मेरा भारत महान - ब्यावरा

आगरा मुम्बई राष्ट्रीय राज मार्ग पर स्थित ब्यावरा मालवा तथा राजस्थानी संस्कृति की सुवास अपने में समेटे है | भोपाल, इंदौर तथा ग्वालियर से सीधे राष्ट्रीय राजमार्गों से जुडा होने के कारण व्यावरा राजगढ़ जिले की तहसील मात्र होने के बाद तीव्र गति से विकसित हुआ है | यहाँ के ग्रामीण अंचल में अनेकों एतिहासिक तथा पुरातत्व महत्व की धरोहरें विद्यमान है | पीपलहेडा में स्थित प्राचीन शिवालय सौम्य काशी के नाम से जाना जाता है, तथा अपनी भव्यता तथा स्थापत्य के कारण विख्यात है | इसी ग्राम के एक भव्य मंदिर में भगवान विष्णु की एक पद्मासन में विराजमान दुर्लभ मूर्ती भी है, जिसे देखकर श्रद्धालुओं को सहज बद्री विशाल की छटा स्मरण हो आती है | 

इसी प्रकार बिहार कोटरा स्थित सांका श्याम मंदिर की प्रतिमाएं खजुराहो का स्मरण कराती हैं | यहाँ स्थित १६ विशाल दीप स्तंभों का प्रकाश किसी समय मीलों दूर तक दिखाई देता था | ब्यावरा के रघुनाथ मंदिर का भी पुरातात्विक महत्व है | किवदंतियों के अनुसार नाना साहब पेशवा का देहांत भी यहाँ ही हुआ था, तथा यहाँ स्थित एक समाधी को स्थानीय लोग उनकी ही मानते है | किरण जी शास्त्री नामक एक महाराष्ट्रीयन ब्राह्मण यहाँ स्थित शिव मंदिर तथा उससे जुडी १५० बीघा जमीन की देखभाल करते रहे | वर्तमान में उनके वंशज यहाँ की व्यवस्था देख रहे हैं |

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