गंगा आरती - श्री गिरीश पंकज



यह मेरी गंगा मैया है, इसको आज बचाना है |
सदियों से बहती धारा का, हमको कर्ज चुकाना है ||

नमामि गंगे, हर-हर गंगे, सबने महिमा गई है,
तेरा जल है अमृत मैया, पानी नहीं दवाई है,
तेरे इस बैभव को माता, फिर से वापस लाना है |
यह मेरी गंगा मैया है, इसको आज बचाना है ||

जिसने सबको तारा हर पल, वो ही खुद दुखियारी है,
आज हिमालय की बेटी पर, देखो संकट भारी है,
गंगा है तो भारत है, ये लोगों को समझाना है |
यह मेरी गंगा मैया है, इसको आज बचाना है |}

नदी नहीं, ये माँ है सबकी, इसकी महिमा न्यारी है,
जो भी इसकी गोद में आया, उसकी विपदा हारी है,
माँ तुझको निर्मल रखने का, प्रण हमने अब ठाना है |
यह मेरी गंगा मैया है, इसको आज बचाना है ||

गंगा तो है ज्ञान हमारा, इसकी क्षति न हो पाए,
बच्चा बच्चा माँ की खातिर, अब फ़ौरन आगे आये,
हर-हर गंगे, घर-घर गंगे, यही गीत दोहराना है |
यह मेरी गंगा मैया है, इसको आज बचाना है |
सदियों से बहती धारा का, हमको कर्ज चुकाना है ||