दिल्ली में भाजपा की पराजय के साइड इफेक्ट |



दिल्ली चुनाव प्रचार बड़े ही रोचक अंदाज में जारी है | अरविन्द केजरीवाल हमेशा की तरह समाचारों की सुर्ख़ियों में बने रहने की अपनी कला का प्रदर्शन कर रहे हैं | कभी कहते हैं कि उनके खिलाफ भाजपा वालों ने कोई स्टिंग ऑपरेशन किया हुआ है, जिसका उपयोग उनके व उनके प्रत्यासियों के चरित्रहनन के लिए किया जाने वाला है | भाजपा प्रवक्ता ने तुर्की बतुर्की इसे चोर की दाढी में तिनका करार दिया और कहा कि इसका मतलब यह है कि अरविन्द ने कोई पाप किया है, जिसके उजागर होने के भय ने उनके पसीने छुड़ा रखे हैं | खैर अभी तक तो यह सब हवा में तलवार घुमाना ही दिखाई दिया है | न तो कोई स्टिंग सामने आया है और नही कोई पाप उजागर हुआ है |

आज केजरीवाल जी ने दूसरा सिगूफा छोड़ा है कि उनके वालंटियरों को प्रचार से दूर हो जाने के लिए हजारों रुपयों की पेशकश की जा रही है | मनीष सिसौदिया साहब ने फरमाया कि उनके एक वालंटियर ने अपनी कीमत बताई साफ़ सुथरी राजनीति, जो देने में भाजपा सरासर असमर्थ है |

भाजपा के कार्यकर्ता भी आरोप लगाने किसी से पीछे नहीं हैं | सोशल मीडिया पर शराब के पेग उड़ाते आप की टोपी लगाए कार्यकर्ताओं के फोटो व्यापक पैमाने पर दिखाए और प्रचारित किये जा रहे हैं | भाजपा कार्यकर्ताओं द्वारा अपने परम्परागत मतदाताओं को अपने साथ रखने के लिए आप पर सबसे बड़ा आरोप तुष्टीकरण और अराजकता का लगाया जा रहा है | भगोड़ा का नारा तो इतना लगाया गया है कि अब वो केवल ऊब पैदा करने लगा है | अब एक नई बात सामने आई है कि भाजपा प्रतिदिन अरविंद केजरीवाल से पांच सवाल पूछेगी | स्वाभाविक ही आप के लोग किरण बेदी के बहस से पलायन विषय को सामने लाकर अभी से दण्ड पेलने लगे हैं |

उधर अन्ना हजारे ने लोकायुक्त के जिन्न को फिर से बाहर निकालने की घोषणा कर सनसनी तो पैदा कर ही दी है | दिल्ली में कांग्रेस भले ही हासिये पर मानी जा रही हो, पूरे देश में भी फिलहाल अगले वर्ष होने वाले दो राज्यों के चुनावों में भी उसकी भूमिका नगण्य मानी जा रही हो, किन्तु उसका संगठनात्मक ढांचा बरकरार है | भाजपा के साथ 36 का आंकड़ा रखने वाले लोग अभी भी उसे ही अपना आशा केंद्र मानते हैं, यह तथ्य सर्वज्ञात है | इन लोगों को तलाश है केवल मुद्दों की | जैसे जैसे समय बीतता जाएगा, मोदी जी के प्रति विश्वास कमजोर होगा और सत्ताधीशों के खिलाफ मुद्दों की तो बरसात हो ही जाती है |

राजनीति में शुचिता की बात करने वाले आपिये, अगर कभी सत्ता में आये तो कितने शुद्ध रह पायेंगे ? प्रतिदिन संघस्थान पर नमस्ते सदा बत्सले गाने वाले अगर राजनीति कि रपटीली राह पर फिसलते लुढ़कते दिख जाते हैं तो, ये आधुनिकता के पर्याय तथाकथित अराजकतावादी, वामपंथी कितने पाक साफ़ रह पायेंगे, यह संदिग्ध भी है और विचारणीय भी | दिल्ली चुनाव में भाजपा अगर पराजित होती है, तो आत्मविश्वास विहीन हो चुके अन्य दलों और लोगों को प्राणवायु मिल जायेगी | जिस प्रकार अन्ना के आन्दोलन को परदे के पीछे से संघ स्वयंसेवकों का समर्थन मिल गया था, इस बार कांग्रेस और वामपंथी उनके नाम पर देश में अस्थिरता पैदा करने का पुरजोर प्रयत्न नहीं करेंगे, ऐसा सोचना भी हास्यास्पद है |

भाजपा के परंपरागत समर्थक भी अब निराश होते जा रहे हैं | यही कारण है कि सोशल मीडिया पर मोदी समर्थन की जो धार लोकसभा चुनाव के पूर्व दिखाई देती थी, उसका स्थान अब मजाक और आलोचना ने ले लिया है | विगत अनेक दिनों से आप समर्थक ट्विटर ट्रेंड ही टॉप चल रहा है | यह स्थिति न केवल भाजपा और मोदी समर्थकों के लिए निराशाजनक और चिंतनीय है, वहीं बदलाव की जो आशा देश ने लगा रखी थी, उसकी भी भ्रूण ह्त्या का खतरा सामने हैं |

आशा की जाना चाहिए कि देश में बदलाव लाने के संकल्प को पूरा करने की खातिर भाजपा अपने आप में भी परिवर्तन लाने पर विचार करेगी | अन्यथा नतीजा वही ढाक के तीन पात होगा | बड़े नेता ईमानदार रहें और नीचे का तन्त्र महाभ्रष्ट तो नतीजा बेहतर नहीं आ सकता | दीनदयाल जी के शब्दों में कहा जाए तो विषयाशक्त मनुष्य पौरुषविहीन होकर स्वयं और समाज के नाश का कारण बनता है | दिल्ली चुनाव में भाजपा का माईनस मार्किंग म्युनिसपल काउंसिल का भ्रष्टाचार ही है | समय रहते भाजपा को अपना ग्रासरूट ठीक करना चाहिए | अन्यथा –

बड़े गौर से सुन रहा था ज़माना,

तुम्हीं सो गए दास्ताँ कहते कहते |

यह स्थिति देश के भविष्य के लिए अत्याधिक कष्टकारक होगी | बमुश्किल तमाम आज देश के शीर्ष पर पाक साफ़ लोग माने जा रहे है, कहीं ऐसा न हो कि वहां पुनः पुराना तंत्र ही काबिज हो जाए | अगर ऐसा हुआ तो निश्चय ही बहुत बुरा होगा |


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