पश्चिम बंगाल की भयावह तस्वीर भाग 2 - जेनेट लेवी
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http://www.americanthinker.com/articles/2015/02/the_muslim_takeover_of_west_bengal.html अमेरिकन थिंकर में प्रकाशित एक
विचारपूर्ण आलेख के अनुवादित अंश -
कैनिंग जिला दंगा
2013 में, पश्चिम बंगाल में मुसलमानों ने पाकिस्तान, बांग्लादेश और भारत के कुछ हिस्सों को मिलाकर एक इस्लामी
सुपर राज्य “मुगलिस्तान” बनाने के लिए भारत के एक दूसरे विभाजन का तानाबाना बुना |
इस बीच एक स्थानीय चुनाव में हुए जातीय विभाजन के परिणाम स्वरुप अज्ञात हमलावरों
ने एक मुस्लिम धार्मिक नेता की हत्या कर दी | फिर क्या था हड़कंप मच गया। कैनिंग
जिले में हजारों दंगाईयों ने सैंकड़ों मंदिरों और मूर्तियों को नष्ट कर दिया |
सुसंगठित रूप से हिन्दुओं पर हमले किये गये | अल्लाह हू अकबर के नारों के बीच 200 हिंदू घरों को लूट कर आग के हवाले कर दिया गया | हिंदुओं
द्वारा बार बार मदद माँगने के बाद भी पुलिस ने कोई हस्तक्षेप नहीं किया । स्थानीय
निवासियों के अनुसार अधिकारियों की मुस्लिम भीड़ के साथ सांठगाँठ थी । इस सम्पूर्ण घटना का
विवरण साप्ताहिक ओर्गेनाईजर ने प्रकाशित किया |
उस्ती में हिंसा
हाल ही में 29 जनवरी को कोलकाता के उपनगर
उस्ती के बाजार में उग्र जिहादियों ने 50 से अधिक हिंदू दुकानों को
तोड़फोड़ कर लूट लिया । पुलिस मूक दर्शक बनकर यह नजारा देखती रही | दिखावे के लिए हवा
में कुछ चक्र गोलियां चलाई गईं | हमलावर मुक्त घूमते रहे, जबकि पीड़ित हिंदू दुकान
मालिकों को ही हिरासत में ले लिया गया । प्राप्त समाचारों के अनुसार कुछ दंगाइयों
को स्थानीय पुलिस ने हिरासत में लिया भी तो एक विधान सभा सदस्य और अल्पसंख्यक
मामलों के राज्य मंत्री ने उन्हें रिहा करने की मांग की । मुख्यधारा के मीडिया
द्वारा इसकी सीमित रिपोर्टिंग की गई, जिसके चलते न तो अपराधियों की मुस्लिम पहचान स्पष्ट
की गई और ना ही पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने हिंसा के बारे में कोई
बयान जारी किया। स्वतंत्र साइटों,
इंडियाफेक्ट्स और हिंदू समाहिती ने कई तस्वीरों के साथ घटना
की सूचना दी ।
राजनीतिक निहितार्थ
मुस्लिम आबादी 27% हो जाने के बाद निर्वाचित
अधिकारियों पर पर्याप्त दबाव बन चुका है, जिसके चलते पश्चिम बंगाल में इस्लामी
एजेंडे की उन्नति और मुसलमानों के सबसे अधिक विशेषाधिकार प्राप्त वर्ग बनने की
स्थिति बन गई है । मुर्शिदाबाद के सीमावर्ती जिले जैसे कुछ क्षेत्रों में जहां 63% से अधिक मुसलमान है, सभी
निवासियों
पर शरिया क़ानून लगाया जाता है । अधिकाँश राजनीतिक उम्मीदवार, निर्वाचित अधिकारी और कानून निर्माता नेतृत्व मुसलमान
हैं | हिन्दुओं के लिए आर्थिक संभावनाओं मंद हैं क्योंकि मुसलमान किसी गैर मुस्लिम
को व्यवसायिक संरक्षण नहीं देते ।
मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने हिलेरी क्लिंटन और कई अन्य अमेरिकी
राजदूतों की आधिकारिक यात्राओं के दौरान स्वयं को ऐसे राजनीतिक नेता के रूप में
प्रस्तुत किया, जो यथोचित रूप से मुस्लिम घटक की मांगों को सहज स्वीकार करता है और उन्हें विशेष लाभ और
