पेशे से डॉक्टर विवेक पोतदार प्रेक्टिस छोड़ कर रहे है वर्टिकल फार्मिंग !

भोपाल निवासी डॉ. विवेक पोतदार होने को तो पेशे से होम्योपैथी डॉक्टर हैं परन्तु इन्होने अग्निहोत्र विधि से वर्टिकल फार्मिंग की नई तकनीक आजमाई है ! यह तकनीक न केवल किसानों के लिए फायदेमंद है, बल्कि शहरवासी भी इसका इस्तेमाल कर सकते हैं ! यही नहीं वर्टिकल फार्मिंग के इस मॉडल को ओडिशा सरकार ने एडॉप्ट कर लिया है और ओड़िसा में इसका प्रचार-प्रसार कर रही है !

बैरागढ़ के माधव आश्रम निवासी विवेक पोतदार पेशे से होम्योपैथी डॉक्टर हैं ! उन्होंने खेती की समस्याओं को देखते हुए जनवरी-2013 से घर पर ही वर्टिकल फार्मिंग के प्रयोग शुरू कर दिए थे ! अपने प्रयोग में उन्होंने रासायनिक खाद का इस्तेमाल न करने का प्रण लिया और आॅर्गेनिक व अग्निहोत्र विधि से रिसर्च करना शुरू कर दिया ! धीरे-धीरे उम्मीद के अनुरूप परिणाम मिलने लगे और उन्होंने इसे जारी रखते हुए वर्टिकल फार्मिंग को एक बड़ा रूप देना शुरू किया ! डॉ. पोतदार ने जाली के गमले में तीन से भी ज्यादा वैरायटी की सब्जियां और पानी के पाइप में स्वस्थ मूली उगाई है ! भोपाल निवासी डॉ. विवेक पोतदार ने छोटी-सी जगह और कम से कम पानी में अच्छी क्वालिटी की सब्जियां और फल भी उगाए हैं !


डॉ. विवेक के अनुसार उनके परिवार में कई दशकों से अग्निहोत्र विधि से खेती होती आ रही है ! अग्निहोत्र विधि में हवन से निकली राख से बने खाद का प्रयोग होता है ! वर्टिकल फार्मिंग में गोबर और मिट्टी की खाद में अग्निहोत्र भस्म के साथ अमृत-पानी (गुड़ व गौमूत्र) और जीवामृत (गुड़, पानी, बेसन व गौमूत्र) का इस्तेमाल किया जाता है ! इसमें यूरिया मिलाने की जरूरत नहीं पडती है, पौधों में कीड़े न लगें, इसलिए मटका विधि से कीटनाशक तैयार किया जाता है, जिसमें अकौआ और नीम का उपयोग किया जाता हैं ! पौधों की ग्रोथ के लिए खजरा (दीमक और गौशाला की मिट्टी) का इस्तेमाल होता है !

डॉ. विवेक ने वर्टिकल फार्मिंग से अब तक पांच प्रकार की सेम समेत कई वैरायटी की गोभी, लौकी, टमाटर, आलू, हरी मिर्च आदि उगा चुके हैं ! वे इतनी सब्जी उगा लेते हैं कि आश्रम और घर दोनों के लिए बाहर से सब्जी नहीं खरीदनी पड़ती है ! इतना ही नहीं इस विधि से पौधों में कीड़े नहीं लगते, सब्जियों व फलों की क्वालिटी बेहतर होती है, कम जगह में अधिक उत्पादन होता है, पानी की बचत होती है, एक गमले में तीन से भी अधिक सब्जियां उगाई जा सकती हैं, फलों-सब्जियों का विकास तेजी से होता है ! इसमें खरपतवार और कीड़े लगने की आशंका बहुत कम होती है ! कम खर्च में अधिक और स्वादिष्ट उत्पादन भी होता है !

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