क्या दिग्विजय सिंह भाजपा के एजेंट हैं ?

पिछले दिनों जब मध्यप्रदेश के पत्रकार बंधू व्यापम घोटाले को लेकर चाय की प्याली में तूफ़ान उठा रहे थे, तब एक पत्रकार ने दिग्विजय सिंह जी की अतिशय सक्रियता को लेकर मुझे कहा कि जहां से हमारी सोच समाप्त होती है, वहां से राजा साहब की राजनीति प्रारम्भ होती है | इनकी सक्रियता शिवराज जी को घेरने की नहीं, बल्कि उनको बचाने की है |

मैंने उस समय उनकी बात को ज्यादह तबज्जो नहीं दी, किन्तु कल जब मैंने उनका मसर्रत साहब बाला बयान पढ़ा, तो सहसा मुझे एक भूली बिसरी बात भी याद आ गई | वर्षों पहले मैंने दिग्विजय सिंह जी का एक भाषण सुना था, जिसमें उन्होंने कहा था कि बहुसंख्यक की साम्प्रदायिकता अल्पसंख्यक की साम्प्रदायिकता से कहीं अधिक खतरनाक होती है | फिर स्मरण आया कि आगे चलकर वही दिग्विजय सिंह अपनी हर हरकत से, हर बयान से बहुसंख्यक समाज को साम्प्रदायिक आधार पर एकजुट करते दिखाई दिए |

याद कीजिए साध्वी प्रज्ञा ठाकुर को झूठा फंसाया जाना और पुलिस स्टेशन पर उनके साथ किया गया अभद्र ही नहीं तो पाशविक व्यवहार | मुम्बई हमले के समय हेमंत करकरे के दुखद निधन को आरएसएस का षडयंत्र बताकर कसाब को संदेह का लाभ दिलाने की कोशिश | ओसामा बिन लादेन जैसे भारत विरोधी को ओसामा जी का संबोधन | दिल्ली में मारे गए पुलिस इन्स्पेक्टर शर्मा की शहादत का अपमान करते हुए उस एनकाउन्टर को फर्जी बताना | अनगिनत कहानियाँ, अनगिनत कथानक हैं, जिनके चलते बहुसंख्यक हिन्दू समाज कांग्रेस से खिन्न हुआ | क्या यह सब दिग्विजय सिंह जी ने जानबूझकर किया ?

एक भोले भाले पप्पू राहुल गांधी को शीशे में उतारकर कांग्रेस को जानबूझकर मटियामेट करने वाले दिग्गी राजा का भाजपा हमेशा शुक्रिया अदा करती रहेगी |

अब यह नया व्यंग चित्र भी देखिये बहुत कुछ कह रहा है | राजा साहब दिग्विजय सिंह जी राहुल जी को समझा रहे हैं कि मैंने जानबूझकर मसर्रत को साहब कहा, अब कमसेकम लोग आपका मजाक बनाने के बजाय मुझे निशाना बनाने में जुटे हुए हैं | आपको बचाने के लिए मैंने यह बलिदान दिया है |



शुरूआत में बात चल रही थी मध्यप्रदेश की, तो आडवाणी जी के प्रमुख सिपहसालार रहे शिवराज जी को मुख्यमंत्री पद से हटाने की अगर कोई योजना मोदी जी के दिमाग में रही भी हो तो, कमसेकम उसका श्रेय वे कदापि कदापि दिग्गी राजा को तो नहीं ही देंगे | इतनी राजनैतिक समझ तो सामान्य कार्यकर्ता भी रखता है | अतः इसमें कोई संदेह नहीं कि दिग्गी राजा साहब की व्यापम मामले में सक्रियता शिवराज जी की परेशानी बढ़ाने वाली नहीं ,बल्कि उन्हें त्राण दिलाने वाली ही अधिक रही | भाजपा के पास जातीय आधार का वोट बेंक रखे वाले मध्यप्रदेश में दो ही नेता है | एक खुद शिवराज जी, और दूसरी सुश्री उमा भारती | राजा साहब ने दोनों को ही लपेटे में ले लिया | तो अब मोदी जी के सामने मुश्किल यह है कि "खाओ तो कद्दू, न खाओ तो कद्दू" | कोई बिकल्प ही नहीं बचा | शिवराज जी की पौबारह हैं | वाह दिग्गी राजा जबाब ही नहीं तुम्हारा |

इधर प्रदेश में अंदरखाने में शिवराज जी के खासमखास बने रहो, उधर केंद्र में कांग्रेस की लुटिया डुबोकर मोदी जी की सरपरस्ती हासिल कर लो | बेचारे पप्पू और पप्पू की अम्मा ??????

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