क्या मर कर फिर से जिन्दा हो गया है कुख्यात गडरिया गिरोह ?




किसी जमाने में आतंक का पर्याय रहा रामबाबू दयाराम गडरिया गिरोह एक बार फिर चर्चा में है, सुर्ख़ियों में है | सवाल उठ रहा है कि क्या एक बार फिर से मध्यप्रदेश का कुख्यात राम बाबू दयाराम गडरिया गिरोह मर कर जिन्दा हो गया है ? यह एक ऐसा सवाल है जो आजकल मध्यप्रदेश के ग्वालियर चम्बल संभाग में लोगों के दिलो दिमाग में कोंध रहा है  !

दरअसल बीते दिनों नवरात्रि पर्व के ठीक पहले कुख्यात गिरोह के सरगना रामबाबू दयाराम गडरिया के नाम से बेलगडा क्षेत्र में स्थित लखेश्वरी माता मंदिर पर चढ़ाये गए घंटे से क्षेत्र वासियों में दहशत का माहोल व्याप्त है ! हालंकि इस पर पुलिस प्रशासन अभी चुप्पी साधे बैठा हुआ है !

पूर्व में पुलिस के द्वारा गिरोह के सरगना दयाराम गडरिया को 5 अगस्त 2006 एवं रामबाबू गडरिया को आमखो के पास बक्सनपुर के जंगल में अप्रैल 2007 में मुठभेड़ में मारे जाने का दावा किया जा चुका है ! अब ऐसे में यह सवाल उठना लाजमी है कि यदि गडरिया गिरोह के सरगना काल के गाल में समां चुके है तो रामबाबू-दयाराम गडरिया के नाम से यह वजनी घंटा कौन चढ़ा गया ? आश्चर्यचकित कर देने वाली बात यह है कि मंदिर में चढ़ाया गया घंटा बड़े आकार के साथ साथ बहुत भारी भी है एवं इसे केवल एक या दो व्यक्ति मिलकर मंदिर तक नहीं ला सकते थे ! यहां जब यह गिरोह सक्रिय था तो हर नवरात्र में डकैत घंटा चढ़ाकर देवी मां की आराधना करते रहे है ! ऐसे में मदिर के पुजारी और आसपास के लोगों का मौन भी इस घटना को रहस्यमयी बना रहा है !

आज भी रहस्य है गडरिया गिरोह की करोडो की संपत्ति !

अंचल में एक दशक से अधिक समय तक आतंक का दूसरा नाम रहे गडरिया गिरोह के खात्मे का दावा पुलिस द्वारा वर्ष 2007 में किया गया था ! गिरोह के सरगना की मौत के बाद बाकायदा उनकी डीएनए जांच भी करवाई गयी ! वैसे इस गिरोह के सरगना दयाराम का शव पुलिस को प्राप्त नहीं हुआ था बल्कि उसके शव के अवशेष पुलिस को मझेरा के पास पहाड़ पर प्राप्त हुए थे तब भी यह खबर उडी थी कि दयाराम जिन्दा है, तब पुलिस के अधिकारियों ने लाश के अवशेषों का डीएनए करवाया था ! 

इसी प्रकार गिरोह के दुसरे सरगना रामबाबू गडरिया की लाश उसके वास्तविक हुलिए से मेल नहीं खा रही थी ! कभी लम्बी लम्बी दाड़ी रखनेवाला रामबाबू मृत्यु के समय क्लीन शेव था ! पुलिस ने इसके शव का भी डीएनए करवाया था ! आज पुलिस इस पूरे मामले की जांच की बात कह रही है ! गडरिया गिरोह का सम्पूर्ण ग्वालियर चम्बल संभाग में अपना एक विशेष और बेहद शक्तिशाली नेटवर्क रहा है ! इस गिरोह को सजातीय समर्थन भी प्राप्त था ! गडरिया गिरोह द्वारा फिरौती और लूटपाट के द्वारा जुटाई गयी करोडो की सम्पदा कहाँ और किन लोगों के पास है यह अभी तक रहस्य ही है !

पहले भी हुए है गिरोह के फर्जी एनकाउंटर

गडरिया गिरोह और फर्जी एनकाउंटर का पुराना नाता रहा है ! पूर्व में भी रामबाबू गडरिया को शिवपुरी पुलिस खोडन के जंगलों में ढेर करने का दावा कर चुकी है ! इसके बाद रामबाबू गडरिया ने स्वयं पुलिस को समर्पण कर पुलिस के इस झूठे एनकाउंटर की पोल खोली थी ! यही नहीं विजय गडरिया के नाम पर तोता आदिवासी को भी एनकाउंटर में मारा जा चुका है !

क्या है जनधारणा ?

गली मोहल्लों, पान की गुमटियों या चाय के स्टालों में बैठकर यह चर्चा आम है कि फिरौती के धंधे में करोड़ों कमाने के बाद रामबाबू व दयाराम दोनों किसी महानगर में आराम की जिन्दगी जी रहे हैं | जंगल जंगल घूमने के बाद अब शहरों में किसी नए नाम से समा जाना कोई ज्यादा बड़ी बात है भी नहीं | जब चार करोड़ बंगलादेश के नागरिक भारत में सरकार बना बिगाड़ रहे हैं तो भला इन दो लोगों का विलय क्या बड़ी बात है ? 

एक टिप्पणी भेजें

एक टिप्पणी भेजें