नेताजी सुभाष की मृत्यु का रहस्य सामने आयेगा, या कुहासा और छायेगा ?


सरकार ने स्वतंत्रता सेनानी नेताजी सुभाष चंद्र बोस से सम्बंधित अनेक फाईलों को सार्वजनिक करने का निर्णय लिया है | नेताजी के भतीजे के पुत्र श्री सूर्या बोस ने हाल ही में प्रधान मंत्री की जर्मनी यात्रा के दौरान बर्लिन में उनसे भेंट कर यह मांग की थी | उनका कहना था कि प्रधान मंत्री का रुख सकारात्मक था | श्री बोस हैम्बर्ग में इंडो-जर्मन एसोसिएशन के अध्यक्ष भी हैं | उन्होंने आशा जताई कि अब शीघ्र ही नेताजी की मृत्यु को लेकर देश में व्याप्त अनेक धारणाओं की वास्तविकता ज्ञात हो सकेगी | 

लेकिन इसके साथ साथ एक नई बात सामने आई है | हिन्दुस्तान टाइम्स में छपे एक समाचार के अनुसार खुफिया रिपोर्टों में बताया गया है कि पूर्ववर्ती केंद्र सरकारों के समय चार गोपनीय फाइलों को नष्ट कर दिया गया है | बताया जाता है कि 1969 और 1972 में दो महत्वपूर्ण फाईलें लापता हो गई थी, जबकि दो फाईलों को प्रधानमंत्री कार्यालय ने नष्ट कर दिया था ।

1948 से 1968 के दौरान की केंद्र सरकारों द्वारा नेताजी सुभाष चन्द्र बोस के परिवार की जासूसी के आरोपों ने पहले ही तहलका मचाया हुआ है | ऐसे में अगर फाईलों के गायब होने की बात भी सामने आई तो निश्चय ही संदेह का कुहासा छटने के स्थान पर और घना हो जाएगा ।

सूत्रों के अनुसार सरकार अब विदेश मंत्रालय और गृह मंत्रालय के साथ-साथ प्रधानमंत्री कार्यालय में नेताजी सुभाष चंद्र बोस से सम्बंधित गुप्त फ़ाइलों की समीक्षा करेगी | समीक्षा के बाद सरकार इस मुद्दे से सम्बंधित सारी उपलब्ध फाईलों को सार्वजनिक कर सकती है ।

अटकलें हैं कि पूर्व प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू अगर सबसे अधिक किसी से घबराते थे तो अपने कट्टर राजनीतिक प्रतिद्वंद्वी नेताजी बोस से । और इसी कारण नेताजी कि मौत किस प्रकार हुई यह रहस्य हमेशा रहस्य ही रहा | नेहरू जानते थे कि जीवित नेताजी से कई गुना अधिक उनकी मौत का रहस्य उनकी साख को मटियामेट कर सकता है | 

नेहरू और नेताजी के वैचारिक मतभेद किसी से छुपे नहीं हैं | इसी कारण नेताजी ने कांग्रेस से अलग होकर 1941 में भारत से बाहर जाकर अंग्रेजों से भारत को मुक्त करने के लिए जर्मनी और जापान के सहयोग से आजाद हिन्द फ़ौज की स्थापना की । उनके इस कार्य से नेहरू और गांधी के साथ मतभेद की दरार और चौड़ी हो गई ।

48 साल की उम्र में 18 अगस्त, 1945 को ताइवान में एक विमान दुर्घटना में नेताजी की कथित मृत्यु को देश की जनता ने कभी स्वीकार नहीं किया | उनके परिवार के दूसरे सदस्यों ने भी मृत्यु के उस दावे को नहीं माना । राज्य मंत्री हरिभाई चौधरी ने पिछले साल राज्यसभा को सूचित किया था कि नेताजी से सम्बंधित कुल मिलाकर 87 फ़ाइलें हैं, इनमें से 29 फाईलें विदेश मंत्रालय के पास तथा शेष 60 फाईलें पीएमओ के पास हैं ।

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