आरएसएस प्रतिनिधि सभा में सर कार्यवाह श्री सुरेश "भैयाजी" जोशी का प्रतिवेदन |

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राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की अखिल भारतीय प्रतिनिधि सभा में सर कार्यवाह माननीय सुरेश (भैयाजी) जोशी द्वारा प्रस्तुत प्रतिवेदन के प्रमुख अंश -


प्रारम्भ में गत वर्ष की प्रतिनिधि सभा के बाद स्वर्गवासी हुए संघ समर्पित और आदर्श व्यक्तित्वों तथा समाज जीवन में महत्वपूर्ण भूमिका निर्वाह करने वाले महानुभावों को श्रद्धांजलि अर्पित की |

कार्यस्थिति –

2012 की तुलना में वर्तमान में ५१६१ स्थान और १०४१३ शाखाओं की वृद्धि हुई है | उसी प्रकार साप्ताहिक मिलन और संघ मंडली की संख्या भी बढी है | संकलित वृत्त के अनुसार इस समय ३३२२२ स्थानों पर ५१३३० शाखाएं, १२८४७ साप्ताहिक मिलन और ९००८ संघ मंडली हैं | इनमें तरुण विद्यार्थियों की ६०७७ शाखाएं हैं | कुल मिलाकर ५५०१० स्थानों तक हम पहुँच गए हैं |

गत मार्च के पश्चात संपन्न संघ शिक्षा वर्गों में प्रथम वर्ष के 59 वर्गों में ९६०९ स्थानों से १५३३२ शिक्षार्थी, द्वितीय वर्ष के 16 वर्गों में २९०२ स्थानों से ३५३१ शिक्षार्थी तथा तृतीय वर्ष के वर्ग में ६५७ स्थानों से ७०९ संख्या रही | इसी प्रकार विभिन्न प्रान्तों में संपन्न प्राथमिक वर्गों में २३८१२ शाखाओं से ८०४०९ संख्या रही, जिनमें बड़ी संख्या ग्रामीण क्षेत्र के शिक्षार्थियों की थी | 

प्रान्तों में संपन्न विशेष कार्यक्रम -

- ऐतिहासिक पथसंचलन (तमिलनाडू) - राजा राजेन्द्र चोल के सिंहासनारोहण के 1000 वर्ष पूर्ण होने के उपलक्ष में स्थान स्थान पर विभिन्न कार्यक्रमों का आयोजन किया जा रहा है | इसी तारतम्य में तमिलनाडु के कार्यकर्ताओं ने 9 नवम्बर २०१४ को सभी केन्द्रों पर पथसंचलन निकालने की योजना बनाई | राजनैतिक दबाब के चलते प्रशासन ने अनुमति देने से इनकार किया | मामला न्यायालय में पहुंचा | न्यायालय ने संघ के पक्ष में निर्णय देते हुए कहा कि पथ संचलन पर रोक लगना उचित नहीं | परन्तु प्रशासन का दुराग्रह बना रहा | इसके बाद भी स्वयंसेवकों ने अपनी योजनानुसार सभी जिला केन्द्रों पर पथ संचलन निकाले | न्यायालय का आदेश होते हुए भी हठधर्मिता पूर्वक गिरफ्तारियां की | ३५००० बंधू-भगिनी गिरफ्तार किये गए | एक अभूतपूर्व शक्ति का दर्शन हुआ | विधि सम्मत ढंग से कार्य करने वाले राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ को ब्रिटिशकाल के किसी क़ानून की धारा के अंतर्गत गणवेश में संचलन की अनुमति न देना तमिलनाडु सरकार की तानाशाही का ही परिचायक था | प्रशासन के इस व्यवहार को लेकर न्यायालय की अवमानना का मामला दर्ज किया गया है |

- समर्थ भारत (कर्नाटक दक्षिण) – देश और समाज के लिए कुछ करने की इच्छा रखने वाली युवाशक्ति को मंच प्रदान करने हेतु बेंगलुरू में “समर्थ भारत” संकल्पना को लेकर दो दिवसीय चर्चा सत्र का आयोजन किया गया | सोशल मीडिया द्वारा पंजीकरण का आव्हान हुआ | ३८५२ युवक इस शिविर में सहभागी हुए | 48 प्रकार के विषयों पर गट बनाकर चर्चा व विचार विमर्श हुआ | मार्गदर्शन हेतु सामाजिक क्षेत्र के अनुभवी तथा विशेषज्ञ महानुभाव उपस्थित रहे | शिविर स्थल पर विशेष प्रदर्शनी द्वारा विविध सेवा कार्य तथा विभिन्न चुनौतियों की जानकारी दी गई |

