"आम आदमी पार्टी" में सत्ता संघर्ष पर "आम आदमी" का नजरिया |



सारी अटकलों के बाद अंततः आम आदमी पार्टी की राष्ट्रीय कार्यकारिणी ने पार्टी की राजनीतिक मामलों की समिति से पार्टी नेताओं योगेन्द्र यादव और प्रशांत भूषण को बाहर का रास्ता दिखा दिया | उनकी भविष्य में क्या भूमिका रहेगी, फिलहाल इसका भी कोई अतापता नहीं है | हालांकि अभी इन दोनों नेताओं ने स्वयं को पार्टी का अनुशासित सिपाही बताते हुए पार्टी में ही रहने तथा जो भी उत्तरदायित्व दिया जाएगा उसे मानने को कहा है | किन्तु सोशल मीडिया पर “आप” पार्टी के इस सत्ता संघर्ष को लेकर कई रोचक हास्यास्पद ट्वीट किये गए | कुछ बानगी इस प्रकार है –

built a party to fight against high command culture. Today, Irony died twice.
(एक पार्टी जो हाई कमान संस्कृति के विरुद्ध लड़ने को बनी थी, कैसी बिडम्बना है कि आज वह दोबार मरी)

एक कार्टून -

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After re-assigning ultra leftist in our party, I am now changing my mustache appropriately

पार्टी में अल्ट्रा वामपंथी बताए जाने के बाद, मैंने उसके अनुसार अपनी मूछों का स्टाइल बदल लिया है |

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ha ha ha! What @AapYogendra and Prashanth Bhusan feel like now !

हा हा हा अब प्रशांतभूषण और योगेन्द्र यादव कुछ ऐसा ही अनुभव कर रहे होंगे -

 

Why didn't AAP ask for people's opinion before ousting YY and PB, like they supposedly did before quitting Delhi in 2014?योगेन्द्र यादव और प्रशांत भूषण को बाहर करने से पहले "आप" ने जनता का अभिमत क्यूं नहीं पूछा ?

"आप" पार्टी नई परिभाषा - ARVIND ALONE PARTY.

कहीं चांदी के चमचे है....!!तो कहीं चमचों की चांदी है ...!!

आदमी को इतना मीठा भी नहीं बोलना चाहिए कि दूसरे को शुगर की बीमारी हो जाय |सत्ता का नशा, फिर जी हुजूरियों का हुजूम, ऐसे में बराबरी का रिश्ता किसे सुहाय ?योगेन्द्र तो पटखनी खाए ही खाए smile emotico

आखिर "आप" के फर्जी चंदे को डिसक्लोज करने के बाद योगेन्द्र यादव बच कैसे सकते थे ? किन्तु वे अभी तक पार्टी में हैं, यह हैरत की बात है | देखते हैं कब तक रहेंगे ?




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