स्वदेशी जागरण मंच द्वारा कृषि नीति घोषित करने की मांग

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के समविचारी संगठन स्वदेशी जागरण मंच की 12वीं राष्ट्रीय सभा 26 से 28 दिसंबर तक भुवनेश्वर के आईआईटी संस्थान में संपन्न हुई | स्वदेशी जागरण मंच ने केन्द्र सरकार से अविलंब भारतीय कृषि नीति घोषित करने की मांग की है. तीन दिवसीय सभा ने अपने पारित प्रस्तावों में इसे विडंबनापूर्ण बताया है कि जहां एक ओर 55 प्रतिशत से ज्यादा लोग खेती में लगे हैं, वहां कोई कृषि नीति ही नहीं है. वक्ताओं ने भारत की अर्थ नीति को देश और जनता के हित में बनाने पर जोर दिया. राष्ट्रीय सभा में चार अहम प्रस्ताव पारित किये गये.

1 भारत सरकार को पेटेंट कानून के अंतर्गत दार्जिलिंग चाय, बासमती चावल, टैक्सटाइल उत्पादों और भारत के बहुत सारे अन्य मूल कृषि उत्पादों की भौगोलिक पहचान के संरक्षण की विशेष मांग करनी चाहिये.

2 स्वदेशी जागरण मंच देश की राष्ट्रभक्त जनता से भी अपील करती है कि पर्यावरणीय संकट की गंभीरता को समझते हुए सरकार के पर्यावरण को बचाने में प्रयासों में सहयोग करे. यदि हम पर्यावरण को बचा पाते हैं तो पर्यावरण हमें बचायेगा. यदि हम इसे नष्ट करते हैं तो ये निश्चित हमें नष्ट कर देगा. चुनाव हमें करना है.

3 स्वदेशी जागरण मंच की स्पष्ट मान्यता है कि पिछले दो दशकों से चल रहे भूमंडलीकरण का देश की अर्थव्यवस्था पर विध्वंसकारी प्रभाव पड़ा है. सरकार की विदेशी निवेश प्रोत्साहन नीति के कारण, कृषि क्षेत्र में भी अनुबंध पर कृषि के माध्यम से विदेशी कंपनियां प्रवेश कर रही हैं और जीएम फसलों के कारण देश की जैव विविधता और खाद्य सुरक्षा पर संकट है.
अतः स्वदेशी जागरण मंच की राष्ट्रीय सभा यह मांग करती है कि विदेशी कंपनियों को आमंत्रित करने की मेक इन इंडिया की नीति का परित्याग किया जाये. भारतीय प्रतिभा, कौशल और संसाधनों पर विश्वास करते हुए देश के विकास की रणनीति तैयार हो.

4 स्वदेशी जागरण मंच की सभा अपील करती है कि जमीन, जल और जंगल के प्रबंधन एवं उपयोग का स्वदेशी मॉडल विकसित किया जाये. स्वदेशी जागरण मंच यह मांग करता है कि खेती, खेती आधारित उद्योग, खाद्य प्रसंस्करण उद्योग, कुटीर उद्योग, घरेलू उद्योग एवं ग्रामीण उद्योग, खादी को मनरेगा के साथ संबद्ध कर उत्पादन व रोजगार को बढ़ावा दिया जाये. यह नीति सरकार को एक सबल, स्वावलंबी, स्वाभिमानी, स्वदेश तथा विकासशील भारत के निर्माण में मदद करेगी.

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