वाह सरकारी दामाद बाड्रा, वाह हुक्काबरदार हुड्डा |

हुड्डा सरकार ने वाड्रा का अनुचित लाभ पहुचायाः कैग (File Photo)

नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (कैग) ने हरियाणा में भूपेंद्र सिंह हुडा के नेतृत्व वाली कांग्रेस की पिछली सरकार पर आरोप लगाया है कि उसने डीएलएफ के साथ जमीन समझौते में रॉबर्ट वाड्रा को अनुचित लाभ पहुंचाया। 

कैग ने अपनी पहली ड्राफ्ट रिपोर्ट में कहा है कि हरियाणा में भूपिंदर सिंह हुड्डा के कार्यकाल में वाड्रा की कंपनी स्काइलाइट हॉस्पिटैलिटी प्राइवेट लिमिटेड को एक कमर्शल कॉलोनी विकसित करने की अनुमति दी गई, जबकि उनके कोष में केवल एक लाख रुपए ही थे। रिपोर्ट में कहा गया है, 'सरकार ने कॉलोनाइजर की आर्थिक क्षमता के पक्ष को नजरअंदाज किया।'

रिपोर्ट के मुताबिक वाड्रा की कंपनी ने इसके बाद कॉलोनी बनाने के लिए जमीन खरीदी | हुड्डा सरकार की मंजूरी से इस जमीन के भूमि उपयोग में परिवर्तन (सीएलयू) के बाद इसे डीएलएफ को बेच दिया | और इस प्रकार उसे शुद्ध मुनाफ़ा हुआ 43.66 करोड़ रुपए ।

कैग की रिपोर्ट में कहा गया है कि जमीन सौदे की शर्त के हिसाब से वाड्रा की कंपनी स्काइलाइट हॉस्पिटैलिटी को अपने पास केवल 2.15 करोड़ रखने थे और बाकी मुनाफा सरकार के खाते में जमा कराना था। जमीन खरीद के सौदे में वाड्रा की कंपनी ने कुल मिलाकर 14.3 करोड़ रुपए खर्च किए, इनमें 7.5 करोड़ जमीन की खरीद में, 6.84 करोड़ सिक्यॉरिटी और लाइसेंस फीस पर खर्च किए। रिपोर्ट में कहा गया है कि हुड्डा सरकार को यूपीए अध्यक्ष के दामाद से 41.5 करोड़ रुपए वसूल करने चाहिए थे

अब कैग की रिपोर्ट के बाद एक सवाल उठना लाजिमी है | ना तो बाड्रा ने दिए और ना ही हुड्डा सरकार ने बसूले तो क्या दोनों दोषी नहीं ? और अगर दोषी हैं तो क्या इनको सजा नहीं मिलना चाहिए ? रकम की बसूली तो होना ही चाहिए | 
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