सोनिया जी की जीवनगाथा का नाट्य रूपांतर "द रेड साड़ी" – कुछ ख़ास बातें



स्पेनिश लेखक जेवियर मोरो द्वारा सोनिया गांधी पर लिखी किताब 'द रेड साड़ी' एक बार फिर पाठकों के लिए उपलब्ध होगी ! इससे पहले 2010 में आई इस किताब का कांग्रेस पार्टी और कार्यकर्ताओं ने "असत्य, आधा सच, झूठी बातें और मानहानिकारक " बताते हुए काफी विरोध किया था, जिसके कारण कोई औपचारिक प्रतिबन्ध न होते हुए भी इसे बाजार से हटा लिया गया था ! स्पेनिश लेखक जेवियर की यह किताब फ्रेंच, इटालियन और डच भाषा में अनुवाद के बाद 2008 से ही बिक रही है ! भारत में बेचने के लिए इस पुस्तक का अंग्रेजी में अनुवाद किया जा रहा है !

इस पुस्‍तक को भारत में प्रकाशित करने के बाद प्रकाशक रोली बुक्‍स ने ट्वीट किया कि 'लाल साड़ी अब भारत में भी उपलब्‍ध है ' ! इस पुस्‍तक में सोनिया गांधी की जीवनी को कथा के रूप में पेश किया गया है ! मिसेज गांधी के वकीलों को इस बात से आपत्ति थी कि किताब में उनकी इटली में बीती जिंदगी के बारे में विस्तार से लिखा गया था ! इस पर किताब के स्पेनिश लेखक जेवियर मोरो ने कहा था कि उनके विरोध के कारण मैं यह तो नहीं लिख सकता था कि सोनिया गांधी भारत में ही पैदा हुई थीं !'

गौरतलब है कि 2015 में इस किताब को प्रकाशित करने की तैयारी कर रहे रोली बुक्स प्रकाशन का कहना है कि यह एक ऐसी कहानी है जिसे हर किसी को पढ़ना चाहिए ! हालांकि लेखक का यह भी दावा है कि कांग्रेस अध्यक्ष की जिंदगी पर आधारित इस किताब की कहानी काल्पनिक हैं ! लेखक का कहना है कि इसे किसी व्‍यक्ति से जोड़कर नहीं देखा जाना चाहिए ! 

उस समय लेखक ने यह भी कहा था कि पुस्‍तक का प्रकाशन अभी अंग्रेजी भाषा में हुआ ही नहीं है, फिर कांग्रेसी कैसे पुस्‍तक में विवाद का दावा कर सकते हैं ! लेखक ने कहा कि इसका अर्थ हुआ कि कांग्रेसियों ने चोरी से प्रकाशन से पूर्व की पुस्‍तक की प्रति हासिल कर ली है, जिसके चलते उन पर मुकदमा होना चाहिए !

कहा जाता है कि इसमें सोनिया के बचपन, प्रेम संबंधों से लेकर पूरे राजनीतिक सफर की कहानी बयां की गई है ! इस किताब में नेहरू-गांधी परिवार की जिंदगी के साथ ही बांग्लादेश युद्ध, इमरजेंसी, ऑपरेशन ब्लू स्टार जैसी विवादित घटनाओं का भी जिक्र है ! जो भी हो इस पुस्तक के प्रकाशन से पहले से गर्त में गई कांग्रेस की हालत दुबले और दो अषाढ़ जैसी होने जा रही है | 
UK 'Telegraph' के अनुसार पुस्तक की कुछ ख़ास बातें हैं जिनके चलते कांग्रेस इसके प्रकाशन का विरोध करती रही है – 

जैसे कि पुस्तक में दावा किया गया है कि वे भारत छोड़ना चाहती थीं तथा हिन्दी सीखना नहीं चाहती थीं | उनका मानना था कि हिंदी तो नौकरों की भाषा है, उन्हें क्यूं सीखना चाहिए | 
सोनिया गांधी और मेनका गांधी के बीच की कटुता को जिस अंदाज में प्रस्तुत किया गया है, वह भी सोनिया जी के लिए परेशानीदेह है | 
उसमें इटली के समाचार पत्रों में छपे वे आलेख हैं जो उनके पति और भारत के तत्कालीन प्रधान मंत्री राजीव गांधी की ह्त्या के बाद प्रकाशित हुए | उन लेखों में उनकी मां के साथ हुआ उनका वार्तालाप दर्शाया गया था |

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