शांति की खोज
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जब जब याद करूं बेटे को
लाड का अंकुर उगता है,
राखी पर बहना याद करूं,
तो नेह का सागर बहता है !
पर कैसा होता अजब गजब,
दिल में नश्तर सा चुभता है,
जब जहन में उभरे शत्रु चित्र,
आँखों में खून उतरता है !
जैसों को भी हम याद करें,
बैसे ही भाव बहें मन में,
नेह प्रेम जागे अपनो को
पर दुश्मन को नफ़रत क्षण में !
तो याद करें अंतस से प्रभु को,
जो शान्ति प्रदाता सुख दायक !
मामाभि रक्षय रघुकुल नायक,
घृत वर चाप रुचिर कर सायक !!
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काव्य सुधा
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