सहरिया जनजाति छात्रावास शिवपुरी - एक अनूठा प्रकल्प

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महाकालेश्वर मंदिर के दर्शनार्थ उज्जैन पहुंचे वनवासी बच्चे

शिवपुरी में 2001 से सेवाभारती द्वारा सहरिया वनवासी बालक छात्रावास संचालित किया जा रहा है | प्रारम्भ में तो यह छात्रावास किराए के भवन में संचालित था, किन्तु जुलाई 2010 से निजी भवन में संचालित है | यह जनजातीय छात्रावास सामाजिक, शैक्षणिक तथा धार्मिक गतिविधिओं का केंद्र है | इस छात्रावास में वर्तमान में कक्षा 6 से 12 तक के 60 वनवासी भैया निःशुल्क अध्यनरत् हैं | गुरुकुल शिक्षा पद्धति पर आधारित शिक्षा प्रणाली से भैयाओं का सर्वांगीर्ण विकास कर उन्हें देश का सुयोग्य नागरिक बनाने का सतत प्रयास इस प्रकल्प द्वारा होता है | छात्रावास ने जहाँ एक ओर सहरिया जनजाति समाज में शिक्षा के प्रति रूचि जागृत करने में सफलता पाई है वहीं दूसरी ओर समाज परिवर्तन में भी महत्वपूर्ण भूमिका निर्वाह की है ! अध्ययन रत छात्रों के परिवारों में मांसाहार वा मद्यपान की प्रवृत्ति कम हुई है तथा उनके जीवन स्तर में भी परिवर्तन आया है ! 

शिवपुरी तथा उसके समीपवर्ती जिले श्योपुर, गुना, अशोकनगर व डबरा का वनवासी सहरिया समाज अत्याधिक गरीब व अशिक्षित तो है ही, अनेक सामाजिक बुराईयों से भी ग्रस्त है | उन्हें शिक्षित व सुसंस्कारित बनाना किसी चुनौती से कम नहीं है | इस छात्रावास में न केवल सहरिया छात्रों की आवास व्यवस्था की जाती है, बल्कि उनकी निशुल्क भोजन व शिक्षा की व्यवस्था भी की जाती है | उनकी निशुल्क शिक्षा के लिए विद्यालयों से संपर्क कर उनका सहयोग प्राप्त कर लिया गया है | ये बच्चे शिवपुरी के गणेशाश्रम हा.से. स्कूल, शा. हा.से. स्कूल क्र. 2, शा. उत्कृष्ट हा.से. वि. क्र.1, सरस्वती बाल मंदिर मा.वि. फतेहपुर आदि विद्यालयों में निशुल्क अध्ययन करते हैं | इतना ही नहीं तो शिवपुरी के प्रतिष्ठित कोचिंग संस्थान भी इन बच्चों को निशुल्क अध्ययन कराते हैं | 

इस छात्रावास भवन का निर्माण 5200 वर्ग फुट के भूखंड पर किया गया है | कुल मिलाकर 4 बड़े हॉल तथा 7 कक्षों में इन बच्चों की आवास व्यवस्था की जाती है | 10 शौचालय, 7 स्नानागार व एक बड़ा सामूहिक स्नानागार उनके नित्यक्रिया के लिए उपलब्ध है | इसके अतिरिक्त कार्यालय, किचिन, अधीक्षक आवास, भण्डार कक्ष तथा चौकीदार कक्ष छात्रावास में निर्मित हैं | परिसर में 1 ट्यूब वेल तथा दस हजार लीटर की पानी की टंकी भी निर्मित है | 

बच्चों को प्रतिदिन सुबह अल्पाहार में खिचडी, दलिया, पोहा, अंकुरित दालें अथवा पोहा प्रदान किया जाता है | दोपहर के भोजन में हरी सब्जी, सलाद, दाल, चावल व रोटी दी जाती है | रात्रि के भोजन में सब्जी, रोटी और सलाद रहता है | सप्ताह में एक दिन विशेष भोजन भी होता है | प्रतिदिन रात्री में दूध हर बच्चे को दिया जाता है | भोजन की सम्पूर्ण व्यवस्था समाज के सहयोग से ही होती है | आंशिक व्यवस्था तो नगर से धन राशि व ग्रामीण अंचल से गेंहूं आदि दान लेकर हो जाती है, शेष व्यवस्था सेवा भारती मध्यभारत भोपाल के माध्यम से संपन्न होती है | 

छात्रावास की सुचारू व्यवस्था के लिए समाज सेवियों की एक समिति गठित है | इसके अतिरिक्त वैतनिक आधार पर अधीक्षक, लेखापाल, रसोईया, चौकीदार व भृत्य भी नियुक्त हैं | 
छात्रावास में रहने वाले बच्चे न केवल स्वयं अध्ययन कर रहे हैं, बल्कि नगर के पास की सहरिया बस्ती लुदावाली तथा दलित बस्ती फतेहपुर में संस्कार केंद्र भी चलाते हैं | इन संस्कार केन्द्रों के कारण उस इलाके में स्कूल ड्राप आउट बच्चों की संख्या में कमी आई है | छात्रावास के बच्चे इन संस्कार केन्द्रों के संचालन हेतु उत्साह पूर्वक साईकिलों से जाते हैं | ये साईकिलें भी समाज के सहयोग से दान में उपलब्ध हुई हैं | 

