कम्यूनिस्ट यूनियनों से संघर्ष की दास्ताँ - बीएचईएल भोपाल (भेल) में संघ कार्य

तत्कालीन सरसंघचालक श्री बालासाहब देवरस के साथ श्री उत्तमचंद इसराणी व विभीषणसिंह आदि 


१० फरवरी १९४० को ग्राम मुख्तारपुर जिला गया (वर्त्तमान में औरन्गावाद जिला) बिहार में जन्मे विभीषण सिंह ! हाई स्कूल के बाद आई टी आई डेहरी ओन सोन कसबे से किया ! उस समय रेलवे के फोरमेन श्री द्वारका प्रसाद अग्रवाल संघ कार्य हेतु पूरा समय देते थे ! वे अपनी गाड़ी में ही गणवेश का सामान साथ लेकर घूमते और नए लोगों को संघ से जोडने की मुहीम चलाते थे ! उनके माध्यम से विभीषण जी का भी संघ से संपर्क बना ! 

आई टी आई करने के बाद कुछ समय साहू केमीकल्स फेक्ट्री में कम करने के बाद १९५८ में बी एच ई एल भोपाल में ट्रेनिंग हेतु आये ! यहाँ शाखा नहीं मिलती थी ! नबाबी शासन रहा होने तथा मुस्लिम दबदबे के कारण भय और आतंक का माहौल था ! प्रारंभ में कबड्डी खेलने संघ की नेकर पहिनकर जाना शुरू हुआ ! नेकर को पहिचानकर कुछ लोगों ने मिलना जुलना शुरू किया ! शुरू में संशय रहा पर धीरे धीरे नजदीकी बढ़ी ! वे लोग स्कूल के एक कमरे में लगने बाली शाखा में ले गए ! सतपाल दादा तथा गिरिराज जी कार्यवाह मुख्य शिक्षक थे ! पूछने पर मालूम हुआ की भेल प्रवंधन ने नोटिस लगाया हुआ है कि “Jamayate Islami and RSS both are undesirable”! 

किन्तु विभीषण जी ने परिणाम की चिंता किये बिना मैदान में शाखा लगाना शुरू किया ! कम्युनिस्ट युनियन से संघर्ष होना ही था ! १९६९ में स्वयंसेवकों ने भी फेक्ट्री वर्कर्स युनियन का गठन किया ! गिरिराज जी उसके अध्यक्ष तथा शरद केतकर सचिव बने ! खूब मारपीट हुई ! शरद जी का सर फट गया ! विभीषण जी ने भी डंडा लेकर शरद जी पर प्रहार करने बाले का सर फोड दिया ! गिरिराज जी पिटते पिटते भी राष्ट्र भक्त मजदूरों एक हो का नारा लगते रहे ! हस्पीटिल में भरती किये गए ! केलकर एस पी ने सहयोगी रुख दिखाया और क्षेत्र में साथ घूमा ! उस घटना के बाद किसी ने मैदान में शाखा लगाने से नही रोका !

विभीषण सिंह जी का प्रथम वर्ष १९६५ में, द्वितीय १९७८ में तथा तृतीय १९८० में हुआ ! १९६२ से १९९८ तक लगातार कार्यवाह रहे ! भेल शाखा कार्यवाह से लेकर विभाग कार्यवाह तक ! प्रांतीय समिति में धर्म जागरण प्रमुख रहे ! भेल शाखा के गुरुमुखसिंह पंजाब में प्रचारक रहे थे तो रमेश विष्णु चिटनिस इंग्लेंड से आये थे ! वे वर्त्तमान में अमरीका में हैं ! महाराष्ट्र से आये पुरुषोत्तम पांडुरंग वापट तो बंगाल के समरेश चन्द्र सान्याल ! पूरा भारत समाहित था भेल शाखा में !

संघ से सबंधों के चलते १८ वर्ष प्रमोशन से वंचित रहे विभीषण सिंह जी को १९७८ में तत्कालीन जी एम एस.पी. सिंह तथा माधवराव ने प्रोन्नति दी ! प्रमोशन फिर वेटेज प्रमोशन सब मिल गए ! कार्य कुशलता से अधिकारी सिद्दीकी इतने खुश थे की इन्हें किसी और विभाग में जाने ही नहीं देते थे ! सेवा निवृत्ति के बाद मा. दत्तोपंत जी ने १९९८ में भारतीय मजदूर संघ से जोड़ा ! बीच में एम.ए. एल.एल.बी. होने के कारण वकालत करने का मन बनाया ! सोचा कि अधिवक्ता परिषद को भी जमाऊंगा, किन्तु श्री अरविंद जी मोघे ने पीछे पडकर वनवासी ग्रामीण मजदूर महासंघ का सचिव तथा बाद में संयुक्त सचिव बना दिया और कहा कि आपका काम कार्यकर्ता निर्माण है बही करो ! तबसे पूरे भारत में घूम रहे हैं विभीषण सिंह !

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