नोटिंग के हिसाब से कर लिया जाता है।

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