भारत और पकिस्तान के बीच सद्भाव का दौर ! है न अचम्भा ?



कटु टिप्पणियों और सीमा पर खूनी संघर्ष से हटकर भारत और पाकिस्तान के बीच कुछ नये सम्बन्ध विकसित हो रहे हैं | ऐसा लगता है कि दोनों पक्षों में एक दूसरे के प्रति सद्भाव प्रदर्शित करने की होड़ लगी है | इसका एक असामान्य और ताजा उदाहरण है, 8 अप्रैल को यमन से बचाए गए 11 भारतीयों को पाकिस्तान द्वारा एक विशेष विमान से भारत भेजा जाना । 

यह अभूतपूर्व है। कमसेकम पाकिस्तान से किसी को इस प्रकार के सद्भाव पूर्ण प्रतिक्रिया की आशा और अपेक्षा नहीं थी | स्वयं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इसके प्रति कृतज्ञता व्यक्त की है । विदेश सचिव एस जयशंकर ने भी इसे एक बहुत अच्छा संकेत बताया है व उसकी सराहना की है । उन्होंने कहा कि विपरीत परिस्थितियों में एक दूसरे के सहयोग के लिए आगे आना एक अच्छा लक्षण है | 

भारत ने भी 32 देशों के 409 लोगों को यमन से बाहर आने में मदद की थी, जिसमें बांग्लादेशियों, श्रीलंका, नेपाली और अन्य देशों के साथ कुछ पाकिस्तानी भी शामिल थे । भारत-पाक की द्विपक्षीय राजनीति एक अत्यधिक जटिल पहेली है और ऐसे में हिंदुस्तान टाइम्स को दिए एक साक्षात्कार में पाकिस्तान के साथ वार्ता शुरू करने के संदर्भ में प्रधानमंत्री श्री मोदी की टिप्पणी सामयिक और प्रासंगिक है । उन्होंने कहा कि इस समय वातावरण सही है | आतंकवाद और हिंसा से मुक्त वातावरण में सभी बकाया मुद्दों पर पाकिस्तान के साथ द्विपक्षीय बातचीत के दरवाजे सदा खुले हैं। 

आशा की जानी चाहिए कि पारस्परिक सद्भाव की यह प्रवृत्ति जारी रहेगी और दो पड़ोसियों के बीच शान्ति उदारता और परोपकार का और अधिक विस्तार होगा | इससे निश्चित रूप से भारत और पाकिस्तान के बीच द्विपक्षीय वार्ता का मार्ग प्रशस्त हो सकता है। 67 वर्ष के बाद आने वाले दिनों में स्थायी शांति दोनों देशों के जन सामान्य के लिए राहत का पैगाम लाये तो बहुत बेहतर ।

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