विशेषाधिकार प्रदान करता है। मुस्लिम वोट बैंक राजनीति की वास्तविकता यह है कि स्थानीय
इमाम या धार्मिक नेता द्वारा तय की गई लाइन पर पूरा मुस्लिम समुदाय वोट करता है |
यही कारण है कि राज्य मुस्लिम नियंत्रण में जा रहा है । मुस्लिम सहानुभूति पाने के
लिए बैनर्जी इस हद तक बढ़ चुकी हैं, कि उन्होंने सार्वजनिक रूप से इमामों के सम्मुख
इस्लामी रूपांतरण प्रार्थना कलिमा शहादत भी पढ़ ली है ।
चूंकि उनके मुख्यमंत्री बनने में पश्चिम बंगाल के
मुसलमानों की बड़ी भूमिका रही थी, अतः बनर्जी उसका बदला चुकाना चाहती हैं । उन्होंने
पूर्व से अपरिचित सऊदी वित्त पोषित और नियंत्रित मदरसों (इस्लामी कॉलेजों) की 10,000 डिग्रियों को मान्यता और मंजूरी दी है | चार
मीनारों (मुस्लिम टावरों), इमामों के लिए मानदेय के अतिरिक्त विशेष रूप से इस्लामी
बस्ती के निर्माण को मंजूरी दी है | बनर्जी ने मुस्लिम चिकित्सा, तकनीकी और नर्सिंग स्कूलों की स्थापना, मुस्लिम छात्रों
के लिए विशेष सब्सिडी,
साथ
ही केवल मुस्लिमों के लिए अस्पतालों की व्यवस्था की है। मुस्लिम लड़कों के लिए मुफ्त
साइकिल, मुस्लिम महिलाओं को रेल पास और मुस्लिम छात्रों को लैपटॉप दिए जाने का समर्थन
किया है। सबसे अधिक संभावना है कि भविष्य में बनर्जी की राजनीतिक पार्टी, अखिल भारतीय तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी), और अधिक इस्लामवादियों को संसद में भेजेगी । कथित तौर पर, क्षेत्र में जिहादी स्लीपर सेल उनके ही संरक्षण में चल रहा
है । इस बीच, बांग्लादेश से प.बंगाल आये
हिन्दू शरणार्थियों की आवश्यकताओं को न केवल नजरअंदाज किया जाता है, बल्कि उन्हें
प्रताड़ित किया जाता है |
जून 2014 में,
ममता
बनर्जी ने भारतीय संसद के ऊपरी सदन के लिए,
एक
बेहद संदिग्ध व्यक्ति को राज्यसभा सदस्य बनवाया ।
जिला खुफिया ब्यूरो से कई चेतावनियों के बावजूद, हिन्दुओं के खिलाफ हिंसा भड़काने, कोलकाता और कैनिंग
दंगों में कथित भागीदारी सहित अनेक ज्ञात आतंकवादियों को पनाह देने वाले पाकिस्तानी
हसन इमरान को उन्होंने सांसद के रूप में चुना । इमरान भारत सरकार द्वारा
प्रतिबंधित कट्टरपंथी छात्र समूह, छात्र इस्लामिक मूवमेंट (सिमी) का संस्थापक है,
जोकि घोषित रूप से एक आतंकवादी संगठन है । इमरान ने एक कट्टरपंथी साप्ताहिक
पत्रिका, कलाम की स्थापना व सम्पादन
किया, जो बाद में एक दैनिक समाचार पत्र,
दैनिक
कलाम के रूप में बदल गया और सारधा समूह को बेच दिया गया | यह वही शारधा समूह है
जिसके साथ संबंधों के चलते पश्चिम बंगाल सरकार के मंत्रीगण आज जेल के सींखचों के
पीछे हैं | यह प्रकाशन शरीयत के तहत राज्य में मुस्लिम-नियंत्रित क्षेत्रों की
स्थापना के लिए वकालत करता रहा है। हसन के स्थानीय इस्लामी नेताओं के साथ घनिष्ठ
संबंध है और वह पाकिस्तान की इंटर सर्विसेज इंटेलिजेंस (आईएसआई) द्वारा समर्थित
सऊदी जिहादी समूह, जमात-ए-इस्लामी (जेआई) के साथ काम करता रहा है। उसके इस्लामी
विकास बैंक, काउंसिल ऑफ़ अमेरिकन इस्लामिक रिलेशन्स
(सीएआईआर), और होली लेंड फाउंडेशन के प्रमुख
