महिला न हुई युद्ध में लूटा गया सामान हो गईं - संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार आयोग की दिल दहलाने वाली रिपोर्ट

A Yazidi child -- whose family fled a 2014 offensive by Islamic State militants -- at the Dohuk shelter for displaced civilians in Iraq's autonomous Kurdistan region
एक अनाथ यज़ीदी बच्चा 


गुरूवार दिनांक 19 मार्च 2015 को प्रकाशित संयुक्त राष्ट्र की एक रिपोर्ट के अनुसार इस्लामी स्टेट के जिहादी, इराक के अल्पसंख्यक यज़ीदी समुदाय का नरसंहार कर पूरी तरह सफाया करने की कोशिश कर रहे हैं | 

संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार कार्यालय ने एक बयान में कहा है कि यह अब तक के सबसे गंभीर अंतरराष्ट्रीय अपराधों में से एक है जिसमें युद्ध अपराध, मानवता के खिलाफ अपराध और नरसंहार, तीनों एक साथ हैं ।

एजेंसी ने हत्या, अत्याचार, बलात्कार, यौन गुलामी और अतिवादियों द्वारा बाल सैनिकों के उपयोग के ब्यौरे को लेकर जो रिपोर्ट प्रकाशित की है वह दिल दहलाने वाली है । रिपोर्ट में कहा गया है कि इन सभी अपराधों में अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार और मानवीय कानून का उल्लंघन हुआ है ।

जून 2014 और फरवरी 2015 के बीच ईराक में हुए हमले में जीवित बचे 100 से अधिक गवाहों के साक्षात्कार पर आधारित इस रिपोर्ट में यज़ीदी, ईसाई, तुर्कमेन, कुर्द और शिया आदि जातीय और धार्मिक समूहों पर आईएस द्वारा किये गए क्रूरता पूर्ण कृत्यों पर प्रकाश डाला गया है ।

रिपोर्ट में कहा गया है कि यह स्पष्ट दिखाई देता है कि इस्लामिक स्टेट यज़ीदी समुदाय के खिलाफ 'नरसंहार' का दोषी है, तथा उसका इरादा इस समुदाय को पूरी तरह नष्ट करने का है ।
कई यज़ीदी गांवों में 14 वर्ष से अधिक आयु के सभी पुरुषों और लड़कों को इकठ्ठा कर गोली मार दी गई | जबकि महिलाओं और लड़कियों का युद्ध में लुटे गए माल की तरह अपहरण कर लिया गया ।

महिला न हुई युद्ध में लूटा गया सामान हो गईं -

इराकी सरकार द्वारा किए गए अनुरोध के बाद संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद द्वारा पिछले साल सितंबर में जांच का आदेश दिया गया था | उसके बाद जो रिपोर्ट आई है उसके अनुसार कुछ यज़ीदी गांव पूरी तरह से निर्जन हो चुके हैं | वहां अब कोई भी जीवित प्राणी नहीं बचा है |

कई यज़ीदी महिलाओं और लड़कियों को यौन गुलामी के दलदल में धकेल दिया गया है, उन्हें खरीदा बेचा जा रहा है अथवा उपहार के रूप में आई एस के सदस्यों को सौंप दिया गया है | 

एक 19 वर्षीय गर्भवती महिला ने बयान दिया कि उसके साथ लगातार ढाई महीने तक आईएस के एक डोक्टर ने बलात्कार किया | इतना ही नही तो वह उसके पेट पर बैठकर कहता रहा कि इस बच्चे को मर जाना चाहिए, क्योंकि यह काफिर है | मैं तुझसे एक और मुस्लिम बच्चे को पैदा कर दूंगा । 

आठ वर्षीय मासूम बच्चे को इस्लाम अपनाने के लिए मजबूर किया गया और फिर उसे धार्मिक और सैन्य प्रशिक्षण दिया गया | उस अबोध बालक को सिर काटने के वीडियो देखने को विवश किया गया ।

यज़ीदी जिनके प्राचीन धर्म में ईसाई, इस्लाम और पारसी धर्म के तत्व है, उसे सुन्नी मुस्लिम आतंकवादी शैतान की उपासना मानते हैं । रिपोर्ट के अनुसार अन्य धार्मिक और जातीय समूहों को भी निशाना बनाया गया | भयभीत होकर पिछले साल जून में हजारों ईसाई अपने घरों से पलायन कर गए, क्योंकि आई एस के जिहादियों ने आदेश जारी किया था कि या तो इस्लाम कबूल करो अन्यथा टेक्स देकर भाग जाओ ।

जून में इन आतंकियों ने बादौश जेल पर हमला कर 3000 कैदियों को छुडाया | उनमें से सुन्नियों को आजाद कर दिया तथा शेष 600 को जिनमें ज्यादातर शिया थे, एक ट्रक में भरा गया और फिर ट्रक को एक गड्ढे में पटक कर उन्हें गोलियों से छलनी कर दिया गया । उनमें से जो जान बचाकर भागने में सफल हो गए उन्होंने जांचकर्ताओं को इसकी जानकारी दी ।

जिहादियों को जिस पर भी इराकी सरकार के साथ जुड़े होने का शक होता था, उसको वे नृशंसता से निशाना बनाते थे | एक पूर्व पुलिस अधिकारी ने जांचकर्ताओं को बताया कि उसके पास पुलिस आईडी कार्ड बरामद हुआ तो जिहादियों ने उसकी आँखों के सामने उसके पिता, पांच साल के बेटे और पांच महीने की बेटी की गला घोंटकर ह्त्या कर दी | 

हालांकि रिपोर्ट में इराकी सुरक्षा बलों और संबद्ध फौजियों पर भी आईएस के खिलाफ चलाये गए अभियान के दौरान गंभीर अपराधों का आरोप लगाया गया है । पिछली गर्मियों में जब जिहादियों के खिलाफ सैन्य अभियान पूरे जोरों पर था, तब सरकार समर्थक बलों ने बिना न्यायिक प्रक्रिया के हत्याएं कीं, यातनाएं दीं, बड़ी संख्या में लोगों को विस्थापित किया, अपहरण किया | यह सब भी युद्ध अपराधों की श्रेणी में आता है ।

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