आदर्श पत्नी !

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अपनी पत्नी के साथ डाइनिंग टेबिल पर खाना खाते समय मैंने उसका हाथ पकड़ा और कहा "मैं तुमसे कुछ कहना चाहता हूँ” | 

मुझे लगा जैसे उसे अनुमान था कि मैं क्या कहने जा रहा हूँ | वह चुपचाप बैठकर खाना खाते रही | हाँ उसकी आखों में आहत भाव जरूर था | मुझे समझ नहीं आ रहा था कि मैं उससे कैसे कहूं | फिर भी हिम्मत कर मैंने उससे धीरे से कहा “मैं तलाक चाहता हूँ” | 

मेरी आशा के विपरीत उसने बिना नाराज हुए शान्ति से पूछा “क्यों” |मैंने उसके सवाल को टाल दिया | किन्तु मेरी चुप्पी ने उसे नाराज कर दिया | उसने कांटा चम्मच दूर फेंककर रोते हुए कहा “क्या यही तुम्हारी इंसानियत है ? मैं जानना चाहती हूँ कि हमारी शादी क्यों टूट रही है, और तुम बताना भी नहीं चाहते ?” 

मेरे पास उसके सवाल का कोई संतोषजनक जबाब था ही नहीं | अब मैं उसे कैसे बताता कि मैं जेन के प्यार में डूब चुका था | उस रात, हमने एक दूसरे से कोई बात नहीं की थी | वह रो रही थी | और मुझे उस पर दया आ रही थी | मैंने एक तलाक का मसौदा तैयार किया था, जिसके अनुसार मेरी कार, घर और मेरी कम्पनी में तीस प्रतिशत की हिस्सेदारी उसके लिए प्रस्तावित थी | 

दुसरे दिन सुबह मैंने उसे जब वह अग्रीमेंट बताया तो उसने उसे टुकडे टुकडे कर फाड़ दिया | जिस महिला के साथ मैंने अपने जीवन के दस साल बिताए थे वह अकस्मात् मानो अजनबी बन गई थी | उसका जो समय, संसाधन और ऊर्जा व्यर्थ गई उस के लिए मैंने खेद महसूस किया, लेकिन मैं जेन के प्यार में इतना आगे जा चुका था कि अब वापस लौटने के विषय में सोचना भी बुरा लग रहा था | इसलिए जब वह रोई तो मुझे राहत ही महसूस हुई | मुझे लगा कि यह एक प्रकार से उसने परिस्थिति को स्वीकार लिया है और मुझे तलाक लेने में कोई विशेष कठिनाई नहीं होगी | 

अगले दिन, मैं घर बहुत देर से वापस आया और मेज पर उसे कुछ लिखते पाया | मैंने रात का खाना नहीं खाया था किन्तु मैं सीधे सोने चला गया | आधी रात को जब मैंने उनींदे से उसे देखा तो वह तब भी कुछ लिखने में मशगूल थी | उसकी परवाह किये बिना जेन के सपनों में खोया मैं चुपचाप सो गया |

सुबह उसने मुझे बताया कि वह तलाक के बदले कुछ भी नहीं चाहती | लेकिन उसकी एक ही शर्ते थी | कानूनी बाध्यता के अनुसार तलाक के लिए एक महीने का जो नोटिस दिया जाता है, उसकी जानकारी हमारे बेटे को न हो तथा हम दोनों पूरा महीना सामान्य रूप से जियें | उसके कारण सरल थे | इस एक महीने के दौरान ही हमारे बेटे की परीक्षा थी और वह अपनी टूटी हुई शादी से उसे परेशान नहीं करना चाहती थी | 

मैं इसके लिए सहमत था, लेकिन वह कुछ और भी चाहती थी | हमारी शादी के दिन जब वह दुल्हन बनी थी तब मैं उससे जिस प्रकार व्यवहार करता था, वही व्यवहार वह इस पूरे महीने मुझसे चाहती थी | हर दिन मैं सुबह बेडरूम से बाहों में भरकर बाहर ले जाऊं यह उसका अनुरोध था | मुझे लगा कि वह पागल हो रही है | किन्तु इस अजीब अनुरोध को स्वीकार कर मैं उससे छुटकारा पा रहा था इसलिए मैंने यह प्रस्ताव भी चुपचाप मान लेने में ही भलाई समझी | 

जब मैंने तलाक के लिए अपनी पत्नी की शर्तों के विषय में जेन को बताया, तो वह जोर से हँसी और उसने उपेक्षा से कहा यह बेतुका है, पर कोई फर्क नहीं पड़ता | तलाक का इरादा स्पष्ट करने के बाद मुझमें और मेरी पत्नी मैं किसी प्रकार का शारीरिक सम्बन्ध नहीं रहा | मैं जब पहले दिन उसे बेडरूम से बाहर बांहों में भरकर बाहर लेकर लाया, जब हम दोनों अनाड़ी दिखाई दे रहे थे | हमारा बेटा ताली बजाकर हंसने लगा | 

मेरे मन में कहीं गहरे दर्द की भावना आई | मैं उसे शयन कक्ष के दरबाजे से दस मीटर की दूरी तक ले गया | उसने अपनी आँखें बंद कर ली थीं उसने धीरे से कहा कि तलाक के बारे में हमारे बेटे को मत बताना | मैं कुछ हद तक परेशान महसूस करते हुए सहमति में सिर हिलाया | उसे छोडकर मैं चुपचाप अपने कार्यालय के लिए निकल गया | 