अधिकारियों के साथ भी संबंध हैं,
जो हमास और मुस्लिम ब्रदरहुड से
जुडा हुआ है तथा जो संयुक्त राज्य अमेरिका में आतंकवाद के वित्त पोषण के मुकदमे
में सह षड्यंत्रकारी सऊदी इकाई है । जेआई और आईएसआई असम पर कब्जा कर उसे भारत से
प्रथक करने के प्रयास में लगे हुए हैं ।
सऊदी वित्त पोषित आतंकवादी संगठन जमात-उल-मुजाहिदीन भी सांसद हसन इमरान से जुड़ा
हुआ है तथा उसका पश्चिम बंगाल में व्यापक आधार है | यह संगठन बम-विनिर्माण इकाइयों के
साथ साथ राज्य भर में मस्जिदों के निर्माण के लिए वहाबी पैसे का इस्तेमाल करता है।
कोलकाता के मुस्लिम जिलों में शुक्रवार की नमाज के समय सारा यातायात रुक जाता है।
हाल ही में,
हसन
और ममता बनर्जी के अन्य सहयोगी एक वित्तीय घोटाले में फंस गए हैं | सारधा समूह के
साथ शुरू हुई Ponzi योजना मुख्य मंत्री के गले
में अटक गई है । 1,700,000 से अधिक जमाकर्ताओं से 4 से 6 अरब डॉलर की भारी
भरकम राशि 200 निजी कंपनियों के एक संघ ने
एकत्रित की, किन्तु वह अब लापता है | जिसके कारण हुई व्यापक बदनामी पश्चिम बंगाल के
ममता बैनर्जी शासन को भारी पड़ने वाली है । माना जाता है कि उनके द्वारा नियुक्त सांसद
हसन ने जमात-ए-इस्लामी और पैसे एकत्रित
करने वालों के बीच एक माध्यम के रूप में काम किया है ।
बांग्लादेशी हिन्दुओं की दर्दभरी दास्ताँ -
अगर प्रवासी मुस्लिम यूंही आते रहे और उनकी जनसंख्या मौजूदा
27% से अधिक हो गई तो पश्चिम
बंगाल के हिन्दू अपना भविष्य बंगलादेश के हिन्दुओं के समान मान रहे हैं, जहां की 89% मुस्लिम आबादी ने हिन्दुओं को भगाकर उनकी भूमि पर जबरन
कब्जा कर लिया है, उनके घरों और व्यवसायों को लूट लिया है, और
यह सब वहां आज भी बेरोकटोक जारी है। आये दिन उनकी पिटाई होती है, और
उन्हें कोई पुलिस संरक्षण मिलने का तो प्रश्न ही नहीं है | हिंदुओं पर अत्याचार होता
है और उससे बचने के लिए उन्हें जजिया देने के लिए बाध्य किया जाता है | हिंदू
लड़कियों का, यहां तक कि विवाहित
महिलाओं का भी बलात्कार, अंगभंग व अपहरण कर ग़ुलाम बनाया जाता है और मुस्लिम
पुरुषों से शादी करने के लिए मजबूर किया जाता है। उन्हें कोई कानूनी संरक्षण भी
नहीं मिलता । पुलिस को रिपोर्ट करने पर पीड़ितों को आम तौर पर धमकी दी जाती है।
अक्सर, अपहरण के मामले में पुलिस शिकायत
दर्ज नहीं करती और अगर करती भी है तो 9-10 वर्ष आयु की लड़की को भी उसकी रजामंदी
बताकर मामले को रफादफा कर देती है | इस्लामी मानकों के तहत इसे गैर-कानूनी नहीं
माना जाता ।
अगर हिन्दू लड़की बच कर भाग जाती है और रिपोर्ट करने की
जुर्रत करती है तो उसे मुस्लिम परिवारों में ले जाया जाता है, जहां कई दिनों तक रिश्तेदार
और दोस्त उनके साथ बलात्कार करते हैं | मुस्लिम महिलायें भी इस मुठभेड़ में मदद करती
हैं ।
शायद इस भयावह भविष्य से पश्चिम बंगाल के हिन्दू बच पायें, क्योंकि सारधा वित्तीय घोटाले के तार इस्लामवादियों और ममता बनर्जी की खतरनाक संबंधों को उजागर कर सकते हैं | यदि परिणाम स्वरुप उनकी सरकार गिरती है तो यह वर्तमान स्थिति के प्रति जागृति का संकेत होगा |
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