एक और समुद्र मंथन

हिंद महासागर से निकलेगा सोना-चांदी 

लम्बे समय से कहा जाता रहा है कि खनन कार्य के लिए ग़रीबों की जमीन अधिगृहित की जाती है, जिसका लाभ सीधा सीधा अमीरों को मिलता है | अधिगृहीत जमीन के मालिक को भी लाभांश मिलना चाहिए | यह बात भी कही जाती रही है कि जमीन पर ही खनन को क्यों प्राथमिकता दी जाती है, अगर खनन समुद्र में हो तो देश को बेशकीमती तेल और गैस के भण्डार प्राप्त हो सकते हैं | हाँ स्वाभाविक ही वहां खोजना होगा और यह परिश्रम करने को कोई धनपति क्यों तैयार होगा |
लेकिन अब एक शुभ समाचार आया है | एक टॉप वैज्ञानिक के मुताबिक, हिंद महासागर तल के 10,000 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र से सोने, चांदी और प्लैटिनम जैसे खनिजों का दोहन करने के लिए भू-विज्ञान मंत्रालय, अंतरराष्ट्रीय समुद्रतल प्राधिकरण (आईएसए) के साथ कॉन्ट्रैक्ट को अंतिम रूप दे रहा है।
राष्ट्रीय अंटार्कटिक और समुद्री अनुसंधान केंद्र (एनसीएओआर) के निदेशक एस. राजन ने कहा कि जमैका के आईएसए के कानूनी और तकनीकी आयोग ने भी भारत द्वारा सौंपी गई खोज योजना को मंजूरी दे दी है।केंद्रीय पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय ने गोवा स्थित एनसीएओआर को इस कार्यक्रम के लिए मुख्य एजेंसी के रूप में नामित किया है।
राजन के मुताबिक, हिंद महासागर का मध्य और दक्षिण में पश्चिमी हिस्सा तांबा, शीशा, जस्ता, सोने, चांदी, पैलाडियम और प्लैटिनम जैसी बेशकीमती धातुओं से भरा है। और सबसे बड़ी बात, जब एक बार खोज शुरू होगी, तो पौराणिक समुद्र मंथन की तर्ज पर न जाने कितने बहुमूल्य उपहार हमारी झोली में आयेंगे |

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