छात्रावास में समय समय पर उत्सव व कार्यक्रमों का आयोजन होता है | गुरू पूर्णिमा, वृक्षारोपण, स्वास्थ्य परीक्षण, रक्षा बंधन, अखंड भारत स्मृति दिवस, गणेशोत्सव, जन्माष्टमी, नवरात्रि, विजयादशमी, दीपावली, मकर संक्रांति, होली, वर्ष प्रतिपदा आदि त्यौहार तथा महापुरुषों की जयंतियां अत्यंत उत्साह पूर्वक मनाई जाती हैं | देशभक्ति गीत गायन, भजन, नृत्य, व्यायाम, योगासन, ध्यान आदि नियमित गतिविधि का अंग हैं | इनके अतिरिक्त खेल प्रतियोगिताएं, हारमोनियम, ढोलक, बाँसुरी बादन, कोंगो आदि का प्रशिक्षण भी इन बच्चों को प्राप्त होता है | समय समय पर बच्चों को धार्मिक और ऐतिहासिक स्थानों की यात्रा पर भी ले जाया जाता है | 

विशेष प्रसंग - 

प्रतिवर्ष छात्रावास में वार्षिकोत्सव का आयोजन होता है, जिसमें छात्रों के माता-पिता को भी आमंत्रित किया जाता है | समाज परिवर्तन का एक अद्भुत उदाहरण गत वर्ष के वार्षिकोत्सव में सामने आया | ग्राम सनखोरा पो. गसमानी तहसील विजयपुर जिला श्योपुर का देवेन्द्र शिवपुरी छात्रावास में रहकर कक्षा 6 में पढ़ रहा था | उसके घर का वातावरण अत्यंत खराब था | पिता दारू भी पीते थे, जुआ भी खेलते थे | जमाने भर की बुरी आदतें उनमें थीं | बेचारी मां ही मेहनत मजदूरी कर परिवार का भरण पोषण करती थी | जब भी बालक छात्रावास से घर जाता था तो घर के वातावरण को देखकर उसका मन खट्टा हो जाता था | एक दिन उसने सीधे अपने पिता से बात की | उसने अपने पिटा से कहा कि अगर आप जुआ शराब नहीं छोड़ोगे तो मैं घर आना ही बंद कर दूंगा | छात्रावास में ही रहूँगा | कक्षा 6 में पढ़ने वाले उस छोटे बच्चे की मासूम बात पिता के दिल को छू गई | उसको अपने आप पर शर्म आई और उसने उसी समय अपने आप को बदलने की कसम खाई | शराब, जुआ के साथ बीडी तम्बाकू को भी तिलांजली दे दी | यह प्रसंग स्वयं पिता हरीराम ने वार्षिकोत्सव में आकर सबसे साझा किया | 

जो बच्चे अध्ययन पूर्ण कर अपने घर वापस जाते हैं, उनकी माँ के लिए एक धोती उपहार स्वरुप प्रदान की जाती है | यह इतना भावपूर्ण दृश्य होता है, जोकि बच्चों व उनके माता-पिता के ह्रदय पर सदा सदा के लिए अंकित हो जाता है |

उपलब्धियां – 

छात्रावास में रह रहे इन बच्चों की सर्वांगीण उन्नति देखकर कोई भी चमत्कृत हो सकता है -

सूर्या फाउंडेशन ने वर्ष 2008 में सात छात्रों को स्कोलरशिप प्रदान की तथा व्यक्तित्व विकास शिविर में आमंत्रित किया | शिविर में चयनित तीन छात्रों को तत्कालीन उप प्रधान मंत्री श्री लालकृष्ण आडवाणी ने सम्मानित किया | 

वर्ष 2009 में कक्षा 8 की परीक्षा में छात्रावास के भैया नीरज ने शिवपुरी ब्लोक में प्रथम स्थान प्राप्त किया | 

21 अगस्त 2009 को आयोजित योगासन सीनियर प्रतिस्पर्धा में भैया इन्दर सिंह ने संभाग में प्रथम तथा प्रांत में तीसरा स्थान प्राप्त किया | म.प्र. सरकार ने उन्हें 3600 रु, की छात्रवृत्ति प्रदान कर पुरष्कृत किया | 

2010 में कक्षा 8 की परीक्षा में भैया वीरेन्द्र ने जिले में सर्वाधिक अंक प्राप्त किये | जिलाधीश महोदय ने उन्हें गणतंत्र दिवस पर 500 रु. का नगद पुरष्कार प्रदान किया | 

2010 में भैया हरिचरण ने कक्षा 10 में सर्वाधिक अंक प्राप्त किये | आदिम जाति कल्याण विभाग की ओर से उन्हें राजधानी भोपाल की यात्रा कराई गई, जहाँ राज्यपाल महोदय ने हाथघड़ी, गणवेश, पुस्तकें तथा आर्थिक सहयोग प्रदान कर सम्मानित किया | 

अब तक 16 छात्र विभिन्न शासकीय सेवाओं में चयनित होकर देश सेवा कर रहे हैं |

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