लड़ाई का समापन या युद्ध का प्रारम्भ


नाटक, साज़िश, उन्मत्तता, प्रबंधन, आरोप, प्रत्यारोप के बाद अंततः केजरीवाल द्वारा इस्तीफे को वापस लेने से इनकार जैसी धमकी के बाद भी योगेन्द्र यादव और प्रशांत भूषण का निष्कासन मतदान के जरिये केवल 11-8 के बहुमत से, यह दिखाता है कि आप के विघटन की शुरूआत हो गई है | ख़ास बात यह है कि इस बहुमत को जुटाने के लिए भी केसरीवाल खेमे को कई पापड बेलने पड़े | 

योगेन्द्र यादव और प्रशांत भूषण का कहना था कि पीएसी का पुनर्गठन करने के लिए नए चुनाव करवाए जाएँ | उन्होंने यह भी कहा कि वे स्वेच्छा से उस चुनाव में भाग नहीं लेंगे | किन्तु उनका यह सुझाव अमान्य करते हुए उनसे स्तीफा देने को कहा गया | जिसे उन्होंने अमान्य कर दिया |
किन्तु जब दोनों ने स्तीफा देने से इनकार कर दिया और उन दोनों को हटाने के सवाल पर स्थिति चुनाव की बनी तो अरविंद केसरीवाल गुट को पराजय की आशंका ने घेर लिया | 

किसी प्रकार मयंक गांधी को मतदान में भाग नहीं लेने के लिए मनाया गया | साथ ही “आप” की राजस्थान इकाई को सन्देश भेजा कि वे अपने प्रतिनिधि के रूप में किसी अरविंद समर्थक को भेजें | किन्तु जब उन्हें बताया गया कि वहां से प्रतिनिधि बैठक में भाग लेने को निकल चुका है, तो अरविंद समर्थकों के होश उड़ गये | किसी प्रकार अंतिम समय में प्रतिनिधि परिवर्तित किया गया, तब कहीं जाकर यह 11-8 का बहुमत प्राप्त हो सका | अन्यथा तो केसरीवाल जी के गुट को 10-9 की अपमान जनक पराजय झेलनी होती | 

कुल मिलाकर दिल्ली के मुख्यमंत्री किसी भी हालत में यादव और भूषण को झेलने के मूड में नहीं थे । यहाँ तक कि उन्होंने इन दोनों से फोन पर बात करने से भी इनकार कर दिया । प्रशांत भूषण द्वारा केजरीवाल को दो संदेश भेजे गए, किन्तु उनका जवाब देने की जहमत भी उन्होंने नहीं उठाई ।

बैठक में गर्मागर्म बहस और आरोप-प्रत्यारोप हुए । यादव पर 'पार्टी विरोधी' गतिविधियों का आरोप लगाया गया । किन्तु उनके व प्रशांत भूषण द्वारा उठाये गए मुद्दों पर कोई चर्चा नहीं होने दी गई | न तो प्रत्यासी चयन पर कोई चर्चा हुई और न ही धन की सोर्सिंग, चुनाव खर्च का ब्यौरा, एक व्यक्ति एक पद जैसे मुद्दों को उठाया जा सका | केजरीवाल का इस्तीफा तो अस्वीकार किया ही जाना था ।

अब सवाल यह है कि इतनी कड़वाहट और बराबरी के शक्ति संतुलन के बाद क्या इसे तूफान का अंत कहा जा सकता है ? क्या इस बात की कोई रंचमात्र भी उम्मीद की जा सकती है कि योगेन्द्र यादव और प्रशांत भूषण को किसी नई जिम्मेदारी से नवाजा जाएगा ? वस्तुतः यह “आप” के भीतर की बदसूरत लड़ाई की शुरुआत भर है। कुछ ही दिनों में और अधिक गंदगी दिल्ली की जनता को दिखाई दे जायेगी । 

बैठक में मौजूद सूत्रों के अनुसार यादव और केजरीवाल के बीच हुई बातचीत को मीडिया को जारी करने की धमकी भी बैठक में दी गई । इसका मतलब है कि कई और खुलासे आने वाले दिनों में देखने को मिलेंगे | जिसकी शुरूआत एक हैरतअंगेज घटना चक्र के रूप में मयंक गांधी के ब्लॉग से हो गई है, जिन्होंने एक ब्लॉग लिखकर सार्वजनिक रूप से मांग की है कि उक्त बैठक के मिनिट सार्वजनिक किये जाएँ | उन्होंने इस बात पर सख्त आपत्ति जताई है कि यादव और भूषण को सार्वजनिक रूप से पराजित दर्शाकर अपमानित किया गया | 

आखिर “आप” में स्टिंग ओपरेशन के अनगिनत महारथी योद्धा विराजमान हैं | अब इन्हें आपस में ही तो जूझना है | यह लड़ाई की समाप्ति नहीं, युद्ध की शुरूआत है | 

आधार - http://www.firstpost.com/politics/real-story-behind-bhushan-yadavs-ouster-kejriwal-played-hardball-threatened-to-quit-2136449.html
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