मेरा भारत महान - श्योपुर


मध्यप्रदेश के कोने में बसा श्योपुर जिला शासकीय दृष्टि से २५ मई १९९८ को अस्तित्व में आया ! उसके पूर्व यह मुरैना जिले में एक तहसील के रूप में सम्मिलित था ! इसका अधिकाँश भाग राजस्थान से लगा हुआ है ! इस कारण यहाँ के रहन सहन, बोलचाल आदि पर राजस्थानी संस्कृति की छाप स्पष्ट दिखाई देती है ! राजस्थान की सतरंगी संस्कृति एवं विलक्षण कला के नमूने भी यत्र तत्र बिखरे मिलते हैं ! 

इतना ही नही तो पाषाण युग के चिन्ह भी यहाँ मिलते हैं ! जब मानव गिरि कंदराओं में निवास करता था, उस समय के शैल चित्र माडी करार, डोव कुंड, रेमजा खोह, निमानिया आदि स्थानों पर प्राप्त हुए हैं ! डोव स्थित दसवी शताव्दी के भग्नावशेष व पुरातन कुंड किसी प्रागेतिहासिक नगर का आभाष देते हैं ! प्रख्यात पुरातत्ववेत्ता पद्मश्री वाकणकर जी भी अपने जीवन काल में यहाँ के भित्तिचित्रों से अत्यंत प्रभावित हुए थे ! वे गोरस के आगे घने जंगलों में स्थित पातळ गढ़ तक गए थे ! 

सन १४८९ तक यहाँ हिन्दू राजाओं का शासन था किन्तु उसके बाद अलाउद्दीन खिलजी का यहाँ अधिपत्य हो गया ! ४०० वर्षों तक मुस्लिम अधिपत्य में रहने के बाद ग्वालियर के शासक दौलतराव सिंधिया ने यहाँ कब्जा किया ! तत्पश्चात राघोगढ़ के राजा जयसिंह खीची तथा सिंधिया परिवार के बीच इस पर कब्जे की रस्साकसी चलती रही ! 

यहाँ का किला प्रस्तर शिल्प का बेजोड़ नमूना है ! अन्य दर्शनीय स्थलों में सीप, चम्बल तथा बनास नदियों के संगम पर बना रामेश्वर महादेव का मंदिर, छिम्छिमा हनुमान मंदिर, बागल्दा का जगदीश मंदिर, पालपुर अभयारण्य, कूनो साईफन, पार्वती एक्वाडक्ट, दुर्गा पुरी का पावन दुर्गा मंदिर आदि हैं !

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