एक रात में पहुंचेंगे दिल्ली से मुम्बई या दिल्ली से कलकत्ता ?



बुलेट ट्रेनें भले ही भारत के लिए अभी दूर की कौड़ी हैं, लेकिन नरेन्द्र मोदी सरकार बिना लोकमोटिव या इंजन वाली ऐसी ट्रेनें चलाने की कार्ययोजना पर आगे बढ़ रही है, जिसमें अलग से ट्रेक बिछाने की आवश्यकता नहीं होगी | इन ट्रेनों में बुलेट ट्रेन के समान ही पावर पूरे सिस्टम में समान तौर पर डिस्ट्रीब्यूट होती है और ट्रैवल का समय काफी कम हो जाता है। एक ट्रेन सेट में आठ कोच होंगे, जिन्हें 100 करोड़ रुपये की कीमत पर आयात किया जाएगा। इन ट्रेन सेट्स का आयात केवल शुरुआत में ही किया जाएगा, किन्तु बाद में इनका निर्माण देश में ही किया जा सकता है।


160 से 200 कि,मी, की रफ़्तार से चलने वाली इन ट्रेनों के प्रारम्भ होने के बाद दिल्ली से कलकत्ता अथवा दिल्ली से मुम्बई पहुँचने में लगाने वाला समय 20 प्रतिशत तक कम हो जायेगा तथा यात्री रात ही रात में अपने गंतव्य तक पहुँच सकेंगे | रेलवे विभाग को उम्मीद है कि इन ट्रेनों के आने के बाद हवाई जहाज से यात्रा करने वाले यात्री भी ट्रेनों से यात्रा को अधिक पसंद करने लगेंगे |

देखते हैं यह सपना कब पूरा होता है ? आज की स्थिति तो यह है -

चुनौती बड़ी है, चुनौती कड़ी है,
पर हिम्मते मर्दां सदा, तूफ़ान से लड़ी है |
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