मेरा भारत महान - विदिशा जिले की बासौदा तहसील



बासौदा तहसील स्थित गमाकर में मंदिर के आकार की पहाड़ी की गुफा में स्थित प्राचीन सिद्धेश्वर शिव मंदिर की दीवारों पर स्वतः समय समय पर उभर आने बाली दैवीय आकृतियाँ सैलानियों को चमत्कृत कर देती हैं ! इस मंदिर की पहाड़ी, शिवलिंग तथा गुफा के अंदर स्थित आला चमत्कारिक ढंग से बढ़ रहा है ! जो आला पहले एक फूट का था आज तीन फुट का हो गया ! उदयपुर के प्राचीन नीलकंठेश्वर शिव मंदिर की दीवारों पर अंकित कलाकृतियां खजुराहो को चुनौती देती प्रतीत होती है ! इस मंदिर का निर्माण राजा भोज के पुत्र उदयादित्य द्वारा करबाया गया था ! उदयपुर स्थित महामाई मंदिर में प्रतिदिन तीन रूप बदलते हैं ! खुरई तहसील का पठारी क्षेत्र भी पुरातत्व महत्व की अनमोल धरोहर है ! पठारी के बडोह स्तंभ तालाब की विशेष प्रसिद्धि है !

स्थानीय स्तर पर मान्यता है कि बासौदा वस्तुतः वासुदेव का अपभ्रंश है ! इस कारण जन प्रतिनिधियों द्वारा समय समय पर इस नगर का नाम बदलने की मांग उठाई जाती रही है ! “सौ सौदा एक बासौदा” कहावत भी प्रचलित है, जो यहाँ की संपन्न मंडी की परिचायक है ! इसी धारणा के चलते इसे वासौदा कहा जाता है ! वेत्रवती के किनारे राजेन्द्र नगर से नौलखा घाट तक जमीन के अंदर किसी प्राचीन नगर का आभास मिलता है ! सिरोंज का वासुदेव मंदिर लाल पत्थर की प्राकृतिक गुफा के अंदर है, जहां एक कुंड में विद्यमान गुफा के विषय में मान्यता है कि बह रावजी की हवेली तक गई है ! इस कुंड के जल से चर्म रोगों के निदान की धारणा है ! कुंड में बड़ी संख्या में सर्प निवास करते हैं, किन्तु उनके द्वारा कभी किसी को क्षति नहीं पहुंचाई गई !

सिंरोंज में जल संरक्षण की विशेषता लिए हुए पंचकुईयां नामक स्थान है ! सिरोंज के नजदीक ही सेमलखेडी ग्राम को जैन सम्प्रदाय में तारण पंथ के प्रणेता तारण स्वामी की तपःस्थली माना जाता है ! लटेरी में मदागन को ऋषि जमदग्नि की तपःस्थली माना जाता है ! वसौदा से ३० कि.मी की दूरी पर कालादेव नामक स्थान है, जहां भील देवता के रूप में भगवान कृष्ण को विद्यमान माना जाता है ! यहाँ श्री कृष्ण की अत्यंत प्राचीन वा सुन्दर मूर्ती है ! नजदीक ही करीला देवस्थान पर वाल्मीकि आश्रम तथा लवकुश एवं सीताजी का पावन मंदिर है ! यहाँ मान्यता है कि मांगी गई मन्नत अवश्य पूरी होती है ! मन्नत पूरी होने पर श्रद्धालू लाखों की संख्या में रंग पंचमी तथा हनुमान जयन्ती पर एकत्रित होते है ! इस अवसर पर लोक नृत्य राई का आयोजन होता है ! कुरवाई में गजसिंहवाहिनी देवी की अद्भुत प्रतिमा भोंरासा गाँव में स्थित है ! इसे हिंगलाज देवी का मंदिर कहा जाता है ! पांडवों के अज्ञातवास से जुडा स्थल भीमगजा, भाल्बामोर की रमझिरिया, तथा शमीवृक्ष का विशेष महत्व माना जाता है !

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