नेशनल हेराल्ड मामला: दिन-प्रतिदिन सुनवाई का न्यायालयीन आदेश

मंगलवार, 16 दिसम्बर, 2014 | नई दिल्लीसोमवार को दिल्ली उच्च न्यायालय ने नेशनल हेराल्ड मामले में 12 जनवरी से दिन-प्रतिदिन सुनवाई का आदेश दिया है | भाजपा नेता सुब्रमण्यम स्वामी ने शिकायत की थी कि निचली अदालत द्वारा सम्मन जारी होने के मामले में स्थगन के नाम पर सोनिया गांधी और राहुल गांधी की ओर से दायर अपील पर सुनवाई में लगातार देरी हो रही है | इस पर न्यायमूर्ति वीपी वैश्य ने 12 जनवरी से प्राथमिकता के आधार पर इस मामले को सूचीबद्ध कर मामले की दैनिक सुनवाई के लिए आदेश दिया।

अदालत द्वारा अंतिम निर्णय होने तक अदालत द्वारा जारी सम्मन आदेश पर स्थगन जारी रहेगा | किन्तु अगली तारीख से सोनिया गांधी तथा अन्य को किसी बहाने की अनुमति भी नहीं दी जायेगी | स्मरणीय है कि यह प्रकरण सितंबर से लगातार बिलम्बित है तथा छोटे छोटे कारण बताकर प्रक्रिया में देरी की जाती रही है ।

स्वामी का कहना है कि निचली अदालत ने 40 से अधिक दिनों पहले अभियुक्तों को उपस्थित होने का आदेश दिया था, किन्तु निचली अदालत में उपस्थिति के मात्र 48 घंटे पूर्व उन्होंने उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया । इस प्रकार कानूनी प्रक्रियाओं के साथ खेलने की अनुमति किसी को नहीं दी जानी चाहिए। उन्होंने कहा कि कानून सब से ऊपर है ।

इस बीच, सुप्रीम कोर्ट ने हाई कोर्ट में लगातार देरी के बारे में स्वामी द्वारा की गई शिकायत पर संज्ञान लेते हुए 18 दिसंबर को याचिका सूचीबद्ध की है। लेकिन दिन-प्रतिदिन के आधार पर सुनवाई के हाई कोर्ट द्वारा सोमवार को दिए आदेश के बाद संभावना है कि स्वामी सुप्रीम कोर्ट में अपनी शिकायत पर जोर नहीं देंगे । निचली अदालत ने भी सोनिया गांधी, राहुल गांधी और कांग्रेस के नेताओं मोतीलाल वोरा, ऑस्कर फर्नांडिस और गांधी परिवार के करीबी सुमन दुबे और सैम पित्रोदा आदि को 31 जनवरी को तलब किया है ।

तामील न होने के कारण मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट ने शिकागो में रह रहे सेम पित्रोदा को विदेश मंत्रालय के माध्यम से पुनः सम्मन जारी किया है | हालांकि स्वामी पूर्व में स्वयं शिकागो में पित्रोदा के निवास जाकर सम्मन दे चुके हैं तथा इसकी जानकारी मजिस्ट्रेट को दे चुके हैं । लेकिन सोनिया गांधी के वकील ने उन्हें विदेश मंत्रालय के माध्यम से बुलाने पर जोर दिया ।

आखिर यह नेशनल हेराल्ड विवाद है क्या ? -


-पंडित जवाहरलाल नेहरू ने नेशनल हेराल्ड अखबार की स्थापना की।

-अखबार की स्थापना 8 सितंबर 1938 को लखनऊ में की गई थी।

-अखबार के पहले संपादक भी पंडित जवाहर लाल नेहरू ही थे।

-प्रधानमंत्री बनने तक नेहरू नेशनल हेराल्ड बोर्ड के चेयरमैन रहे।

-आजादी की लड़ाई में इस अखबार ने अहम भूमिका अदा की।

-अखबार ने बाद में हिंदी नवजीवन और उर्दू कौमी आवाज अखबार भी निकाला।

-आजादी के बाद भी नेशनल हेराल्ड कांग्रेस का मुखपत्र बना रहा।

-खराब आर्थिक हालात के चलते 2008 में अखबार का प्रकाशन बंद हो गया।

-2008 में अखबार का मालिकाना हक एसोसिएटेड जर्नल्स के पास था।

-नेशनल हेराल्ड को चलाने वाली कंपनी एसोसिएट जर्नल्स ने कांग्रेस पार्टी से बिना ब्याज के 90 करोड़ का कर्ज लिया।

