दुबई में फिल्म "पीके" का प्रमोशन करने वाले आतंकी सहयोगी |


अंग्रेजी समाचार पत्र सन्डे गार्जियन में आज माधव नालापत का एक लेख प्रकाशित हुआ है जिसके अनुसार - जिस पाकिस्तानी टेलीविजन चेनल ARY (अब्दुल रहमान याकूब) के सहयोग से फिल्म पीके का दुबई में प्रमोशन प्रदर्शन किया गया, उसका घनिष्ठ सम्बन्ध आतंकी समूहों के साथ है | इस जानकारी के सामने आने के बाद राजनैतिक भूचाल आने की संभावना है | उक्त कम्पनी का नजदीकी सम्बन्ध पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी ISI के साथ भी होने की बात सामने आई है | इसके संस्थापक ए.आर. याकूब को इक़बाल मिर्ची का भी सहयोगी बताया जाता है, जो 1993 के मुंबई विस्फोटों के लिए जिम्मेदार था और जिसे संयुक्त राष्ट्र, ब्रिटेन और अमेरिका द्वारा विशेष रूप से नामित आतंकवादी सूची में रखा गया है । चैनल ARY ने 2007 में एक गुजराती चेनल के साथ मिलकर भारत में अपनी जड़ें फैलाने का प्रयत्न किया था, किन्तु रॉ से प्राप्त खुफिया जानकारी के बाद उसे मना कर दिया गया था । अधिकारियों का कहना है कि भारतीय बाजार में प्रवेश के लिए उक्त चैनल नए सहयोगियों की तलाश में है, उसी की कड़ी में फिल्म पीके के प्रमोशन में उसकी भूमिका मानी जा रही है ।
इस नई परिस्थिति में भाजपा नेता श्री सुब्रमण्यम स्वामी का यह बयान ख़ास हो जाता है, जिसमें फिल्म पीके की फंडिंग की जांच की मांग की गई थी |
ब्रिटेन में एआरवाई की सहभागी, एआरवाई डिजिटल ब्रिटेन, एक हवाला चैनल के साथ जुड़े होने के संदेह पर वर्ष 2004-05 के दौरान लंदन में अधिकारियों द्वारा जांच की गई थी । चेनल के संस्थापक याकूब का भुट्टो परिवार के साथ करीबी सम्बन्ध था तथा कहा जाता है कि वह सोने की तस्करी से करोडपति बना था । इससे भी बुरी बात यह है कि एआरवाई समूह पर भारतीय एजेंसियों द्वारा असम में उल्फा को आर्थिक सहायता प्रदान करने का आरोप भी लगाया गया था उसे भारत के खिलाफ पाकिस्तान का एक हथियार माना जाता है ।
2005 में लंदन बुलियन मार्केट एसोसिएशन ने जांच के बाद एआरवाई डिजिटल और एआरवाई ऑरम प्लस समूह का लाइसेंस रद्द कर दिया । यद्यपि उसका विवरण जारी नहीं किया गया है, किन्तु माना जाता है कि काले धन को वैध बनाने, नार्को तस्करी और आतंकवाद के वित्त पोषण के आरोपों के कारण यह किया गया । एक वरिष्ठ अधिकारी के अनुसार यह समूह "अक्सर वैश्विक अभियान में आईएसआई की मदद करता है" है । याकूब परवेज मुशर्रफ के भी करीब था।
वित्त मंत्री अरुण जेटली और गृह मंत्री राजनाथ सिंह को चाहिए कि वे श्री स्वामी के सुझाव को मानते हुए पीके के वित्त पोषण की जांच कराएँ ।

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