दूसरे दिन, हम दोनों का व्यवहार कुछ अधिक सहज और सामान्य रहा, उसका सर मेरी छाती पर टिका हुआ था और मैं उसके गेसुओं की गंध अनुभव कर रहा था | मुझे लगा कि एक लंबे समय से मैंने उसकी ओर ध्यान ही नहीं दिया था | उसके चहरे पर झुर्रियां आने लगी थीं, बाल सफेद होने लगे थे और आश्चर्यजनक रूप से उसका बजन घट गया था | 

चौथे दिन मैंने उससे अंतरंगता लौटने की भावना महसूस की | यह वह महिला थी जिसने मेरे लिए अपने जीवन के दस साल दिए थे | पांचवें और छठे दिन इस अंतरंगता का अहसास और बढ़ गया था किन्तु इसके बारे में मैंने जेन को कुछ नहीं बताया | एक सुबह उसने शर्माते हुए कहा कि उसके सारे कपडे बड़े हो गए थे और वह क्या पहने उसे समझ नहीं आ रहा था | 

वह सचमुच बहुर दुबली हो गई थी | बजन इतना कम हो गया था कि मैं उसे आसानी से उठा सकता था | अचानक मेरा हाथ हमदर्दी से उसके सर को छूने लगा कि कहीं वह बीमार तो नहीं है | हमारा बेटा मेरे आत्मीय व्यवहार को सामने से देख रहा था उसने मुझे माँ को बाहर ले जाने कि सलाह दी | जैसे यह करना मेरे जीवन का आवश्यक अंग हो | मेरी पत्नी ने बेटे को करीब आने का इशारा किया और उसे कसकर गले लगा लिया | 

मुझे लगा कि इस अंतिम क्षण में मेरा मन बदल रहा है | मैं शयन कक्ष, बैठक और दालान में उसके साथ घूम रहा था | उसके हाथ स्वाभाविक रूप से मेरी गर्दन में थे और मैं उसकी कमर को थामे हुए था | मुझे लगा जैसे हमारी शादी कल ही हुई हो | लेकिन उसके बहुत हलके वजन ने मुझे उदास कर दिया | 

अंतिम दिन, हमारा बेटा स्कूल गया हुआ था | मैंने उसे कसकर आलिंगन किया और कहा मैं ऑफिस जा रहा हूँ | मुझे डर था कि अगर अब मैंने देर की तो ऐसा न हो कि मेरा मन फिर बदल जाए | मैं ऑफिस के स्थान पर सीधे जेन के घर पहुंचा और जैसे ही जेन ने दरवाजा खोला मैंने उससे कहा “जेन मुझे माफ़ करो, मैं अब तलाक नहीं लेना चाहता | 

उसने चकित भाव से मेरी तरफ देखा, और फिर मेरे माथे को छुआ और कहा तुम्हारा दिमाग तो ठीक है ? मैंने फिर दोहराया “ क्षमा करो जेन, मैं अपने जीवन में पत्नी के महत्व को भूल गया था | किन्तु अब मैं अपनी मृत्यु तक उससे अलग होने के बारे में सोच भी नही सकता |” जेन जैसे अचानक जाग गई | उसने मेरे गाल पर जोर से एक तमाचा जमाया और दरवाजा धडाक से बंद कर दिया | 

उस तमाचे ने मेरे दिल को कितनी ख़ुशी दी कह नही सकता | मैं नीचे आकर घर की तरफ लौट दिया | रास्ते में फूलों की दुकान से अपनी पत्नी के लिए फूलों का एक गुलदस्ता खरीदा | गुलदस्ते पर प्यार से लिखवाया कि अब मौत ही हमें एक दूसरे से अलग कर सकती है | 

मैं गुलदस्ता हाथ में लिए घर लौटा, चेहरे पर मुस्कान लिए अपनी पत्नी को खोजता | मुझे तब पहली बार मालूम हुआ कि मेरी पत्नी महीनों से कैंसर पीड़ित थी | मैं जेन के साथ इतना व्यस्त था कि मुझे मालुम ही नहीं पडा | वह जानती थी कि उसे जल्द ही मरना है और इसीलिए उसने तलाक से पूर्व की वह अटपटी शर्त रखी थी | वह नहीं चाहती थी कि हमारे बेटे के मन में मेरे विषय में कोई नकारात्मक प्रतिक्रया आये | वह चाहती थी के कम से कम, हमारे बेटे की दृष्टि में - मैं एक प्यार करने वाला पति रहूँ 

... .अपने जीवन के इस छोटे से विवरण के द्वारा मैं वास्तव में रिश्तों की अहमियत बताना चाहता हूँ | मकान, कार, संपत्ति, बैंक बेलेंस खुशी के लिए अनुकूल माहौल बना सकते हैं किन्तु वास्तविक खुशी नहीं दे सकते | वास्तविक प्रसन्नता तो अंतरंगता में है | जीवन की विफलताओं से ही ज्ञात होता है कि सफलता हमारे कितने करीब होती है, किन्तु हम उसे नजरअंदाज कर देते हैं | 
साभार Poonam Sharma की रचना का हिन्दी अनुवाद |

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