ग्राम विकास, सेवा-बस्ती के कार्य, जलावर्धन, स्वयंसेवी कार्य, महिला समस्या, शैक्षिक प्रयोग, पर्यावरण, वैचारिक आन्दोलन, मतिमंद एवं विकलांग समस्याएं आदि विषयों पर करणीय कार्यों पर चर्चा हुई | इस समग्र आयोजन की संकल्पना को इन शब्दों में वर्णित किया जा सकता है – “समूह हेतु संकल्पना” और “संकल्पना हेतु समूह” (Team for Theme and Theme for Team)| परिणामतः 77 युवकों ने एक वर्ष देश के लिए कार्य करने की प्रतिबद्धता प्रकट की |

- साप्ताहिक मिलन द्वारा सामाजिक समरसता हेतु प्रयास (कोंकण):- कोंकण प्रान्त में रत्नागिरी जिले के दापोली तहसील का ग्राम आसोंदा में हमेशा पेयजल की समस्या रहती थी । सभी ग्रामवासियों ने सामूहिक प्रयासों से समस्या निवारण हेतु योजना बनाई। इस हेतु सभी परिवारों से निधि संकलन किया गया। ध्यान में आया कि ग्राम में सोलह परिवारों का सामाजिक बहिष्कार किया हुआ है। ग्राम में व्यवसायी स्वयंसेवकों का साप्ताहिक मिलन प्रायः डेढ़ वर्ष पूर्व प्रारंभ हुआ था। सभी स्वयंसेवकों ने बस्ती तथा समुदायषः चर्चा करते हुए सामाजिक समरसता की दिशा में प्रयास प्रारम्भ किया। ग्राम-सभा में इस गंभीर समस्या पर चर्चा हुई। बहिष्कृत सोलह परिवारों को जनजागरण के द्वारा समाज के साथ ससम्मान जोड़ने का प्रयास प्रारम्भ हुआ। लगभग चार महीनों के निरंतर प्रयासों से वातावरण सकारात्मक बनता चला गया। परिणामतः बस्ती वालों ने ही ग्राम प्रमुख को पत्र लिखकर समस्या सुलझाये जाने की जानकारी दी। आज सारे परिवार मिलजुल कर रहते हैं। समाज ने स्वयंसेवकों के प्रयासों की सराहना की।

- स्वास्थ्य शिविर - सेवा विभाग द्वारा सेवाभारती के सहयोग से सात जिलों में 17 स्वास्थ्य शिविर संपन्न हुए जिसमें 549 ग्रामों से लगभग २४००० बंधु लाभान्वित हुए। शिविर में 143 विकलांग बंधुओं को साइकिल, 100 को श्रवण यंत्र, २४९ को व्हीलचेअर, 75 अंध बंधुओं को ‘सहारा छड़ी’ प्रदान की गयी। २८१ शाखा के ७३६ स्वयंसेवकों ने इन शिविरों में कार्य किया। इस माध्यम से कई विशेषज्ञ चिकित्सक सेवाभारती से जुड़े हैं।

- साहित्य दर्शन एवं पुस्तक प्रदर्शनी तथा पुस्तक मेला, जालंधर (पंजाब) :- जनसामान्य को अपने धर्मग्रंथों से, अपने इतिहास के प्राचीन साहित्य से तथा संघ साहित्य से अवगत कराने के उद्देष्य से सोलह से अठारह जनवरी इस मेले का आयोजन किया गया था।
वेद-पुराण, उपनिषद्, जैन ग्रंथ व गुरुग्रंथ साहब की प्रतियों (सैचियों) के साथ महापुरुषों की जीवनियाँ, संघ साहित्य, सामाजिक विषयों पर उपन्यास आदि पुस्तकें बिक्री के लिये उपलब्ध थीं। अनेक गणमान्य महानुभावों की मेले में उपस्थिति प्रेरक रही। उन्नीस विद्यालयों व छह महाविद्यालयों के छात्र मेले में सहभागी हुए। 120 कार्यकर्ता मेले की सफलता हेतु कार्यरत थे। स्थानीय प्रसार माध्यमों का सहयोग भी अच्छा रहा।

- महाविद्यालयीन छात्र षिविर (उत्तराखंड):- पतंजलि योग पीठ के पावन परिसर में उत्तराखंड प्रांत का महाविद्यालयीन छात्रों का शिविर संपन्न हुआ। प.पू.सरसंघचालक जी का सान्निध्य शिविरार्थियों को प्राप्त हुआ। शिविर की पूर्व तैयारी के नाते स्थान-स्थान पर कार्यकर्ता प्रशिक्षण बैठकें तथा अखंड भारत विषय पर सामूहिक गोष्ठियों का आयोजन किया गया। शिविर पूर्व पंजीकरण किया गया जिसमें 4,703 छात्रों का पंजीकरण हुआ। षिविर में 4,875 महाविद्यालयीन छात्र, 105 विधि स्नातक, 38 शोध छात्र, 93 वैद्यकीय और तकनीकी छात्र उपस्थित थे। 31 प्राध्यापक बंधु भी शिविर में सम्मिलित हुए। प.पू.सरसंघचालक जी की उपस्थिति में आयोजित बैठक में विविध विश्वविद्यालयों के 11 कुलपति उपस्थित थे।

