बजट 2015-16 का प्रमुख विन्दु



राजनीति में एक शब्द प्रयोग अक्सर सुनने को मिलता है | जो भी सर्वोच्च पद पर पहुँचता है इस शब्द का प्रयोग गाहे बगाहे अक्सर करता है | “हम पर कोई जादू की छडी नहीं है कि एक दिन में सब कुछ ठीक कर सकें” | लेकिन अहम बात यह है कि जादू की छडी न होने की बात करने वाले अक्सर ठीक करने की दिशा में कदम भी नहीं उठाते | इस नजरिये से अगर देखें तो एक बात दिन के उजाले की तरह साफ नजर आती है कि मोदी सरकार ने सकारात्मक परिवर्तन की दिशा में एक कदम तो उठाया है |

जेटली ने अच्छे और बुरे के बीच स्पष्ट अंतर किया है | उन्होंने जहां भारतीय और विदेशी उद्योगपतियों को आश्वस्त किया है कि भारत की महत्वाकांक्षा दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ती आधुनिक अर्थव्यवस्था बनना है और इसलिए वह अपने विराट सुधार कार्यक्रमों के माध्यम से भारत को एक नयी आकृति प्रदान करने को कटिबद्ध है | साथसाथ ग्रामीण विकास को पर्याप्त महत्व देकर अमीर और गरीब की खाई को पाटने, शहर और गाँव के अंतर को कम करने का प्रयत्न किया है | जो बीमा योजनायें घोषित की गई हैं, वे भी अद्भुत और जनोपयोगी हैं, वृद्धावस्था में व्यक्ति को सुरक्षित भविष्य प्रदान करने वाली हैं |

उन्होंने यह भी साफ़ किया है कि अगर कोई टैक्स चोरी कर ब्लेक मनी का उत्पादन करेगा तो उसे बख्शा नहीं जाएगा, उसके खिलाफ कठोर दंडात्मक कार्यवाही की जायेगी | भारत के इतिहास में पहली बार ब्लेक मनी को परिभाषित कर दंडनीय अपराध बनाया गया है | हालांकि अभी विदेशों में जमा कालेधन को लौटाने के मामले में तो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की विफलता आलोचकों के हाथ में एक बड़े हथियार के रूप में यथावत है | आगे आगे देखिये होता है क्या ?

लेकिन जहां तक मेरा सवाल है, मेरा मानना है कि सरकार में बैठे लोगों की देशभक्ति असंदिग्ध है, उनकी नियत साफ़ है | उनकी प्राथमिकता पैसा बनाना नहीं, बल्कि देश की सवासौ करोड़ जनता की सेवा करना है | इसलिए यह निश्चित है कि कमसेकम इतना तो होगा ही कि देश में कालाधन उत्पन्न न हो, इस दिशा में लगातार प्रयत्न होंगे

आज बजट की आलोचना वे ही लोग कर रहे हैं, जो यातो जादू की छडी से त्वरित परिवर्तन चाहते हैं, या जो भारत की दुर्दशा के सर्वाधिक उत्तरदाई हैं | भारत मंथर गति से ही सही, ठीक दिशा की ओर बढे, यही हर भारतीय की आकांक्षा है |

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