क्रिकेट हेलमेट पहन कर बीएसएफ जवान कर रहे है सरहदों की सुरक्षा

वैसे तो आमतौर पर क्रिकेट हेलमेट का उपयोग क्रिकेट खेलते समय बल्लेबाज, विकेट कीपर या कभी कभी पिच के नजदीक फील्डिंग करते हुए फील्डर द्वारा करते हुए हम देखते है, परन्तु आपको जानकार आश्चर्य होगा कि हमारे देश में सरहदों पर तैनात जवान भी क्रिकेट हेलमेट पहन कर भारत की सरहदों की सुरक्षा में तैनात है !

पढ़ने व सुनने में भले ही यह अजीब लगे, पर यह सच्चाई है ! आप पश्चिम बंगाल में भारत-बांग्लादेश की किसी भी सीमा पर चले जाइये, वहां सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) के बहादुर जवान अंतरराष्ट्रीय सीमा पर सिर पर क्रिकेट का हेलमेट पहने सीमा पर पहरा डाले नजर आ जायेंगे ! बीएसएफ के इन जवानों ने क्रिकेट के शौक के तहत हेलमेट नहीं पहना है, बल्कि उनका उद्देश्य पशु तस्करों के हमले से अपने सिर की हिफाजत करनी है !अन्य किसी देश की सीमा पर किसी बीएसएफ के जवान के सिर पर हेलमेट नजर नहीं आयेगा. ! यहां तक कि त्रिपुरा में भारत-बांग्लादेश सीमा पर भी यह नजारा नजर नहीं आता है, पर बंगाल में स्थिति काफी अलग है !

पिछले चार-पांच वर्ष सीमा के प्रहरी जवान क्रिकेट हेलमेट पहन रहे हैं ! पशु तस्कर जब सीमा पार करते हैं तो उनका एक ग्रुप झोले में पत्थर ले कर चलता है और सीमा पर तैनात बीएसएफ जवान पर हमला कर देता है ! रात के अंधेरे में कहीं से आया कोई पत्थर का टुकड़ा किसी को भी घायल कर सकता है ! कभी वह डंडे से भी हमले कर देते हैं ! इनसे बचाव के लिए जवानों को मजबूरी में हेलमेट पहनना पड़ता है, पर अगर हथियार घातक हो तो यह हेलमेट किसी काम नहीं आता है !

हेलमेट की खरीदारी के लिए भी सरकार द्वारा कोई फंड प्रदान नहीं किया जाता है, बल्कि यह लोग जरूरत के लिए दिये गये फंड से कुछ रुपये बचा कर बाजार से हेलमेट खरीदते हैं ! यह वह हेलमेट नहीं है, जिन्हें अंतरराष्ट्रीय मैचों में क्रिकेटर्स इस्तेमाल करते हैं ! अगर कोहली, धोनी समेत अन्य खिलाड़ियों को यह हेलमेट पहना दिया जाये तो उनके सिर का तो भगवान् ही मालिक होगा ! सरहदों की हिफाजत के लिए अपनी जान को खतरे में डालने वाले बीएसएफ के जवानों के सिर पर सजने वाले हेलमेट बाजार में बिकने वाले आम हेलमेट हैं, जिन्हें बच्चे अपना क्रिकेट का शौक पूरा करने के लिए खरीदते हैं !

बीएसएफ के जवानो के अनुसार पाकिस्तान सीमा पर तो हमें पता है कि यहां हर वक्त जान को खतरा है, पर बांग्लादेश सीमा पर तो हमें अपनी जान देकर बांग्लादेश की दोस्ती की कीमत चुकानी पड़ रही है ! पहले तस्कर हमारी आवाज सुनते ही भाग उठते थे, पर अब उन्हें हमारी कोई परवाह नहीं है, उल्टे हमें उनसे डर कर ड्यूटी करनी पड़ती है !

यह स्थिति 2012 से बनी है, जब से सरकार ने बांग्लादेश सीमा पर गोली चलाने से हमें एक तरह से मना कर दिया है ! वहां सीमा पर तैनात बीएसएफ वालों के हाथों में पीएजी (पंप एक्शन गन) थमा दिया गया है, जिससे निकलने वाला छर्रा किसी को घायल तो कर सकता है, पर जान जाने का खतरा न के बराबर होता है ! जब तस्करों को पता है कि सीमा प्रहरी हमारी जान ले ही नहीं सकता तो वह फिर हमसे क्यों डरेगा ! डरना तो हमें पड़ गया है, जो सुनसान इलाके में मौसम की परवाह किये बगैर अपने देश की सीमाओं की हिफाजत के लिए अपना सब कुछ न्यौछावर करने के लिए तैयार खड़े हैं !


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