धर्म जीवन का संगीत अथवा नक्कारखाने का बेसुरा संगीत |


घर वापिसी और धर्मांतरण के मुद्दे पर लगातार बहस चल रही है | समस्या के समाधान की दिशा में कम, एक नई समस्या उत्पन्न करने की दिशा में कुछ अधिक | बहस में दो बातें मुख्य तौर पर उठ रही हैं | पहली तो यह कि आरोप लगाया जा रहा है कि आगरा में 8 दिसंबर को राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के एक घटक संगठन धर्म जागरण के स्थानीय कार्यकर्ता नंदकिशोर वाल्मीकि द्वारा राशन कार्ड और आधार कार्ड बनवाने का लालच देकर कुछ मुस्लिम परिवारों को मुस्लिम से पुनः हिन्दू बनाने का प्रयत्न हुआ ? दूसरा यह कि धर्मान्तरण हुआ है तभी तो घरवापिसी का अभियान चलाने की बात उठ रही है | अतः धर्मांतरण न हो इसका प्रयत्न होना चाहिए |

तथाकथित सेक्यूलर पहले मुद्दे पर अड़े हैं, तो संघ व भाजपा दूसरे मुद्दे पर देश का ध्यान केन्द्रित करने का प्रयत्न कर रहे हैं | और दोनों पक्षों की बहस मुबाहिसे में संसद के विधाई कार्य अटक रहे हैं | इस बीच नन्द किशोर बाल्मीकी गिरफ्तार हो चुके हैं और दूसरी तरफ तंजीम नामक संगठन के बुर्काती ने वहां उन चर्चित लोगों को पुनः नमाज पढवाना शुरू कर दिया है | स्थानीय समाजवादी नेताओं ने उन लोगों को दाल चावल देना शुरू कर दिया है तो मुम्बई के मुस्लिम संगठनों की तरफ से भी आर्थिक मदद आना शुरू हो गई है | अब सवाल उठता है कि अगर घरवापिसी उचित नहीं तो उसकी प्रतिक्रिया में चालू हुआ दान अभियान क्या जायज है ?

स्मरणीय है कि जिन लोगों के धर्मांतरण अथवा घरवापिसी की बात की जा रही है, वे लोग मूलतः पश्चिम बंगाल के रहने वाले हैं, अत्यंत दयनीय स्थिति में झुग्गी झोंपड़ी में रहते हैं, उनके बच्चे स्कूल नहीं जाते, कचरे के ढेरों में से टूटाफूटा प्लास्टिक व पन्नियाँ बीनकर व उन्हें बेचकर अपने परिवार के उदरपोषण में अपना योगदान देते हैं | जिस प्रकार खाली दिमाग को शैतान का घर कहा जाता है, खाली पेट भी बेचारगी का मूल कारण हैं | विवेकानंद जी ने कहा था कि खाली पेट को धर्म मत सिखाओ | पर कौन मानेगा उनकी बात को ? रतलाम में ईसाई मिशनरियों द्वारा आदिवासियों के धर्म परिवर्तन का प्रयास हो अथवा आगरा का घरवापिसी नाटक, क्या महत्व है इसका ? धर्म तो जीवन का संगीत होना चाहिए न कि नक्कार खाने का बेसुरा शोर |

इस परिप्रेक्ष में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ प्रमुख मोहन भागवत का यह कथन महत्वपूर्ण है कि धर्मातरण के खिलाफ कानून बनाया जाए, जो पूरे देश के लोगों पर लागू हो। अगर हिंदू बनने से लोगों को रोकना चाहते हैं तो यह भी सुनिश्चित करें कि कोई हिंदू भी दूसरे धर्म में नहीं ले जाया जाए। शनिवार को कलकत्ता में आयोजित विशाल हिंदू सम्मेलन में सर संघचालक ने विश्व हिंदू परिषद के घर वापसी कार्यक्रम का विरोध करने वालों को आड़े हाथ लेते हुए कहा, अगर कभी किसी ने हमारी संपत्ति की चोरी की है और अब हम उसे बरामद करके वापस ले रहे हैं, तो उसमें गलत क्या है ?

हमारा उद्देश्य हिंदू समाज को मजबूत बनाना है। दुनिया को बचाने के लिए सम्पूर्ण हिन्दू समाज फिर से अमृतसंजीवनी लेकर खड़ा हो इसकी आवश्यकता है |उन्होंने कहा कि जब-जब हिन्दू समाज की उन्नति हुई तब सब प्रकार के संकट से ग्रस्त दुनिया को सुख का रास्ता मिला है | पाकिस्तान भी कभी भारत भूमि थी, लेकिन आप देखिये वहां हिन्दू को खड़ा होने लायक नहीं रखा | अब पाक सुख में है या दुःख में ?

