नादान माली



आज बहुत दिनों बाद अपने कार्य स्थल पर पहुंचा | मालूम हुआ कि कुछ दिनों से माली के न आने के कारण बगीचे में सेवंती के पौधों में खिले फूल कम और मुरझाये हुए फूल ज्यादा दिखाई दे रहे हैं | जिसके कारण सदैव सुन्दर दिखने वाला बगीचा कुछ बेरौनक दिख रहा है | स्वाभाविक ही मैंने मुरझाये फूल बिना समय गँवाए पौधों से अलग किये और बगीचा पूर्ववत आकर्षक हो गया | 
बगीचे में काम करते समय अचानक ध्यान दिल्ली विधानसभा चुनाव की तरफ भी चला गया | और मन में सवाल उठा कि अगर बगीचे से सूखे फूल हटाते हटाते नादान माली कोई सुन्दर खिला हुआ फूल भी हटा दे तो ? स्वाभाविक ही फूल की तो अकाल मौत होनी ही है, किन्तु बगीचे कि सुन्दरता में भी कुछ न कुछ न्यूनता तो दिखाई देगी ही | और कहीं अगर सूखे फूलों की जगह सारे खिले फूल हटा दिए जाये और सूखे फूल पौधों पर रहने दें तो क्या बगीचा आकर्षक और सुन्दर बचेगा ?

संगठन शास्त्र विशारद महारथियों को यह ध्यान देना चाहिए कि अक्षम और नाकारा लोगों से मुक्ति पायें, साथ साथ योग्यता का भी यथोचित सम्मान व उपयोग करें | एक बात और ध्यान में रखना आवश्यक है कि वर्षानुवर्ष से कार्य करते आरहे अपने कार्यकर्ता ही अपनी वास्तविक पूंजी होते हैं | पराये संगठन के कार्यकर्ताओं की दम पर संगठन नहीं चला करते | दूसरे के बगीचे से उधार मांगकर लाये गए केक्टस के गमले केवल कुछ समय ही काम आते हैं | गमले के असली मालिक के पास देर सबेर पहुँच ही जाते हैं :) अपने जड़दार पौधों को ही खादपानी देना चाहिए मेरे विचार परिवार के मालिको :) पता नहीं कभी समझ पाओगे या नहीं :(

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