समापन समारोह में पू. स्वामी रामदेव जी की उपस्थिति विषेष उल्लेखनीय रही। समारोह में लगभग 5,300 नागरिक महिला, पुरुष उपस्थित थे। इस आयोजन के परिणामस्वरुप प्रान्त में महाविद्यालयीन छात्रों की 98 शाखाएँ एवं 179 साप्ताहिक मिलन प्रारंभ हुए हैं।

- युवा संकल्प शिविर (ब्रज प्रांत):- आगरा में दिनांक एक से तीन नवंबर ‘युवा संकल्प शिविर’ का आयोजन किया गया। शिविर में सभी जिलों से 1,064 स्थानों से 3,817 शिविरार्थी सम्मिलित हुए। दस अध्यापकों और 153 शिक्षकों की भी उपस्थिति रही। इसके अतिरिक्त लगभग 1,000 स्वयंसेवक प्रबंधक के नाते आये थे। प.पू.सरसंघचालक जी का सान्निध्य प्राप्त हुआ। बाबा श्री सत्यनारायण मौर्य द्वारा प्रस्तुत नाट्य-गीत का मंचन, ओलंपिक पदक विजेता श्री राज्यवर्धन सिंह राठौर व पटना के सुपर-30 के संचालक श्री आनंद कुमार की उपस्थिति विशेष उल्लेखनीय रही।

सामाजिक जीवन में सेवा जागरण की दृष्टि से कार्य करने वाले बंधुओं के स्वागत-अभिनंदन का कार्यक्रम भी आयोजित किया गया था। ‘दिव्य प्रेम सेवा मिशन’ के श्री आशीष गौतम जी, दीनदयाल शोध संस्थान के श्री भरत पाठक जी, वनवासी कल्याण आश्रम कन्या छात्रावास रुद्रपुर की सुश्री वर्षा घरोटे, गोपालक श्री रमेश बाबा एवं ‘कल्यांण करोति’ के संचालक श्री सुनील शर्मा जी आदि युवा कार्यकर्ताओं को सम्मानित किया गया।

राष्ट्रीय परिदृष्य:- 
गत दिनों में विविध मंचों, संस्थाओं द्वारा संपन्न हुए कार्यक्रमों में हिन्दु समाज का सहयोग एवं सहभागिता बहुत प्रेरक रही है।

चेन्नई में संपन्न “हिन्दु आध्यात्मिक एवं सेवा मेला” (Hindu Spiritual & Service Fair) में सामाजिक और धार्मिक संस्थाओं की सहभागिता विषेष रही। लगभग सप्ताह भर चले इस आयोजन में विद्यालयों, महाविद्यालयों के छात्रों का अवलोकनार्थ आना और साथ ही जनसामान्य का उत्साह अवर्णनीय रहा है। लगभग 8 लाख लोग इस कालखंड में कार्यक्रम स्थल पर आये थे। 232 धार्मिक एवं जाति बिरादरी की संस्थाओं ने अपने कार्य की जानकारी प्रस्तुत की। 11-12 प्रांतों से कार्यकर्ता आयोजन देखने आये थे। आयोजन का स्वरूप बहुत ही प्रभावी व आकर्षक रहा है। आने वाले दिनों में देश के अन्य प्रांतों में भी इस प्रकार के आयोजन हों ऐसी कल्पना है। सामाजिक, शैक्षणिक, आध्यात्मिक एवं सेवा के क्षेत्र में हिन्दु संस्थाओं की भूमिका प्रभावी है इस प्रकार का विश्वास निर्माण होता है। 

मालवा प्रांत के महेश्वर में नर्मदा तट पर प.पू.सरसंघचालक जी की उपस्थिति में संपन्न “माँ नर्मदा हिन्दु संगम” अपने आप में एक सफल आयोजन सिद्ध हुआ। ग्राम-ग्राम में गठित “धर्म रक्षा समिति” में ग्रामवासियों का सहभाग, कार्यक्रम पूर्व निकाली गई कलष यात्रा में माताओं का सहभाग तथा ग्राम-ग्राम में लगभग 5 लाख परिवारों तक व्यापक संपर्क अभूतपूर्व रहा। प्रत्यक्ष संगम में 1 लाख 35 हजार बंधुओं की और 150 से अधिक संत-वृंद की उपस्थिति हिन्दु विचार की स्वीकार्यता का ही परिचायक है।