भागवत ने कहा, हिंदू समाज किसी को दबाना नहीं चाहता। बांग्लादेश और पाकिस्तान में हिंदू अपराध सह रहा है। ईश्वर ने साफ कहा है कि जब सौ से ज्यादा अपराध हो जाएं तो फिर उसे मत सहो। उन्होंने याद दिलाया कि कभी भारत का हिस्सा रहे पाकिस्तान में इसीलिए हिंदुओं की संख्या कम होती चली गई क्योंकि वे वहां पर शांति से रहने के बावजूद सुरक्षित नहीं हैं। 

संघ प्रमुख ने कहा कि जब तक देश में हिंदू मजबूत रहेगा, तब तक इस देश का वजूद रहेगा। अब हिंदू समाज अपनी संपत्ति और सम्मान की रक्षा करने में सक्षम है, इसलिए किसी को चिंता करने की जरूरत नहीं है। पूरी दुनिया की भलाई के लिए हिंदू समाज का मजबूत रहना आवश्यक है। आज हिन्दू समाज जाग रहा है | सज्जनों को हर्षित करने वाली और दुर्जनों को भयकंपित करने वाली बात अब प्रत्यक्ष हो रही है | हम अपने देश में है, हमे किसी प्रकार का भय करने की आवश्यकता नहीं है | हम कही दूसरी जगह से यहाँ पर घुस कर नहीं आये, घुसपैठ करके नहीं आये | हम बाहर से यहाँ बसने के लिए भी नहीं आये | हम यहीं पर जन्मे, इसी मिटटी में पले, इसी देश के उत्थान में लगे पूर्वजो के वंशज है | 

यह हमारा देश है | यह हमारा हिन्दू राष्ट्रहै | हिन्दू भागेगा नहीं | हिन्दू अपनी भूमि, अपनी जगह छोड़ेगा नहीं | जो कुछ पहले की हमारी निद्रा के कारण गया है, उसको वापस लाने का पुरुषार्थ अब हम करेंगे |उन्होंने कहा कि सपूर्ण दुनिया की भलाई के लिए हिन्दू जाग रहा है | उसके जागने से किसी को डरना नहीं चाहिए | डरेंगे वही जो स्वार्थी होंगे, दुष्टहोंगे और इसलिए हिन्दू समाज के जागरण के विरुद्ध में उठने वाली आवाजें केवल उन्ही लोगो की होती है, जिनके स्वार्थ को खतरा होता है या जिनकी दुष्टता पर प्रतिबन्ध आता है | आज दुनिया को बचाने के लिए सम्पूर्ण हिन्दू समाज फिर से अमृतसंजीवनी लेकर खड़ा हो इसकी आवश्यकता है, और इसलिए उस हिन्दू समाज को हम सब लोग मिलकर खड़ा कर रहे है |

जो भूले भटके बिछड़ गये उनको वापस लायेंगे | हमारे से ही गये है | खुद नहीं गये | लोभ, लालच, जबरदस्ती से लूट लिए गये | अब हमसे जो लूट लिए गये,तो चोर पकड़ा गया, उसके पास मेरा माल है | दुनिया जानती है वो मेरा माल है तो मै उसको वापस लेता हूँ इसमें क्या बुराई है? 

पसंद नहीं तो कानून बनाओ| संसद ने कानून बनाने के लिए कहा है | कानून बनाने के लिए तैयार नहीं तोक्या करेंगे ? हमको किसी को बदलना नहीं है | हिन्दू किसी को बदलना है इसमें विश्वास नहीं करता | हिन्दू कहता है परिवर्तन अन्दर से होता है | लेकिन हिन्दू को परिवर्तन नहीं करना है तो हिन्दू का भी परिवर्तन नहीं करना चहिये | इस पर हिन्दू आज अड़ा है | खड़ा होगा और अड़ेगा | दुनिया में दुष्ट भी है और उसमे दुश्मनी करने वाले लोग है | तो ऐसे दुश्मनों से अपनेआप को और अपनी प्रजा को मै बचा सकता हूँ, इतना लड़ना मै जानता हूँ | हिन्दूभी इतना लड़ना जानता है, और हिन्दू इतना ही लड़ता है, इससे ज्यादा नहीं लड़ता|हिन्दू के प्रति किसी प्रकार की शंका करने का कोई कारण नहीं | 

हम हिन्दू है, हम हिन्दू रहेंगे और हिन्दू के जो काल सुसंगत शास्वत तत्व है, जो सारीदुनिया पर लागू होते है, जिनके आधार पर चलने से दुनिया का कल्याण होगा, उनतत्वों को अपने आचरण से हम सारी दुनिया को देने वाला हिन्दुस्थान खड़ा करना चाह रहे है | और उसको हम खड़ा करके रहेंगे | आज के सम्मलेन का अंतिम संकल्प यहीं है | हिन्दुस्थान में परम वैभव संपन्न हिन्दू राष्ट्र और सुखी सुन्दर मानवता संपन्न दुनिया बनाने वाला विश्व गुरु हिन्दुस्थान, इसको खड़ा करने के लिए हमने संकल्प लिया है 'प्रारंभिक संकल्प' | 

हमे उसके आचरण पर पक्का रहना है | देखिएगा ज्यादा समय नहीं लगेगा |उन्होंने कहा यहाँ बैठे हुए जवानों की जवानी पार होने के पहले जो परिवर्तन आप जीवन में चाहते हो, उस परिवर्तन को होता हुआ आप अपनी आँखों सेदेखोगे | एक शर्त है, आज जो संकल्प आपने लिए उनपर आपको हर कीमत पर पक्का रहना पड़ेगा | और इसलिए इन संकल्पों का स्मरण नित्य मन में रखिये और अपना आचरण उस स्मरण के अनुसार कीजिये और निर्भय होकर, आश्वस्त होकर अंतिम विजय की निश्चिंती मन में लेकर हम सब लोग चलना प्रारंभ करे इतना आह्वान करता हूँ |

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