ईश्वर द्वारा प्रदत्त अक्षय ऊर्जा के उपयोग हेतु विदेशी निवेश का प्रयत्न |
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सौर ऊर्जा, पवन ऊर्जा और बायोगैस ऊर्जा के द्वारा भारत अपने लिए आवश्यक ऊर्जा का 60% तक प्राप्त कर सकता है, किन्तु दुर्भाग्य से आजतक इस दिशा में प्रभावी प्रयत्न नहीं हुए | इस दिशा में महत्वपूर्ण कदम उठाते हुए आज ऊर्जा राज्यमंत्री श्री पीयूष गोयल की उपस्थिति में तीन दिवसीय आयोजन पुर्ननिवेश 2015 प्रारम्भ हुआ जिसमें 41 देशों के 2800 प्रतिनिधि भाग ले रहे हैं।
इसके पूर्व प्रधानमंत्री ने रविवार को पहली अक्षय ऊर्जा वैश्विक निवेशक बैठक (आरई-इन्वेस्ट) को संबोधित करते हुए प्रौद्योगिकी समाधान विकसित करने के लिए प्रचुर मात्रा में सौर ऊर्जा संपन्न 50 राष्ट्रों का समूह बनाने का आह्वान किया |ऊर्जा के सीमित संसाधन व आयात की ऊंची लागत के मद्देनजर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी चाहते हैं कि सौर व पवन ऊर्जा जैसे अक्षय ऊर्जा क्षेत्रों में नवोन्मेषण व शोध पर जोर दिया जाए। इससे प्रत्येक परिवार को उचित मूल्य पर बिजली उपलब्ध हो सकेगी। ।
देश ने अपने महत्वाकांक्षी नवीकरणीय कार्यक्रम के तहत वर्ष 2020 तक अपनी ऊर्जा उत्पादन का 15 प्रतिशत अक्षय ऊर्जा से प्राप्त करने का लक्ष्य रखा है। इसी के साथ भारत की कोशिश इस क्षेत्र में निवेश के लिए एक आकर्षक गंतव्य देश बनने की है। पुनर्निवेश 2015 के प्रारंभिक सत्र में नई दिल्ली में देश में नवीकरणीय ऊर्जा के दोहन की संभावनाओं और इसमें निवेश के अवसरों पर चर्चा हुई। बिजली, कोयला और नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) श्री पीयूष गोयल ने अपने उद्घाटन संबोधन में देश में व्यापार के लिए अनुकूल माहौल तैयार करने और इस क्षेत्र में निवेश को सुरक्षित बनाने और प्रोत्साहित करने भरोसा दिलाया।
उन्होंने कहा कि देश को निवेश के नये केंद्र के रूप में विकसित करने के लिए व्यापार के लिए अनुकूल माहौल, नीतियों में समरूपता, भरोसे लायक अनुबंध और कानून का पालन करने का माहौल तैयार करना होगा। श्री गोयल ने निवेशकों को भरोसा दिलाते हुए कहा कि सरकार व्यापार की समस्याओं को समझने को तत्पर है और इन्हें दूर करने के लिए समाधान तलाशने को तैयार है। उन्होंने कहा कि सरकार का एकमात्र लक्ष्य पर्यावरण को स्वच्छ रखकर विकास का लाभ वंचित और समाज के अंतिम जन तक पहुंचाना है। साथ ही साथ, हमारी कोशिश यह भी होनी चाहिए कि हम ऐसा कुछ भी न करें जिससे पर्यावरण को नुकसान पहुंच सकता है।
श्री गोयल ने कहा कि सरकार जलवायु परिवर्तन की चुनौती का सामना करने के लिए विनम्र योगदान स्वरूप नवीकरणीय ऊर्जा के इस्तेमाल के लिए प्रतिबद्ध है और इस तरह भावी पीढ़ी को एक स्वच्छ, श्रेष्ठ और हरा-भरा देश देने का लक्ष्य भी सरकार का है। शहरों और जलवायु परिवर्तन पर संयुक्त राष्ट्र महासचिव के विशेष दूत श्री माइकल आर. ब्लूमबर्ग ने अपने विशेष भाषण में भारत के निजी क्षेत्र और विदेशी निवेशकों दोनों से स्वच्छ ऊर्जा के बाजार के विकास के लिए निवेश जारी रखने का अनुरोध किया ताकि देश में ज्ञान आधारित रोजगार के अवसर पैदा हों।
उन्होंने कहा इस कार्य से भारत को जलवायु परिवर्तन के क्षेत्र में वैश्विक नेता के तौर पर उभरने में सहायता मिलेगी। देश को दिसम्बर में पेरिस में होने वाले अन्तर्राष्ट्रीय जलवायु परिवर्तन समझौते के लिए भी काम करना चाहिए। जर्मनी के आर्थिक तथा ऊर्जा उप मंत्री श्री यूवे बेकमेयर ने कहा कि उनका देश नवीकरणीय ऊर्जा के क्षेत्र भारत के साथ मजबूत, व्यापक और स्थायी सहयोग करना चाहता है। ब्रिटेन की ऊर्जा और जलवायु परिवर्तन मंत्री बरोनेस संदीप वर्मा ने कहा कि वह भारतीय आरई फर्मों को ब्रिटेन में वित्त पोषण के लिए प्रोत्साहन देंगी।
उन्होंने कहा कि उनका देश फ्रेमवर्क, वित्त और फर्म क्षेत्रों में भारत को अपना सहयोग देगा। 'भारत – अक्षय ऊर्जा के लिए नया निवेश गंतव्य' शीर्षक उद्घाटन सत्र में भाग लेने वाले अन्य व्यक्तियों में अंतर्राष्ट्रीय अक्षय ऊर्जा एजेंसी के महानिदेशक श्री अदनान जेड अमीन, सीआईआई के अध्यक्ष श्री अजय श्रीराम, फिक्की की अध्यक्ष डॉ. ज्योत्सना सूरी, यस बैंक के एमडी एवं सीईओ श्री राणा कपूर, सुजलोन ग्रुप ऑफ कंपनीज के सीएमडी श्री तुलसी तांती और वेलस्पन रिन्युएबल्स के उपाध्यक्ष श्री विनीत मित्तल शामिल थे।
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