राजनेताओं पर कार्टून बनाना नहीं है कोई अपराध - हाईकोर्ट में ममता सरकार की पराजय |


साल 2012 में ममता बनर्जी ने दिनेश त्रिवेदी को हटाकर मुकुल रॉय को रेल मंत्री बनवाया। इसे आधार बनाकर सुब्रत सेनगुप्ता ने एक कार्टून बनाया | इस व्यंग्यात्मक कार्टून को जाधवपुर यूनिवर्सिटी में केमिस्ट्री के प्रफेसर अंबिकेश महापात्र ने 12 अप्रैल, 2012 को फेसबुक पोस्ट के रूप में अपने दोस्तों के साथ साझा किया । यह कार्टून तृणमूल सरकार को पसंद नहीं आया और 14 अप्रैल, 2012 को अंबिकेश और सुब्रत गिरफ्तार कर लिए गए।

कार्टून सत्यजीत रे की फिल्म 'सोनार केल्ला' पर आधारित था, जिसमें ममता और रेल मंत्री मुकुल राय को पार्टी के सांसद दिनेश त्रिवेदी से निपटने के तरीकों पर चर्चा करते हुए दिखाया गया था ।

पुलिस ने महापात्रा पर अवमानना से संबंधित भादंसं की धाराओं और महिला के अपमान के आरोप लगाए गए। साथ ही उन पर साइबर अपराध की धाराएं भी लगाई गईं। तत्कालीन श्रम मंत्री पुर्णेन्दु बोस ने भी गिरफ्तारी को उचित ठहराया था । गिरफ्तारी के बाद पूरे राज्य में व्यापक विरोध प्रदर्शन हुए थे तथा इसे अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर आघात बताया गया था |

जमानत पर रिहा होने के बाद पीड़ितों ने इसकी शिकायत राज्य मानवाधिकार आयोग से की। आयोग ने पुलिस के कदम को गलत ठहराते हुए दोनों को 50-50 हजार रुपये का मुआवजा देने की सिफारिश करते हुए अडिशनल ओसी और सब-इंस्पेक्टर के खिलाफ विभागीय जांच कराने को कहा था। राज्य सरकार ने इसे मानने से इनकार कर दिया था, जिसके बाद मामला हाई कोर्ट पहुंचा । 

मंगलवार को राज्य मानवाधिकार आयोग की सिफारिश को बरकरार रखते हुए हाई कोर्ट ने सरकार को निर्देश दिया कि मामले के पीड़ितों अंबिकेश महापात्र और सुब्रत सेनगुप्ता को एक महीने के अंदर 50-50 हजार रुपये का मुआवजा दिया जाए। साथ ही अदालती खर्च के तौर पर उन्हें अलग से 50 हजार रुपये देने के लिए भी कहा गया है। 

इस मामले में फैसला सुनते हुए न्यायाधीश दीपंकर दत्ता ने अंबिकेश महापात्र को गिरफ्तार करने वाले जाधवपुर थाने के पूर्व अडिशनल ओसी और सब-इंस्पेक्टर की भूमिका की विभागीय जांच का भी निर्देश दिया है। 

महापात्रा ने इस फैसले पर खुशी जाहिर करते हुए कहा, 'अगर राज्य सरकार ने मानवाधिकार आयोग की सुनी होती तो यह नौबत नहीं आती। यह सरकार की हार है। मुझे खुशी है कि कोर्ट ने लोगों के लोकतांत्रिक अधिकारों की रक्षा की है। यह बहुत जरूरी है क्योंकि प्रदेश में लगातार मानवाधिकारों का उल्लंघन होता है।' 

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