सावधान वामपंथी तथाकथित बुद्धिजीवियों की कारगुजारी चालू है |

आज राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के अखिल भारतीय प्रचार प्रमुख श्री मनमोहन बैद्य की ओर से एक प्रेस विज्ञप्ति जारी हुई है | आईये प्रेस विज्ञप्ति तथा उसकी पृष्ठभूमि पर एक विहंगम दृष्टि डालें -


1-Feb-2015
Press Release
Sign Manmohan ji.jpgThe RSS has already made it unequivocally clear that it has no role whatsoever in the issue that led Shri Perumal Murugan to withdraw his book from the market. However some persons like Smt. Subhashini Ali continue to drag the name of the RSS into the issue with an ulterior motive to tarnish its name, which is quite deplorable. We earnestly hope that better wisdom will prevail and they would desist from such nefarious activities immediately, failing the RSS would be constrained to consider other course of action.


-Dr. Manmohan Vaidya

(Akhil Bhartiya Prachar Pramukh)

हिन्दी अनुवाद 
प्रेस विज्ञप्ति
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ने पूर्व से ही यह स्पष्ट किया है कि श्री पेरूमल मुरुगन द्वारा बाजार से अपनी पुस्तक वापस लेने के निर्णय में संघ की कोई भूमिका नहीं है । किन्तु यह दुर्भाग्यपूर्ण कि श्रीमती सुभाषिनी अली तथा कुछ अन्य लोग अकारण संघ का नाम धूमिल करने के उद्देश्य से इस मुद्दे पर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ का नाम घसीट रहे हैं । हम साग्रह आशा करते हैं कि उनकी मनीषा जागृत होगी और वे अविलम्ब इस प्रकार की नापाक गतिविधियों से विरत होंगे, अन्यथा आरएसएस कार्रवाई के अन्य तरीकों पर विचार करने के लिए विवश होगा ।
कौन हैं ये पेरूमल मुरुगन और क्या है यह सम्पूर्ण प्रकरण ?
Perumal Murugan.
पेरूमल मुरुगन एक तमिल लेखक और कवि हैं | उनके 6 उपन्यास, लघु कथाओं के चार संग्रह और चार काव्य संग्रह प्रकाशित हो चुके हैं | वे शासकीय कला महाविद्यालय में प्राध्यापक हैं | 2010 में प्रकाशित उनका एक उपन्यास "मधोरुबगन" तथा उसका अंग्रेजी अनुवाद "one paart women" विवादास्पद हुआ | 
विवाद का कारण उक्त पुस्तक की विषयबस्तु थी | पुस्तक में तिरुचेंगोडे में स्थित अर्धनारीश्वर मंदिर से सम्बंधित ऐतिहासिक परंपराओं का चित्रण किया गया था | जैसा कि नाम से ही स्पष्ट है शिव के अर्धनारीश्वर स्वरुप जिसमें वे आधे पुरुष तथा आधे नारी स्वरुप में विराजमान हैं, की पृष्ठभूमि ने इस उपन्यास को विवादास्पद बना दिया | साथ ही विवाद के बहाने वामपंथी विचारकों को राष्ट्रवादी संगठनों को निशाना बनाने का बहाना मिल गया | 
पेरूमल मुरुगन ने जनवरी में लेखन से विरत होने का निर्णय घोषित कर दिया | अपने फेसबुक पेज पोस्ट में, मुरुगन ने लिखा : "पेरूमल मुरुगन नमक लेखक मर चुका है | वह कोई भगवान नहीं है, और नाही उसका पुनर्जन्म में कोई विश्वास है | अतः अब वह पुनः लेखन प्रारम्भ नहीं करेगा | अब पी मुरुगन एक साधारण शिक्षक के रूप में ही रहेगा । उसे अकेला छोड़ दें। "
बस फिर क्या था , तमाशा शुरू हो गया | किसी ने नहीं पूछा कि उस उपन्यास में क्या है | किसी ने नहीं पूछा कि विरोध प्रदर्शन कौन कर रहा है | उपन्यास में एक महिला पुत्र प्राप्ति के लिए अपने पति की अनुमति से किसी अन्य व्यक्ति से सम्बन्ध बनाती है, और यह सम्पूर्ण कथानक अवांछित रूप से शिव पार्वती के अर्ध नारीश्वर स्वरुप से जोड़ दिया जाता है | स्वाभाविक ही शैव्य बहुल तमिलनाडु में, जहां शिव भक्ति के आधिक्य में रावण को भी पूज लिया जाता है, कौन शिव का इस प्रकार चित्रण बर्दास्त करता ? 
लेकिन वामपंथियों को तो संघ पर लांछन लगाने का बहाना चाहिए | बैसे भी पेरिस की घटना पर चुप्पी साधे साधे उनके पेट में मरोड़ उठने लगे थे | 




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