क्या जनवरी के अंत तक लालू-नितीश होंगे एक ही पार्टी में ?


विगत कई दिनों से जनता दल परिवार को इकठ्ठा करने में जुड़े लालू प्रसाद की पार्टी आरजेडी और बिहार में सत्ताधारी जेडीयू का जनवरी के अंत तक विलय हो सकता है !
इससे पहले भी केरल की सोशलिस्ट जनता (डेमोक्रेटिक) का जनता दल में विलय हो गया है !

22 दिसंबर को दिल्ली के जंतर-मंतर पर जनता परिवार के बिखरे सदस्यों ने एकीकृत रूप में नरेंद्र मोदी से चुनाव के दौरान किए गए उनके वादों का हिसाब मांगा ! लोकसभा चुनाव में मिली हार के बाद सपा, आरजेडी, INLD, जेडी (एस) और जेडीयू के सामने अपना गढ़ बचाने की चुनौती है !

यदि जनता परिवार के सदस्य दलों के पूर्व के साथ नजर डाले, तो नए ‘समाजवादी जनता दल’ का रास्ता काटों भरा दिखता है ! दिल्ली में हुई दो बैठकों के बाद सपा प्रमुख मुलायम सिंह यादव को नए एकीकृत दल के प्रारूप का मसौदा तैयार करने की जिम्मेदारी सौपी गयी है ! ऐसे में सवाल उठता है कि क्या नया दल मौजूदा केंद्र सरकार की बदली हुई विकास केंद्रित राजनीति के सामने चुनौती पेश कर पाएगा ? नए समाजवादी जनता दल की चुनौतियों भी कम नहीं हैं ! मुलायम सिंह, नीतीश कुमार और लालू जैसे नेताओं के सामने जनता दल का एकीकरण करना बड़ा मसला नहीं है, उनके लिए बड़ी चुनौती एकीकृत नए दल के लिए जनता का भरोसा जुटाना होगा ! अब देखना होगा की इन नेताओं की एकजुटता पर जनता कितना विश्वास दिखलाती है ?

नरेन्द्र मोदी की देश भर में लहर से एक जुट होने पर मजबूर हुई यह पार्टियां :-

नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली बीजेपी लगातार राज्य चुनावों में अपनी विजय पताका फहराती जा रही है ! महाराष्ट्र और हरियाणा में उसने अपने दम पर सरकार बनाई है ! झारखंड में भी बीजेपी सरकार ने शपथ ले ली है और जम्मू-कश्मीर में भी बीजेपी दूसरी सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी है एवं जम्मू काश्मीर में भी सरकार बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने को तैयार है !

आखिर कौन करेगा इस दल का नेतृत्व ?

सबसे बड़ा सवाल यह है कि यदि ऐसा नया एकीकृत समाजवादी जनता दल उभर कर सामने आता है, तो उसका नेतृत्व कौन करेगा ? क्या मुलायम सिंह इसके नेता होंगे ? क्या बाकी नेता मुलायम सिंह पर विश्वास कर पायेंगे ? . इन सभी दलों को मिलाकर देखा जाए तो लोकसभा में इनके सदस्यों की संख्या महज 15 है, जबकि राज्यसभा में इनकी स्थिति थोड़ी मजबूत दिखती है !

क्या नरेन्द्र मोदी का विकल्प बन पायेगा जनता दल परिवार ?

जनता दल परिवार से जुड़े लालू यादव ने बिहार में 15 वर्षों तक राज्य किया परन्तु उनके शासनकाल में बिहार की क्या स्थिति रही यह सभी अच्छी तरह जानते है ! यादव-मुस्लिम समीकरण के फ़ॉर्मूले के चलते लालू लम्बे समय तक बिहार में जमे रहे, परन्तु उनका यह फ़ॉर्मूला काम आएगा यह कहना बड़ा कठिन है ! उत्तर प्रदेश के से मुलायम सिंह यादव भी पूर्व में मुख्यमंत्री रहे एवं वर्तमान में उनके बेटे अखिलेश यादव पूर्ण बहुमत से उत्तर प्रदेश में सरकार चला रहे है, परन्तु यहाँ भी बिजली, पानी और सड़कों के साथ साथ तमाम सारी ऐसी समस्याए है जो पूर्व की भाँती आज भी जैसी की तैसी है ! नितीश कुमार ने जरूर इनसे बेहतर करने की कोशिश की परन्तु एक सीमा के भीतर वह भी सिमट के रह गए !

अपने अपने राज्यों में दलित, अल्पसंख्यक और पिछड़ों के दम पर राज करने वाले ये क्षेत्रीय नेता क्या नई सोच और नीति के बिना नरेंद्र मोदी का विकल्प हो पायेंगे ?




















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