प्रभु दर्शन का सरल उपाय

मिट जाता जब अहम् ह्रदय से, कुंठा जाती भाग

ह्रदय कमल बैकुंठ सरसता, विष्णू जाते जाग |

वैकुण्ठ जहां कुंठा नहीं, मन में आन समाये,

विष्णु प्रिया भक्ति मिले, तो नारायण भी आये |

भोजन की थाली से रोटी लेकर भागा स्वान,

नामदेव घृत लेकर दौड़े, रहा नहीं कुछ भान,

कूकर में भी नामदेव जी, देख रहे पांडुरंग,

रूखी रोटी, प्रभू लगा लो थोड़ा घी भी संग |

गंगोत्री से कांवड़ लेकर, एकनाथ जी निकले,

रामेश्वर में शिवपूजा का, भाव ह्रदय मचले,

देखा मग में प्यासा गर्दभ तड़प रहा था,

मरुथल में पानी की खातिर कलप रहा था |

लगा कि जैसे विनती सुनकर, आये खुद अभयंकर,

तृप्त किया गंगाजल से, वह गधा मानकर शंकर |

एक नाथ को चुना, नाम को देव बनाया,

हर प्राणी में अविनाशी का दर्शन पाया |

आत्म समर्पण से ही होता, प्रभु का साक्षात्कार,

हर प्राणी में दर्शन देता, वही एक निराकार

"आत्मवत सर्व भूतेषु" सभी में अनंत समाये,

एकनाथ ओ नामदेव ने, प्रभु के दर्शन पाए |

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