घाटी में खंडित जनादेश के फलितार्थ |

Peoples Democratic Party (PDP) supporters shout slogans after PDP candidate Mohd Ashraf defeated incumbent Jammu and Kashmir Chief Minister Omar Abdullah for the Sonwar constituency, in Srinagar on December 23, 2014. Prime minister Narendra Modi's Hindu nationalist party appears to have made significant gains in Indian Kashmir elections but is falling far short of a majority as it tried to wrest power for the first time ever in the disputed state. AFP Photo/Rouf Bhat

21 दिसंबर को क्रान्तिदूत में खतरे की घंटी शीर्षक से एक लेख प्रकाशित हुआ था, जिसमें लिखा गया था कि -

"कश्मीर विधानसभा की 87 सीटों में हुआ मतदान हिन्दू मुस्लिम ध्रुवीकरण की कहानी ही बयान कर रहा है | भयंकर शीत लहर के बाद भी हुआ बम्पर वोटिंग में जहां हिन्दू वोट केवल और केवल भाजपा के पक्ष में जाते दिखाई दे रहे हैं, वहीं मुस्लिम वोटों ने भी भाजपा की सरकार न बन जाए इस भय से रणनीति तय करके एक ही पार्टी अर्थात पीडीपी के पक्ष में अपना मत दिया है | अतः इतना तो तय हैकि जम्मू कश्मीर के विधानसभा चुनाव में नंबर एक व दो की दौड़ में ये ही दोनों पार्टियां रहने वाली हैं | सरकार किसकी बनेगी यह भविष्य के गर्भ में है | लेकिन हिन्दू मुस्लिम की खाई आज भी उतनी ही स्पष्ट है, जितनी पहले थी | क्या यह विभाजन देश की दशा और दिशा के लिए खतरे की घंटी नहीं है ?"

चुनाव परिणामों ने उक्त आंकलन को सत्य सिद्ध कर दिया है | कश्मीर घाटी में भाजपा को एक भी सीट प्राप्त नहीं हुई, जबकि जम्मू क्षेत्र में उसे सर्वाधिक सफलता मिली | मोदी जी के विकास एजेंडे तथा केंद्र द्वारा बाढ़ की विभीषिका के समय दिखाई गई दरियादिली के बाबजूद ये परिणाम आना क्या संकेत देते हैं ? भाजपा ही नहीं कांग्रेस को भी केवल हिन्दू वोटों का सहारा मिला | जबकि मुस्लिम मतदाता का रुझान पीडीपी और नेशनल कांफ्रेंस की ही तरफ रहा | हाँ एक सकारात्मक परिवर्तन अवश्य दिखाई देता है और वह है भीषण शीत लहर में भी आमजन का मतदान करने के लिए घर से निकलना और वह भी तब, जबकि अलगाववादियों ने मतदान के बहिष्कार का फरमान जारी किया हुआ था | 

भले ही चुनाव में भाजपा का मिशन 44 सफल ना हुआ हो, फिर भी सर्वाधिक मत प्रतिशत पाकर उसने अपनी स्थिति मजबूत की है | ओमर अब्दुल्ला ने अपनी प्रतिक्रया में साफगोई दिखाई है | उन्होंने अपनी पराजय का दोष भी परोक्ष रूप से कांग्रेस के मत्थे ही मढा है तथा बाढ़ की विपदा के समय प्रशासनिक अक्षमता को स्वीकार किया है | 

एंबेडेड छवि की स्थायी लिंकभाजपा को जो लाभ दिखता है, उसका कारण कांग्रेस से छिटककर हिन्दू वोटों का उसके पक्ष में लामबंद होना ही अधिक है | इसी कारण उसे जम्मू क्षेत्र में 2008 की तुलना में दूनी सफलता भी मिली है | अब यह तो भविष्य के गर्भ में है कि इसके कारण उसे दीर्घकालिक लाभ होगा या घाटी में समस्याएं बढेंगी | नेशनल कांफ्रेंस पूरी तरह साफ़ नहीं हुई है और ना ही अब्दुल्ला पिता पुत्र का मनोबल कम हुआ है | खंडित जनादेश के चलते उसके समर्थक मौके की ताक में रहेंगे |

अतः सामरिक दृष्टि से महत्वपूर्ण इस प्रदेश में भाजपा को अपनी रणनीति बहुत सूझबूझकर बनानी होगी | क्षणिक लाभ की तुलना में दीर्घकालिक दूरंदेश नीति | यदि भाजपा व पीडीपी साथ आकर सरकार बनाते हैं, तो अमरनाथ यात्रा पर सरकार की क्या नीति होगी ? उसी प्रकार क्या घाटी से पलायन को विवश हुए पंडितों की घरवापिसी संभव होगी ? सरकार से कहीं अधिक ही नहीं, बहुत अधिक, इन मुद्दों पर फोकस हुआ तो ही भाजपा की यह सफलता स्थाई सफलता में परिवर्तित होगी | अन्यथा तो एक वंश के शासन के बाद दूसरे वंश का शासन आना भर इसका फलितार्थ होगा |
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