हिन्दू भावनाओं को आहत करने का आरोप झेल रही आमिर खान अभिनीत फिल्म पीके के विवादास्पद अंश हटाने की मांग अब आल इंडिया पर्सनल लॉ बोर्ड ने भी सेंसर बोर्ड से की है | मौलाना खालिद रसीद फरंगी का कथन है कि अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का अर्थ यह नहीं है कि किसी की भावनाओं को ठेस पहुंचाई जाए | सेंसर बोर्ड को पूर्व से ही सतर्क रहना चाहिए कि ऐसे दृश्य जो सामाजिक सौहार्द्र को बिगाड़ सकते हैं, उन्हें फिल्म के प्रसारण के पूर्व ही हटा दिया जाये | उन्होंने आगे कहा कि उत्तर प्रदेश व देश की स्थिति लव जिहाद व घर वापसी जैसे मुद्दों के चलते पहले ही तनाव पूर्ण है, ऐसे में आग पर घी डालने का काम पीके कर रही है | इस विषय में इसलिए और सतर्कता की आवश्यकता है, क्योंकि एक मुस्लिम हिन्दू नाम से फिल्म में अभिनय कर रहा है, जिसे अन्यथा लिया का सकता है |
दूसरी ओर विश्व हिन्दू परिषद्, बजरंग दल तथा हिन्दू जागरण मंच जैसे संगठनों ने आगरा, इलाहावाद व कई अन्य शहरों में फिल्म पर प्रतिबन्ध की मांग को लेकर प्रदर्शन किये | इन प्रदर्शनों में फिल्म के पोस्टर भी फाड़े गए | हिन्दू फ्रंट फॉर जस्टिस नामक संगठन की तरफ से लखनऊ में एक पीआईएल पिटीशन दायर कर सेंसर बोर्ड द्वारा फिल्म को दिया गया सर्टीफिकेट रद्द करने की मांग भी की गई है | आरोप लगाया गया है कि फिल्म के प्रदर्शन से धार्मिक भावनाओं को चोट पहुँच रही है |
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