राहुल की ताजपोशी के बाद क्या ?



अखिल भारतीय कांग्रेस पार्टी द्वारा विगत दिवस तीन बयान जारी हुए | बयान जारी होना इसलिए चर्चित हो गया क्योंकि ये बयान राहुल गांधी के नाम से जारी हुए | इसके साथ ही अटकलों का बाजार गर्म हो गया | राहुल गांधी देश में हैं, देश से बाहर हैं, योग साधना कर रहे हैं, अथवा अपने और पार्टी के भविष्य के विषय में मंथन कर रहे हैं आदि आदि | 

बयानों में तो सामान्य औपचारिकता ही थी | मसलन दिग्गज संपादक विनोद मेहता की मौत पर संवेदना, केरल विधानसभा के स्पीकर जी कार्तिकेयन की मौत पर संवेदना और समाजवादी पार्टी के प्रमुख मुलायम सिंह यादव के लिए शीघ्र स्वास्थ्य लाभ की कामना | 

आम कांग्रेसजन राहुल की वापसी या उनके ठिकाने के विषय में पूरी तरह अनभिज्ञ है | लेकिन अधिकाँश का मानना है कि राहुल का अज्ञातवास मुख्यतः भविष्य की योजनाओं पर विचार करने के लिए ही है । कांग्रेस सुप्रीमो के रूप में उनका आसन्न राज्याभिषेक तो तय ही है | किन्तु उसके बाद वह अपनी टीम में किन्हें शामिल करेंगे किन्हें नहीं, इस मंथन में संभवतः राहुल जुटे होंगे, ऐसा मानने वाले सर्वाधिक हैं | और इसीलिए बड़े बड़े नेताओं की नींद उडी हुई है | 

एक पुरानी कहावत है - "घोड़े की बला तबेले के सिर" | विगत लोकसभा चुनाव में हुई कांग्रेस पार्टी की ऐतिहासिक पराजय का ठीकरा किन किन नेताओं के सिर फूटना है, कहीं राहुल इसकी प्लानिंग तो नहीं कर रहे, यह सोचसोचकर पुराने खलीफा बेहद परेशान हैं |

किन्तु एक बात तो साफ़ है कि अगर राहुल संसद में मौजूद होते तो शायद लोगों का इतना अधिक ध्यान उनकी ओर नहीं जाता | उनकी अनुपस्थिति, उपस्थिति से कहीं अधिक मुखर है | अब देखना यह है कि राहुल का आत्म मंथन क्या गुल खिलाता है ? राहुल की वापसी के बाद कांग्रेस में नए उत्साह का संचार होता है अथवा वही ढाक के तीन पात वाली स्थिति रहती है |

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