-कांग्रेस ने कर्ज देने का मकसद कंपनी के कर्मचारियों को बेरोजगार होने से बचाना बताया।

-नेशनल हेराल्ड अखबार का प्रकाशन इसके बावजूद दोबारा कभी शुरू नहीं हुआ।

-26 अप्रैल 2012 को यंग इंडिया कंपनी ने एसोसिएटेड जर्नल्स का मालिकाना हासिल कर लिया।

-यंग इंडिया कंपनी में 76 फीसदी शेयर सोनिया गांधी और राहुल गांधी के हैं।

-इनमें से 38 फीसदी सोनिया गांधी और 38 फीसदी राहुल गांधी के हैं।

-बाकी शेयर सैम पित्रोदा, सुमन दुबे, मोतीलाल वोरा और ऑस्कर फर्नांडीज के पास हैं।

-यंग इंडिया ने हेराल्ड की 1600 करोड़ की परिसंपत्तियां महज 50 लाख में हासिल कीं।

बीजेपी नेता सुब्रमण्यम स्वामी का आरोप है कि गांधी परिवार हेराल्ड की संपत्तियों का अवैध ढंग से उपयोग कर रहा है। इनमें दिल्ली का हेराल्ड हाउस और अन्य संपत्तियां शामिल हैं। वे इस आरोप को लेकर 2012 में कोर्ट गए। 

बीजेपी नेता सुब्रमण्यम स्वामी के सवालः-

-सोनिया-राहुल की कंपनी यंग इंडिया ने दिल्ली में सात मंजिला हेराल्ड हाउस को किराये पर कैसे दिया। इसकी दो मंजिलें पासपोर्ट सेवा केंद्र को किराये पर दी गईं जिसका उद्घाटन तत्कालीन विदेश मंत्री एस एम कृष्णा ने किया था। यानि यंग इंडिया किराये के तौर पर भी बहुत पैसा कमा रही है।

-राहुल ने एसोसिएटेड जर्नल में शेयर होने की जानकारी 2009 में चुनाव आयोग को दिए हलफनामे में छुपाई और बाद में 2 लाख 62 हजार 411 शेयर प्रियंका गांधी को ट्रांसफर कर दिए। राहुल के पास अब भी 47 हजार 513 शेयर हैं।

-आखिर कैसे 20 फरवरी 2011 को बोर्ड के प्रस्ताव के बाद एसोसिएट जर्नल प्राइवेट लिमिटेड को शेयर हस्तांतरण के माध्यम से यंग इंडिया को ट्रांसफर किया गया जबकि यंग इंडिया कोई अखबार या जर्नल निकालने वाली कंपनी नहीं है?

-कांग्रेस द्वारा एसोसिएट जर्नल प्राइवेट लिमिटेड को बिना ब्याज पर 90 करोड़ रुपये से ज्यादा कर्ज कैसे दिया गया जबकि यह गैर-कानूनी है क्योंकि कोई राजनीतिक पार्टी किसी भी व्यावसायिक काम के लिए कर्ज नहीं दे सकती?

-जब एसोसिएटेड जर्नल का ट्रांसफर हुआ तब इसके ज्यादातर शेयरहोल्डर मर चुके थे ऐसे में उनके शेयर किसके पास गए और कहां हैं?

-आखिर कैसे एक व्यावसायिक कंपनी यंग इंडिया की मीटिंग सोनिया गांधी के सरकारी आवास 10 जनपथ पर हुई?

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