वैसे ही मध्यप्रदेश में नर्मदा तट पर संपन्न नदी उत्सव, उत्तराखंड का थारु वनवासी सम्मेलन इन कार्यक्रमों द्वारा जागृत हुई चेतना का भी विशेष उल्लेख आवश्यक है।

राजनीतिक क्षेत्र में राष्ट्रीय विचारों का प्रभाव:-
मई 2014 में संपन्न लोकसभा चुनाव में भारत की जनता ने राजनीतिक सूझबूझ का परिचय दिया है और देश में स्थिर एवं सुव्यवस्थित सरकार बनाने के पक्ष में मतदाताओं ने अपना मत व्यक्त किया है। यह पहला अवसर है कि भारतीय चिंतन में प्रतिबद्धता रखकर चलने वाले राजनीतिक दल को बहुमत से विजयी बनाकर समाज ने अपना विश्वास व्यक्त किया है। कई वर्षों के बाद इस विचार से प्रेरित समूह आज “निर्णय-केन्द्र” में स्थापित हुआ है। नीति निर्धारक, चिंतक एवं तज्ञों के सहयोग से संतुलित चिंतन करते हुए कालसुसंगत योजनाएँ बनें एवं क्रियान्वित हों यह स्वाभाविक अपेक्षा है।

जनसामान्य की इच्छा आकांक्षाओं की पूर्ति के साथ ही देश की सुरक्षा, स्वाभिमान, सार्वभौमत्व अबाधित रहे। भारतीय चिंतकों-मनीषियों द्वारा समय-समय पर प्रस्तुत चिंतन और भारत की जीवनशैली एवं मूल्यों के प्रकाश में विकास की अवधारणा सुनिश्चित करने की आवष्यकता है। ग्रामीण जनजीवन, संस्कृति, अनुसूचित जाति-जनजाति की आवश्यकताओं एवं भावनाओं को सर्वोपरि रखा जाय।

भारत का श्रेष्ठ चिंतन, परंपराएँ, जीवनमूल्य तथा संस्कृति विश्व के लिये सदा मार्गदर्शक रही है। वर्तमान सरकार भारत की अपनी विशेषताओं का विश्व-मंच पर प्रतिनिधित्व करे यही देशवासियों की अपेक्षा है।

जम्मू-कश्मीर में हाल ही में संपन्न हुए चुनावों के बाद राज्य में नई सरकार बनी है किन्तु राज्य के मुख्यमंत्री श्री मुफ्ती मोहम्मद सईद द्वारा आतंकवादियों, हुर्रियत कान्फ्रेंस तथा पाकिस्तान को शांतिपूर्ण चुनाव का श्रेय देने वाला वक्तव्य सभी दृष्टि से अवांछनीय ही कहा जायेगा। जम्मू-कश्मीर में शांतिपूर्ण ढंग से सम्पन्न हुए चुनावों का श्रेय राज्य की शान्तिप्रिय जनता, राजनीतिक दल, सेना व सुरक्षाबलों, वहाँ के प्रषासनिक अधिकारियों तथा चुनाव आयोग को ही दिया जाना चाहिये।

विश्व की स्पर्धा में भारत की प्रतिष्ठा बढ़े और शास्वत विकास का उदाहरण प्रस्तुत करने वाला भारत कैसे विश्व के सम्मुख प्रस्तुत हो यह वर्तमान की एक बड़ी चुनौती है। पड़ोसी देशों से मित्रता बढ़े यह क्षेत्र की सुख शांति के लिये अनिवार्य है। पड़ोसी देशों से भी हम इसी प्रकार के सकारात्मक सहयोग-संवाद की अपेक्षा रखते हैं। विश्वास ही परस्पर मित्रता का आधार रहता है। विविध देशों में रह रहे भारत मूल के निवासी भी वर्तमान सरकार और नेतृत्व की प्रभावी भूमिका से गर्व का अनुभव कर रहे हैं। अतः जन-जन की अपेक्षाओं, भावनाओं एवं संवेदनाओं को समझते हुए वे कार्य करें, देश यही अपेक्षा कर रहा है। जनसामान्य सरकार की मर्यादाओं को भी समझते है। 

स्वच्छता अभियान, गंगा सुरक्षा जैसे विषयों पर सरकार द्वारा हो रहे प्रयास निष्चित ही अभिनंदनीय हैं। जनसहभागिता के द्वारा ही ऐसी समस्याओं के समाधान की दिशा में बढ़ा जा सकता है। सही दिशा में चल रहे ऐसे सभी प्रयासों का सारा देश स्वागत कर रहा है।

अराष्ट्रीय शक्तियाँ व्यथित होकर अनावश्यक बातों को चर्चा का मुद्दा बनाकर वातावरण दूषित करने का प्रयास करती रहती हैं। देशवासी इस संदर्भ में सजग रहें। इस दिशा में सभी राष्ट्रीय विचार मूलक शक्तियों को मिलकर पहल करनी होगी

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