अफजल और बट की बरसी पर कश्मीर बंद का ऐलान, अलगाववादी संगठनो ने दिया बंद को समर्थन !

नौ फरवरी को संसद हमले के साजिशकर्ता अफजल गुरु की दूसरी बरसी है, जबकि 11 फरवरी को कश्मीर के पहले आतंकी कमांडर व जेकेएलएफ के संस्थापक मुहम्मद मकबूल बट की 30वीं बरसी ! अफजल को वर्ष 2013 को तिहाड़ में फांसी दी गई थी, जबकि बट को 11 फरवरी 1984 को तिहाड़ में ही फांसी पर लटकाया गया था ! अफजल गुरु और मुहम्मद मकबूल बट की बरसी को लेकर कश्मीर में तनाव का माहौल है ! बरसी को लेकर तीन दिवसीय बंद का एलान किया गया है ! जबकि इस बंद को अलगाववादी संगठनों ने भी अपना समर्थन दिया हुआ है !

तिहाड़ के भीतर अफजल की लाश को जहां दफन किया गया था, वहां एक कब्र और भी है ! वह कब्र कश्मीर के अलगाववादी नेता मकबूल बट की है जिसे 11 फरवरी 1984 को तिहाड़ जेल के भीतर ही फांसी पर लटका दिया गया था ! बट को फांसी एक बैंक में डकैती और शाखा प्रबंधक की हत्या के आरोप में दी गई थी ! इसके अलावा भी उसने बर्मिंघम में भारतीय राजनयिक रवीन्द्र महात्रे की हत्या की थी इसके अलावा भी उस पर कई सारे आरोप थे ! मकबूल बट जम्मू-कश्मीर लिबरेशन फ्रंट (जेकेएलएफ) का सह-संस्थापक भी था ! जेकेएलएफ जम्मू-कश्मीर का प्रमुख अलगाववादी संगठन है !

मकबूल बट के सहयोगियों तथा जेकेएलएफ के सदस्यों ने 31 वर्ष पूर्व जब उसे फांसी दी गई थी तो तब कश्मीर में व्यापक स्तर उग्र आन्दोलन किया था ! तोड़फोड़ और हिंसा ने भी अपना उग्र रूप दर्शाया था ! उसके उपरांत उसे जिस दिन फांसी दी गई थी उसे शहीदी दिवस के रूप में मना कर आतंकवादियों की ओर से हड़ताल की जाती रही ! यह सिलसिला लगभग 25 वर्षों तक चलता रहा परन्तु 8 वर्ष पूर्व इसने नया रुख धारण कर लिया था जब किसी भी आतंकी गुट की ओर से हड़ताल का आह्वान नहीं किया था ! तब जेकेएलएफ ने इसके प्रति फैसला लिया था कि इस शहीदी दिवस को हड़ताल के रूप में नहीं मनाया जाएगा बल्कि एक आंदोलन के रूप में और यह आंदोलन था मकबूल बट के शव को प्राप्त करना !

असल में जब मकबूल बट को तत्कालीन जज नीलकंठ गंजू ने फांसी की सजा सुनाई थी तो उसी समय श्रीनगर के ईदगाह में, एक कब्र को खुदवाया गया था ! कब्र पर एक तख्ता टांगा गया और वहां मकबूल बट का नाम लिखा गया ! उसका शव कश्मीर में लौटाया नहीं गया था जिसकी मांग आज भी की जा रही है ! मकबूल बट के साथ साथ अब अफजल गुरु के शव की भी मांग जोर पकड़ रही है !




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