हैरत होती है कि कैसी मूर्खता चलती रही है काश्मीर में ?



काश्मीर में पिछली अब्दुल्ला सरकार ने किस प्रकार मनमाने और आतंकियों की हौसला अफजाई करने वाले निर्णय लिए हैं, जानकर हैरत होती है | इस बात का खुलासा करते हुए सोमवार को भारतीय जनता पार्टी के नोवशेरा से विधायक श्री रवीन्दर रैना पिछली उमर अब्दुल्ला सरकार द्वारा शुरू की गई “आतंकवादियों के आत्मसमर्पण और पुनर्वास नीति" को राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए एक गंभीर खतरा बताया और इस नीति को तत्काल समाप्त करने की मांग की। श्री रैना ने यह मांग विधान सभा में गृह विभाग की अनुदान मांगों पर चर्चा के दौरान की |

स्मरणीय है कि जम्मू और कश्मीर सरकार ने 2010 में यह विवादास्पद आत्मसमर्पण और पुनर्वास नीति बनाई थी। इस नीति के तहत पाक अधिकृत कश्मीर में हथियारों के प्रशिक्षण के लिए गए युवाओं को वापस आने व सुविधाएँ देने का प्रावधान था |

तत्कालीन मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने इन तथाकथित 'गुमराह' युवकों की वापसी के लिए चार मार्ग चिन्हित किये थे | पुंछ जिले में चाकन-दा-बाग, बारामूला जिले में सलामाबाद, नई दिल्ली में इंदिरा गांधी अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे और पंजाब में वाघा-अटारी से ये लोग भारत वापस आ सकते थे ।

राज्य सरकार के इस निर्णय पर सवालिया निशान लगते हुए श्री रैना ने पुछा कि अगर भारत आने के बाद ये लोग आतंकी गतिविधि में संलग्न होते हैं, तो उसका जिम्मेदार कौन होगा ? भविष्य में ये आतंकवादी कार्य नहीं करेंगे इसकी गारंटी कौन लेगा ?

उन्होंने कहा कि जो लोग विगत 20 – 25 वर्षों से आतंकी गतिविधियों के लिए पाकिस्तान में वह हथियार और गोला बारूद का प्रशिक्षण लेते रहे हैं, उन पर भरोसा नहीं किया जा सकता है और भारत में उनकी वापसी पर कोई रियायत देने की पेशकश नहीं की जाना चाहिए ।

रैना ने जब नीति को समाप्त करने की मांग की तो लंगट के निर्दलीय विधायक इंजीनियर रशीद ने पुरजोर विरोध किया | रशीद का कहना था कि जो लोग सीमा पार पाकिस्तान गए हैं, वे जम्मू कश्मीर के ही नागरिक हैं, अतः उन्हें वापस आने का पूरा अधिकार है । क्योंकि भारत पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर को भी अपना ही अंग मानता है |

रैना ने रशीद से पूछा के वापस आने के बाद अगर वे राष्ट्र विरोधी गतिविधियों में लिप्त होते है तो क्या उनकी गारंटी रशिद लेंगे ।

रैना ने पुलिस विभाग में अधिक जवाबदेही और पारदर्शिता लाने के लिए पुलिस अधिकारियों की चल अचल संपत्ति सार्वजनिक करने की भी मांग की । उनका कहना था कि पारदर्शिता लाने के लिए सभी तरह के रिकॉर्ड आधिकारिक वेबसाइट पर अपलोड किया जाना चाहिए ।

उन्होंने यह भी सुझाव दिया कि जूनियर और अधीनस्थों की अवैध गतिविधियों के लिए वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों को भी जिम्मेदार ठहराया जाना चाहिए । एक एसओ अपराध करता है, तो सजा डीएसपी को भी दी जाना चाहिए और एक डीएसपी अपराध करे तो कार्रवाई एसएसपी के खिलाफ भी होना चाहिए । वरिष्ठ अधिकारियों को अपने जूनियर की गलत हरकत के लिए जवाबदेह बनाया जाना चाहिए ।

रैना ने विशेष पुलिस अधिकारियों एसपीओ और ग्राम रक्षा समितियों के सदस्यों (समिति) 'के लिए पर्याप्त मानदेय दिए जाने तथा उनके नियमितीकरण की भी मांग की | उन्होंने कहा कि राज्य से अपराध और आतंकवाद को नष्ट करने में ये महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं ।

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