क्या वैदिक काल में थे उड़ने वाले विमान ?

vimaan shastra



3 जनवरी से 7 जनवरी तक मुंबई में इंडियन साइंस कांग्रेस शुरू हो रही है जिसमें नोबेल पुरस्कार से सम्मानित दो वैज्ञानिकों समेत दुनियाभर के बुद्धिजीवी हिस्सा लेंगे। इस कांग्रेस में राइबोसोम, ऐंटिबायटिक्स के प्रति प्रतिरोध, जीवन की उत्पत्ति और कोशिका-चक्र जैसे विषयों पर चर्चा होगी। इन विषयों पर कई बड़े साइंटिस्ट बोलेंगे जिनमें छह नोबेल विजेता भी शामिल होंगे। 

'प्राचीन भारतीय वैमानिकी प्रौद्योगिकी' पर कैप्टन आनंद जे बोडास और अमेय जाधव का उद्वोधन होगा ।कैप्टन आनंद जे बोडास केरल में एक पायलट ट्रेनिंग सेंटर के प्रिंसिपल पद से रिटायर हुए हैं | उनका मानना है कि ‘आधुनिक विज्ञान दरअसल विज्ञान ही नहीं’ है। मुंबई मिरर अखबार को बोडास ने बताया कि जो चीजें आधुनिक विज्ञान को समझ नहीं आतीं, यह उसका अस्तित्व ही नकार देता है। बोडास कहते हैं, ‘वैदिक बल्कि प्राचीन भारतीय परिभाषा के अनुसार विमान एक ऐसा वाहन था, जो वायु में एक देश से दूसरे देश तक, एक महाद्वीप से दूसरे महाद्वीप तक और एक ग्रह से दूसरे ग्रह तक जा सकता था। उन दिनों विमान विशालकाय होते थे। वे आज के विमानों जैसे एक सीध में चलने वाले नहीं थे, बल्कि दाएं-बाएं और यहां तक कि रिवर्स भी उड़ सकते थे। 

कैप्टन बोडास भारतवर्ष में हजारों साल पहले हासिल की गईं जिन तकनीकी उपलब्धियों का दावा करते हैं, उनका स्रोत वह वैमानिका प्रक्रणम नामक एक ग्रंथ को बताते हैं, जो उनके मुताबिक ऋषि भारद्वाज ने लिखा था। वह कहते हैं, ‘इस ग्रंथ में जो 500 दिशा-निर्देश बताए गए थे उनमें से अब 100-200 ही बचे हैं। ऐसा इसलिए हुआ क्योंकि बहुत वक्त गुजर गया, फिर विदेशियों ने हम पर राज किया और देश की बहुत सी चीजें चुरा ली गईं।’

किन्तु इस समाचार ने वामपंथी तबके में खलबली मचा दी है | नासा के एक वैज्ञानिक डॉ. राम प्रसाद गांधीरमन ने इंडियन साइंस कांग्रेस में 'प्राचीन भारतीय वैमानिकी प्रौद्योगिकी' पर होने वाले लेक्चर को रोकने के लिए एक ऑनलाइन पिटिशन शुरू किया है। 102वीं इंडियन साइंस कांग्रेस जनवरी में मुंबई में होने वाली है। इस वैज्ञानिक का कहना है कि यह लेक्चर वैज्ञानिक प्रक्रिया की गरिमा पर सवाल खड़े करता है। गांधीरमन का कहना है कि भारत में मिथकों और साइंस के घालमेल की कोशिशें बढ़ रही हैं और ऐसे में इस तरह के लेक्चरों का रोका जाना जरूरी है। 

गांधीरमन ने अपनी याचिका में कहा है कि एक प्रतिष्ठित वैज्ञानिक कॉन्फ्रेंस के लिए ऐसी छद्म-वैज्ञानिक बातों को मंच देना एक शर्मनाक बात है। गांधीरमन ने बताया कि उन्होंने आयोजकों, पीएमओ के चीफ साइंटिफिक ऐडवाइजर, साइंटिफिक सेक्रेटरी और कुछ आईआईटी-आईआईएम के निदेशकों को ई-मेल किया है। अब वह कांग्रेस में हिस्सा लेने आ रहे नोबेल विजेताओं से संपर्क की कोशिश में हैं।

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