आज के दैनिक भास्कर, भोपाल में प्रकाशित संघ संबंधी समाचार त्रुटिपूर्ण |



दैनिक भास्कर के आज के अंक में एक समाचार प्रकाशित हुआ है - संघ ने नई किताब में लिखा- खलनायक था नाथूराम गौडसे"| वस्तुतः नई किताब शब्द प्रयोग त्रुटिपूर्ण है | 1948 में गांधी जी की ह्त्या के तत्काल बाद तत्कालीन सरसंघचालक श्री मा.स. गोलवलकर ने तत्कालीन प्रधानमंत्री प.जवाहरलाल नेहरू, गृहमंत्री सरदार पटेल को लिखे थे तथा साथ ही प्रेस को भी अपना स्टेटमेंट दिया था | इन पत्रों से यह स्पष्ट होता है कि महात्मा गांधी की हत्या को लेकर संघ का उस समय भी स्पष्ट अभिमत था कि वह एक दुष्टतापूर्ण कृत्य था | यह पत्र भी 16 दिसंबर 1983 को भारतीय विचार साधना डॉ. हेडगेवार भवन, महाल नागपुर ने भी प्रकाशित किये थे | अतः यह लिखना कि मोदी सरकार बनने के बाद संघ के रुख में बदलाव आया है, या किसी नई किताब में पहली बार इन्हें प्रकाशित किया गया है, अनौचित्यपूर्ण है | 

प्रस्तुत हैं श्री गुरूजी द्वारा प्रधानमंत्री श्री जवाहरलाल नेहरू को लिखा गया पत्र -
नागपुर, 

31 जनवरी 1948

मान्यवर पंडित जी,

कल चेन्नई में वह भयंकर वार्ता सुनी कि किसी अविचारी भ्रष्ट ह्रदय व्यक्ति ने पूज्य महात्मा जी पर गोली चलाकर उस महापुरुष के आकस्मिक असामयिक निधन का निर्घ्रण कृत्य किया | यह निन्द्य कृत्य संसार के सम्मुख अपने समाज पर कलंक लगाने वाला हुआ है | यदि किसी शत्रु राष्ट्र के व्यक्ति द्वारा यह कृष्ण कृत्य होता, तो भी असमर्थनीय होता, क्योंकि पूज्य महात्मा जी का जीवन किसी समुदाय विशेष की सीमा से ऊपर उठकर मानव समाज के हितार्थ समर्पित था | फिर इसी देश के निवासी से यह अनापेक्षित दुराचार हुआ देख प्रत्येक राष्ट्रीय का ह्रदय असहनीय वेदनाओं से व्यथित हो उठे, तो कोई आश्चर्य नहीं | 

जब से मैंने यह समाचार पाया, अंतःकरण शून्य सा हो रहा है | निकट भविष्य की भीषणता देख इस श्रेष्ठ संयोजक के तिरोधान से ह्रदय चिंता से भर गया है | एक ऐसे कुशल कर्णधार के ऊपर आक्रमण, जिसने अनेक प्रतिकूल पृकृति वाले व्यक्तियों को एक सूत्र में बांधकर योग्य मार्ग पर प्रवृत्त किया, एक व्यक्ति नहीं वरन सारे देश के प्रति विश्वासघात है | निसंदेह आप अर्थात आज की सरकारी संस्थाएं, ऐसे देशद्रोही व्यक्ति के प्रति उसके योग्य व्यवहार करेंगे | यह व्यवहार कितना भी कठोर क्यों न हो, हानि की तुलना में कोमल ही रहेगा | इस सम्बन्ध में मुझे कुछ कहने की आवश्यकता नहीं है | 

परन्तु आज हम सबके लिए परिक्षा की घड़ी आई है | इस वर्तमान संकटकालीन अवस्था में अविचलित निर्णयात्मक बुद्धि, वाणी की मधुरता और राष्ट्र के हित के प्रति एकनिष्ठ श्रद्धा के साथ अपने राष्ट्र की नौका के पूर्ण सुरक्षित परिचालन का दायित्व हम सब पर है | ऐसे संगठन की ओर से, जिसका गठन इन्हीं आधारों पर किया गया है, इस संकटकाल में राष्ट्रीय शोक के सहभागी अंग के रूप में, विदा होने वाली आत्मा के पवित्र संस्मरणों के प्रति अपनी श्रद्धा व्यक्त करते हुए मैं करुणानिधान सर्वशक्तिमान के चरणों में प्रार्थना करता हूँ कि वह हम लोगों को आवश्यक प्रेरणा और विवेक प्रदान करे, जिससे एक सच्ची एवं चिरस्थाई एकता हमारी जनता में चिरस्थाई हो |

माता की सेवा में रत

आपका 

माधव सदाशिव गोलवलकर 

इसी प्रकार का पत्र श्री गुरूजी ने तत्कालीन गृह मंत्री सरदार वल्लभ भाई पटेल को भी लिखा तथा प्रेस को भी स्टेटमेंट देकर इसी प्रकार की भावनाओं को अभिव्यक्त किया |



नागपुर, 31 जनवरी 1948 

आदरणीय सरदार पटेल, 

प्रणाम | 

कल मद्रास में मैंने उस भयानक घटना का समाचार सुना, जिसने सारी मानवता को झकझोर दिया है | कदाचित ऐसी निंदनीय तथा घृणित घटना पहले कभी नहीं देखी गई | मेरा ह्रदय घोर पीड़ा से व्यथित है | जिस व्यक्ति ने यह अपराध किया है, उसकी निंदा के लिए शब्द भी पाना कठिन है | ऐसी अकारण दुष्टता का विचार भी बोधगम्य नहीं है | उस व्यक्ति के विषय में क्या कहा जा सकता है, जिसने इस प्रकार सारे संसार को इस प्रकार अकथनीय शोक से ग्रस्त कर दिया है | 

परन्तु हमें उस दायित्व का वहन करना चाहिए जो उस महान संगठनकर्ता के अकाल प्रयाण से हमारे ऊपर आ पडा है, और हम इसके लिए उस आत्मा के पवित्र संस्मरणों को जीवित रखें जिसने विभिन्न प्रकृतियों को एक सूत्र में आबद्ध किया और जो उन सबका एक मार्ग पर नेतृत्व कर रही थी | अतः हमें सही अनुभूतियों, संयत वातावरण और बंधुभाव के द्वारा अपने बल को संचित करना चाहिए और राष्ट्रीय जीवन को चिरस्थाई एकात्मता से आबद्ध करना चाहिए | उस संगठन की ओर से, जो इसी विश्वास और एकात्मता के आधार पर बना है, मैं उस दयानिधान परमेश्वर के श्रीचरणों में प्रार्थना करता हूँ कि वह इस राष्ट्र के पुत्रों का सही पथ पर मार्गदर्शन करे और एक शुद्ध एवं शक्तिमान राष्ट्रीय जीवन निर्माण करने की प्रेरणा दे | 

माता की सेवा में 

आपका 

माधव सदाशिव गोलवलकर

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