परीक्षा के उत्सव को आनंद उत्सव में परिवर्तित कीजिए - देश के विद्यार्थियों के साथ मोदीजी की मन की बात |



प्रधान मंत्री द्वारा विद्यार्थियों से की गई मन की बात के कुछ अंश –
मैं नहीं जानता हूँ, मेरी बातें किसको कितनी काम आयेंगी, लेकिन मुझे संतोष होगा कि चलिये मेरे युवा दोस्तों के जीवन के महत्वपूर्ण पल पर मैं उनके बीच था. 

अधिकतम लोगों को मैंने देखा है कि वो परीक्षा को अपने जीवन की एक बहुत महत्वपूर्ण घटना मानते हैं और उनको लगता है कि ये गया तो सारी दुनिया डूब जायेगी। दोस्तो, कभी भी इतना तनाव मत पालिये। हाँ, अच्छा परिणाम लाने का इरादा होना चाहिये। पक्का इरादा होना चाहिये, हौसला भी बुलंद होना चाहिये। लेकिन परीक्षा बोझ नहीं होनी चाहिये । 

दोस्तों एक बात है जो हमें बहुत परेशान करती है। हम हमेशा अपनी प्रगति किसी और की तुलना में ही नापने के आदी होते हैं। हमारी पूरी शक्ति प्रतिस्पर्धा में खप जाती है। जीवन के बहुत क्षेत्र होंगे, जिनमें शायद प्रतिस्पर्धा जरूरी होगी, लेकिन स्वयं के विकास के लिए तो प्रतिस्पर्धा उतनी प्रेरणा नहीं देती है, जितनी कि खुद के साथ हर दिन स्पर्धा करते रहना। मैं कहूँगा, इच्छाएं स्थिर होनी चाहिये और जब इच्छाएं स्थिर होती हैं, तभी तो संकल्प बनती हैं और संकल्प बाँझ नहीं हो सकते। संकल्प के साथ पुरुषार्थ जुड़ता है. और जब पुरुषार्थ जुड़ता है तब संकल्प सिद्दी बन जाता है. हर दिन हर पल अपने आपको कसौटी पर कसते रहिये। जो जिन्दगी की परीक्षा से जुड़ता है उसके लिए क्लासरूम की परीक्षा बहुत मामूली होती है। 

आप अपने मार्गदर्शक बन जाइए। और भगवान् बुद्ध तो कहते थे अंतःदीपो भव:। आपके भीतर जो प्रकाश है न उसको पहचानिए आपके भीतर जो सामर्थ्य है, उसको पहचानिए । परीक्षा क्षमता प्रदर्शन के लिए नहीं, खुद की क्षमता पहचानने के लिए है। इसलिए परीक्षा को आप दुनिया को दिखाने के लिए एक चुनौती के रूप में मत लीजिये, उसे एक अवसर के रूप में लीजिये। खुद को जानने का, खुद को पह्चानने का, खुद के साथ जीने का यह एक अवसर है। जी लीजिये न दोस्तो। 

दोस्तो मैंने देखा है कि बहुत विद्यार्थी ऐसे होते हैं जो परीक्षाओं के दिनों में नर्वस हो जाते हैं। नर्वस होने का मूल कारण होता है अपने आप पर भरोसा नहीं है। आपने साल भर जो मेहनत की है न, उन किताबों को वो रात-रात आपने पढाई की है आप विश्वाश कीजिये वो बेकार नहीं जायेगी। वो आपके दिल-दिमाग में कहीं न कहीं बैठी है, परीक्षा की टेबल पर पहुँचते ही वो आयेगी। आप अपने ज्ञान पर भरोसा करो, अपनी जानकारियों पर भरोसा करो, आप विश्वास रखो कि आपने जो मेहनत की है वो रंग लायेगी । 

कुछ विद्यार्थी परीक्षा खंड से बाहर निकलते ही हिसाब लगाना शुरू कर देते है कि पेपर कैसा गया! बीत गयी सो बात गई, प्लीज उसे भूल जाइए, मैं उन माँ बाप को भी प्रार्थना करता हूँ प्लीज अपने बच्चे को पेपर कैसा गया ऐसा मत पूछिए, बाहर आते ही उसको कह दे वाह! तेरे चेहरे पर चमक दिख रही है, लगता है बहुत अच्छा पेपर गया? वाह शाबाश, चलो चलो कल के लिए तैयारी करते है! 

मै शिक्षक मित्रों से कहना चाहता हूँ, स्कूल मित्रों से कहना चाहता हूँ कि क्या हम साल में दो बार हर term में एक weak का परीक्षा उत्सव नहीं मना सकते हैं, जिसमें परीक्षा पर व्यंग्य काव्यों का कवि सम्मलेन हो. कभी एसा नहीं हो सकता परीक्षा पर कार्टून स्पर्धा हो परीक्षा के ऊपर निबंध स्पर्धा हो परीक्षा पर वक्तृत्व प्रतिस्पर्धा हो, परीक्षा का हव्वा अपने आप ख़त्म हो जाएगा। एक उत्सव का रूप बन जाएगा | ये तनावपूर्ण अवस्था ठीक नहीं है | परीक्षा को उत्सव बना दीजिए, ऐसा मौज मस्ती से परीक्षा दीजिए, और हर दिन achievement का आनंद लीजिए, पूरा माहौल बदल दीजिये। माँ बाप, शिक्षक, स्कूल, classroom सब मिल करके करिए, देखिये, कसौटी को भी कसने का कैसा आनंद आता है, चुनौती को चुनौती देने का कैसा आनंद आता है, हर पल को अवसर में पलटने का क्या मजा होता है! 

आइये, परीक्षा के उत्सव को आनंद उत्सव में परिवर्तित कीजिए, बहुत बहुत शुभकामनाएं! 

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