मनमोहन सिंह को सम्मन – दहकते कोयले की आग




मनमोहन सिंह को जाँच की जद में जो प्रकरण लाया, वह है ओडिशा के सुंदरगढ़ जिले का विवादास्पद तलाबीरा द्वितीय कोयला ब्लॉक | जांच समिति द्वारा मना करे के बावजूद इसे केन्द्रीय सार्वजनिक उपक्रम नेवेली लिग्नाइट कॉर्पोरेशन से लेकर आदित्य बिड़ला समूह के स्वामित्व वाली हिंडाल्को को दिया गया था | ख़ास बात यह है कि अगस्त 2009 में ऐसा करने की सिफारिश उडीसा के मुख्यमंत्री नवीन पटनायक ने भी जोर देकर की थी  ।

यहाँ यह ध्यान देने योग्य बात है कि सीबीआई ने पिछले साल अक्टूबर में इस प्रकरण में क्लोजर रिपोर्ट दायर कर दी थी, जिसमें अपनी संक्षिप्त रिपोर्ट में कहा था कि हिंडाल्को को कोयला ब्लॉक आवंटन राष्ट्र के व्यापक हित में' लिया गया था | यह दूसरी बात है कि अदालत ने इसे अस्वीकार कर रद्दी की टोकरी में डाल दिया और सीबीआई को नए सिरे से मामले की जांच के लिए आदेश दिया ।

सीबीआई को जहां पहले पूर्व प्रधानमंत्री के खिलाफ अनियमितता का कोई सबूत नहीं मिला था, इस नई जांच में मनमोहन सिंह को अभियुक्त बनाने के लिए पर्याप्त साक्ष्य पाया | अतः यह नहीं कहा जा सकता कि भविष्य में इसी प्रकार नवीन पटनायक पर गाज नहीं गिरेगी ।

निजी औद्योगिक घरानों से पटनायक का प्यार किसी से छुपा नहीं है | और विशेषकर आदित्य बिड़ला समूह से उनके सम्बन्ध ओडिशा में कोई रहस्य नहीं है। इस समूह ने 2009 में बीजद को 7.5 करोड़ रु का चुनावी चंदा दिया था ।

अब कांग्रेस नेता इसी बात पर जोर दे रहे हैं | वरिष्ठ कांग्रेसी नेता और ओडिशा विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष नरसिंह मिश्रा का कथन है कि "यह कितना आश्चर्यजनक है कि यह जानने के बाबजूद कि मुख्यमंत्री ने ही हिंडाल्को के पक्ष में सिफारिश की थी, सीबीआई ने उनसे पूछताछ करने की जरूरत कभी महसूस नहीं की” ।

यही तर्क भाजपा का भी है, किन्तु उन्हें आशा है कि नवीन पटनायक को अभी भी सीबीआई द्वारा तलब किया जा सकता है | पार्टी की राज्य इकाई के अध्यक्ष कनक वर्धन का कहना है कि दोषी कोई भी हो उसे बख्शा नहीं जाना चाहिए | मुझे आशा है कि मुख्यमंत्री को भी जांच के दायरे में लाया जाएगा |

यह आश्चर्यजनक है कि पूर्व प्रधान मंत्री को तो अभियुक्त के रूप में अदालत द्वारा तलब किया जा रहा है, किन्तु नवीन पटनायक को सरसरी तौर पर भी सीबीआई द्वारा अपनी जांच के दौरान पूछताछ के लिए नहीं बुलाया गया । नवीन पटनायक भी स्वयं इस समय देश की राजधानी में ही हैं और प्रभावशाली लोगों से मिलजुल कर अपना पक्ष रख रहे हैं | उनके पार्टी प्रवक्ता अमर प्रसाद सत्पथी का कथन है कि सिफारिश और निर्णय में स्पष्ट अंतर है | किसी की सिफारिश करना कोई अपराध नहीं है | जबाबदेही निर्णय करने वाले की होती है | उसे जांच कर निर्णय करना चाहिए | इसके बाद भी नवीन और उनके समर्थक यह महसूस कर रहे हैं कि हिंडाल्को का भूत इतनी आसानी से उनका पीछा नहीं छोड़ने वाला | वह कभी भी उनके सिर पर सवार हो सकता है और परेशानी में डाल सकता है |

यह तो सिर्फ शुरूआत है | अभी तो सीबीआई की जाँच की जद में राज्य का मेगा चिट फंड घोटाला भी है जिसकी जांच अभी मंथर गति से चल रही है | फिलहाल तो यह तलाबीरा मामला ही नवीन पटनायक की रातों की नींद हराम करने के लिए पर्याप्त है । यह इसलिए भी, क्योंकि मामला अब जांच एजेंसी के दायरे के बाहर चला गया है और अदालत इसकी सीधे तौर पर निगरानी कर रही है ।

अब देखना यह है कि इस दहकते कोयले की अग्नि परीक्षा में कौन कुंदन प्रमाणित होता है, और किसका बजूद राख में परिवर्तित होता है | 

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